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बेशकीमती हीरे की सख्ती भी बेमिसाल

जनरल नॉलेज
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देश में बड़ी संख्या ऐसे युवाओं की है जो पढ़ाई पूरी करने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र में नौकरी करने का इरादा रखते हैं। तो स्वाभाविक है उन्हें इसके लिए संबंधित क्षेत्र का कंपीटीटिव एग्जाम क्लीयर करना होता है। केंद्र और राज्यों की सिविल सेवाएं, रेलवे, बैंकिंग, फॉरेस्ट व शिक्षा आदि से जुड़े विभागों, संगठनों व प्राधिकरणों में रोजगार के ऐसे ढेरों अवसर हैं जिनके लिए परीक्षा में सफल होना

जरूरी है।

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कंपीटीटिव एग्जाम में संबंधित प्रमुख विषय, संख्यात्मक व रीजनिंग के अलावा जनरल नॉलेज महत्वपूर्ण भाग, या पेपर भी होता है। जिसमें करंट अफेयर्स, जनरल साइंस, अवेयरनेस, पर्यावरण व भाषा आदि संबंधी प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसा ही टॉपिक है हीरे की उत्पत्ति, विशेषताओं और उपयोग से संबंधित। जानिये हीरे के बारे में कुछ तथ्य—

हीरा एक बहुत ही कीमती वस्तु है। संसार के सभी पदार्थों की तुलना में हीरा सबसे अधिक सख्त होता है। यह इतना सख्त होता है कि इसे किसी दूसरी धातु से नहीं काटा जा सकता। हीरे को केवल हीरा ही काट सकता है। इसे काटने के लिए इसी का पाउडर धातु में मिलाकर आरी बनाई जाती है। हीरा वास्तव में कार्बन का एक मणिभीय यानी क्रिस्टलाइन रूप है जो खानों से प्राप्त होता है। यह लगभग 900 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर धीरे-धीरे जलने लगता है। वहीं 1000 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर जलकर यह ग्रेफाइट में बदल जाता है। इससे अधिक तापमान पर यह शीघ्रता से ग्रेफाइट में बदल जाता है। हीरा ऊष्मा का अच्छा सुचालक है, जैसे ही इसके एक सिरे को गर्म करते हैं वैसे ही दूसरा सिरा गर्म हो जाता है। बता दें कि हीरे की ऊष्मा-चालकता तांबे से भी पांच गुनी अधिक है, लेकिन यह बिजली का कुचालक रहा है।

प्राकृतिक और कृत्रिम रूप

सन 1955 तक हीरा केवल खानों से ही प्राप्त होता था। लेकिन इसके बाद हीरे का निर्माण कुछ कृत्रिम विधियों से भी होने लगा है। खानों से मिलने वाले हीरे को प्राकृतिक हीरा कहा जाता है और कृत्रिम तरीकों से बनाए गए हीरों को कृत्रिम हीरे के नाम से पुकारा जाता है। प्राकृतिक रूप से मिलने वाला हीरा सबसे अधिक अफ्रीका में मिलता है। संसार के 95 प्रतिशत हीरे यहीं से प्राप्त होते हैं। खानों से प्राप्त हीरों को विशेष आकृतियों में तराशा जाता है। इन तराशे हुए हीरों पर पॉलिश की जाती है। हीरे की पॉलिश सैकड़ों वर्षों तक खराब नहीं होती।

ग्रेफाइट से हीरा

कृत्रिम विधि से हीरा सबसे पहले जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी ने साल 1955 में बनाया था कृत्रिम विधियों में ग्रेफाइट से हीरा बनाया जाता है। ग्रेफाइट को बहुत ही उच्च दबाव पर लगभग 3000 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म किया जाता है। ऐसा करने पर ग्रेफाइट हीरे में बदल जाता है। कृत्रिम तरीकों से बने हीरे प्राकृतिक हीरों से बहुत से गुणों मंे मिलते-जुलते हैं। इस तरीके से बने हीरे का इस्तेमाल आभूषण बनाने और उद्योगों में किया जाता है। औद्योगिक या साधारण किस्म के हीरे वस्तुओं में छेद करने या खराद के कार्यों में इस्तेमाल किए जाते हैं। हीरों का वजन कैरेट में तोला जाता है। एक कैरेट लगभग दो सौ ग्राम होता है।

स्पेशल क्विज

* इंदिरा प्वाइंट कहां स्थित है? -ग्रेट निकोबार द्वीप में

* भारत ने स्कोर्पियन नामक पनडुब्बी किससे खरीदी थी? -फ्रांस से

* स्कोर्पियो कार का निर्माण कौन सी कंपनी करती है? -महिन्द्रा एंड महिन्द्रा कंपनी

* नीरजा भनोट पुरस्कार किससे संबंधित है? -महिला सशक्तीकरण से

* इस्कॉन मंदिर किस देवता के लिए जाना जाता है? -भगवान कृष्ण और बलराम के लिए

* ‘क्रिकेट माई स्टाइल’ किसकी कृति है? -कपिल देव की

* राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय कहां स्थित है? -बंगलुरू

* भारतीय शेयर बाजार पर निगरानी रखने वाली संस्था कौन सी है? -सेबी

* जामनगर रिफाइनरी किस उद्योग समूह की कंपनी है? -रिलायंस इंडस्ट्रीज की

* ‘द लास्ट मुगल’ नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं? -विलियम डेलरिम्पल

* सोन नदी किस प्रमुख नदी की सहायक नदी है? -गंगा नदी की।

-इ.रि.सें.

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