मंत्रमुग्ध करता दूधिया झरने का सम्मोहन
फिल्मी दृश्यों-सा नजर आने वाला दूधसागर झरना गोवा की हरियाली में छुपा एक अद्भुत प्राकृतिक चमत्कार है। मानसून में इसकी सफेद जलधाराएं दूध जैसी प्रतीत होती हैं। ट्रेकिंग और जीप सफारी के रोमांच के साथ यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और साहसी यात्रियों के लिए एक स्वर्ग है।
अलका 'सोनी'
अगर आपने चेन्नई एक्सप्रेस फिल्म देखी होगी तो आपको उसका एक दृश्य याद होगा जब दीपिका, शाहरुख को लेकर अपने गांव में ट्रेन से उतरती है, वहां ढेर सारी हरियाली के बीच, दूध-सी धारा के साथ एक झरना कल-कल करते हुए बहता दिखता है। उस खूबसूरत झरने का नाम भी, उसके सफेद रंग के पानी के कारण ‘दूध सागर’ ही है। लेकिन यह चेन्नई में नहीं बल्कि गोवा के पास है और घूमने के शौकीन लोगों के लिए यह सुखद बात है कि यह झरना मानसून में अपनी सुंदरता के चरम पर होता है। जब आप गोवा जाने के क्रम में कोंकण क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो उससे ठीक पहले यह झरना दिखता है। चारों तरफ खूबसूरत, हरियाली से आच्छादित पहाड़ों के बीच से बहता हुआ।
आगे बढ़ने के क्रम में ट्रेन जब इन वादियों में घूम-घूमकर चक्कर लगाती है तो बस इन प्राकृतिक नज़ारों में आंखें एक जादू से बंध जाती हैं।
दूधसागर झरना कोंकण रेलवे क्षेत्र से पहले आता है, जब आप कर्नाटक या महाराष्ट्र से गोवा की ओर जा रहे होते हैं। यह कोंकण रेलवे नेटवर्क का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह साउथ वेस्टर्न रेलवे ज़ोन में आता है, जो गोवा के पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र को कवर करता है।
गोवा और कर्नाटक की सीमा पर, भगवान महावीर अभयारण्य और मोल्लेम नेशनल पार्क के भीतर स्थित यह झरना भारत के सबसे ऊंचे जलप्रपातों में एक है। लगभग 310 मीटर ऊंचाई से गिरता यह जल, मानसून के मौसम में जब प्रबल हो जाता है, तब इसकी भव्यता देखने योग्य होती है।
ट्रेन और ट्रेकिंग का रोमांच
यदि आप रोमांच से भरपूर यात्रा के इच्छुक हैं, तो कुलेम या कासल रॉक स्टेशन तक ट्रेन से पहुंचिए। यहां से दूधसागर झरने तक लगभग 11-14 किलोमीटर लंबा ट्रेक शुरू होता है, जो रेलवे ट्रैक और घने जंगलों से होकर गुजरता है।
हालांकि यह रास्ता प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, लेकिन हाल के वर्षों में इसे जोखिमपूर्ण और प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया गया है। ट्रैक पर चलना रेलवे सुरक्षा नियमों के विरुद्ध माना गया है, और इससे यात्रियों की सुरक्षा को भी खतरा होता है।
इसलिए यदि आप यह मार्ग चुनते हैं, तो बेहतर होगा कि स्थानीय प्रशासन से अनुमति लें और किसी गाइड या ट्रेकिंग ग्रुप के साथ जाएं।
सड़क मार्ग और जीप सफारी
दूध सागर तक जाने के लिए सड़क मार्ग को सुरक्षित और सुविधाजनक माना जाता है।
यदि आप आरामदायक और कानूनी रूप से सुरक्षित यात्रा करना चाहते हैं, तो कुलेम गांव तक कार या टैक्सी से पहुंचें। यहां से फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा संचालित जीप सफारी उपलब्ध होती है, जो आपको दूधसागर तक ले जाती है।
जीप यात्रा लगभग 12 किलोमीटर लंबी होती है और जंगली रास्तों से गुजरती है। यह सफर बारिश के दौरान और भी रोमांचक हो जाता है, जब रास्ते कीचड़ और जलधाराओं से भर जाते हैं। प्रत्येक जीप में गाइड भी होता है जो रास्ते की जानकारी और जंगल की कहानियां बताता जाता है।
घूमने का बेहतर समय
अगर आप दिसंबर से फरवरी तक यहां जाने की सोच रहे हैं तो शायद आप झरने को उसकी भव्यता के साथ नहीं देख पाएंगे क्योंकि तब पानी कम रहता है उसमें।
मानसून (जून से सितंबर) और पोस्ट-मानसून (अक्तूबर) तक का समय दूधसागर की यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दौरान झरने में पानी की भरपूर मात्रा होती है और दृश्य अत्यंत मनमोहक होते हैं।
हालांकि, पीक मानसून के समय सुरक्षा कारणों से कभी-कभी सफारी सेवा बंद भी हो जाती है, इसलिए मौसम की जानकारी पहले ही प्राप्त करना बेहतर होता है।
क्या-क्या देखें आसपास
दूधसागर झरने की सुंदरता के अलावा, वहां आस-पास कई ऐसे स्थान हैं जो इस यात्रा को और भी यादगार बना सकते हैं।
ताम्बडी सुरला मंदिर
12वीं सदी का यह शिव मंदिर हेमादपंथि शैली का अनूठा उदाहरण है। यह घने जंगलों में स्थित है और यहां की शांति आध्यात्मिक अनुभव देती है।
भगवान महावीर अभयारण्य
यह दूधसागर से लगभग 5–6 किमी दूर पड़ता है। साथ ही संपूर्ण क्षेत्र एक संरक्षित वन क्षेत्र है। यहां आपको घने साल, बांस और सागौन के जंगल, झरने, वन्यजीव और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां देखने को मिलती हैं।
जैव विविधता से भरपूर यह अभयारण्य ट्रेकिंग, पक्षी-विहार और वन्य जीवों के दर्शन के लिए काफी अच्छा माना जाता है।
ताम्बडी झरना
दूधसागर से थोड़ा दूर यह छोटा झरना भी मानसून में बहुत खूबसूरत हो जाता है। तांबडी सुरला मंदिर से 1.5–2 किमी की ट्रेकिंग के बाद यह मिलता है। यहां की हरियाली और शुद्ध हवा देखने लायक होती है।
डेविल्स कैनियन
यह एक रहस्यमयी घाटी है जहां नदी तीव्र वेग से बहती है और इसके चट्टानी स्वरूप इसे डरावना लेकिन आकर्षक बनाते हैं। यह एक गहरी चट्टानी घाटी है, जिसकी वजह से नदी बहुत तेज़ वेग से बहती है।
कुछ बातों का ध्यान
प्लास्टिक, खाद्य अपशिष्ट या ध्वनि प्रदूषण से बचें। जंगल में सफाई रखना हम सबका कर्तव्य है। इसलिए अपने साथ लाए प्लास्टिक और दूसरे कचरों को वहां न फैलाएं।
यहां समय का ध्यान रखना जरूरी है।
जीप सफारी दोपहर 3 बजे के बाद उपलब्ध नहीं रहती। देर से पहुंचने पर आप सफारी मिस कर सकते हैं।
जरूरी सामान
चूंकि यह पहाड़ी क्षेत्र है, जहां झरने हैं और आप मानसून में घूमने जा रहे हैं तो अपने साथ वाटरप्रूफ जूते, रेनकोट, पानी की बोतल और कुछ स्नैक्स साथ रखें। ये स्टॉक आपको बेवजह की परेशानियों से बचाएगा।
स्वास्थ्य
पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण ट्रेक कठिन हो सकता है, इसलिए बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए जीप सफारी बेहतर विकल्प है।
अनुभव, जीवन भर याद रहेगा
जब भी गोवा का ज़िक्र होता है, हमारे मन में समुद्र तट, चर्च और बोट पर की जाने वाली पार्टियों की छवियां उभरती हैं। लेकिन इसी गोवा की हरियाली में छुपा एक अद्भुत खजाना है—दूधसागर। यह जलप्रपात न केवल पश्चिमी घाट की भव्यता का प्रतीक है, बल्कि रोमांचप्रिय यात्रियों के लिए एक आदर्श गंतव्य भी है। इसकी सफेद झाग-सी गिरती जलधारा इसे सचमुच ‘दूध का सागर’ बना देती है।
यह जंगल, जल और जीवन का संगम है—जहां हर धारा एक कहानी कहती है, हर हरियाली एक संगीत रचती है।
यदि आप इस मानसून कुछ अलग, कुछ जीवंत और कुछ यादगार अनुभव करना चाहते हैं, तो दूधसागर आपके इंतज़ार में है—एक यात्रा, जो शायद आपके भीतर भी एक सागर जगा दे।