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विक्रेता को दोषपूर्ण सामान लौटाना भी उपभोक्ता का हक

कंज्यूमर राइट्स
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ग्राहक को किसी भी खरीदे गये खराब सामान को उसी रूप में वापस करने का अधिकार है जिस रूप में उसे दुकान से प्राप्त किया गया था। ऐसे में ‘बिका हुआ सामान वापस नहीं होगा’ लिखना कानूनन सही नहीं। यदि दुकानदार खरीदे गए दोषपूर्ण सामान को वापस या बदलकर देने से इनकार करता है तो उपभोक्ता अदालत में शिकायत कर सकते हैं। विक्रेता दोषी पाया जाता है तो उसे जुर्माना और सज़ा का प्रावधान है।

अक्सर देखने में आया है कि कई दुकानदार, ‘बिका हुआ सामान वापस नहीं होगा’ लिखकर एक तख्ती या बोर्ड अपनी दुकान पर टांगकर रखते हैं। लोग जब भी ऐसी दुकानों से खरीदारी करते हैं तो यही सोचते हैं कि जो सामान वे खरीद रहे हैं उसे अभी अच्छी तरह से चेक कर लें तो ठीक रहेगा। वजह यह कि बाद में ये वापस नहीं होगा, क्योंकि दुकानदार ने यह पहले ही स्पष्ट रूप से अपनी दुकान पर लिखकर रखा हुआ है। जबकि वास्तव में तो दुकान पर ऐसा लिखना कानूनन गलत है। उपभोक्ता संरक्षण कानून के अनुसार, कोई भी दुकानदार बेचे गए सामान को वापस लेने से इंकार नहीं कर सकता।

गुजरात सरकार का सर्कुलर

दुकान पर ‘बिका हुआ सामान वापस नहीं होगा’ लिखना कानून के मुताबिक गलत है। गुजरात सरकार ने तो इस संबंध में एक सर्कुलर जारी किया है, जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि ग्राहक को किसी भी चीज को उसी रूप में वापस करने का अधिकार है जिस रूप में उसे किसी दुकान या मॉल से खरीदा गया था। दुकानदार इसे वापस लेने से इनकार नहीं कर सकता है। देश में कई उपभोक्ता अदालतों ने भी समय-समय पर इस संबंध में महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं।

सामान वापसी से इनकार पर सज़ा

उपभोक्ता कानून के मुताबिक, बेचे गए सामान को अगर दुकानदार वापस लेने से इंकार करता है और दोषी पाया जाता है तो उसे जुर्माना और सजा भुगतनी पड़ सकती है। उपभोक्ता मंत्रालय भी वर्ष 1999 में सामान की बिक्री पर दी जाने वाली रसीद पर ‘बिका हुआ माल वापस नहीं होगा’ छापने पर रोक लगा चुका है, अर्थात उसे प्रतिबंधित कर चुका है। उपभोक्ता कानून के तहत कोई भी प्रोविजन स्टोर या फिर दुकानदार खराब सामान या उत्पाद को वापस लेने से इनकार नहीं कर सकता।

15 दिन है वापसी व रिफंड की सीमा

उपभोक्ता को खराब सामान को वापस करने का अधिकार है। इसी तरह अगर कोई सामान उपभोक्ता की जरूरत से मेल नहीं खाता है तो उसे भी जस का तस वापस करने का अधिकार उपभोक्ता के पास है। अगर कोई दुकानदार खरीदे गए सामान को वापस या फिर बदलकर देने से इनकार करता है तो उसकी शिकायत उपभोक्ता अदालत में कर सकते हैं। उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत कहा गया है कि अगर कोई सामान खराब है तो 15 दिन के अंदर इसे वापस किया जा सकता है।

आयोग में शिकायत का हक

ग्राहक को इस बात का पूरा अधिकार है कि वो खराब सामान के बदले पैसा रिफंड मांग सकता है या फिर रिप्लेस के लिए कह सकता है। यदि दुकानदार सामान वापस नहीं लेता है, तो जिला उपभोक्ता आयोग, राज्य उपभोक्ता आयोग या राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा, उपभोक्ता मामले मंत्रालय की वेबसाइट या उपभोक्ता हेल्पलाइन पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते है। जिसमें शिकायत से जुड़े दस्तावेज जैसे बिल का होना बहुत जरूरी है। इसके बाद उपभोक्ता अपनी कंप्लेंट ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन दर्ज करा सकता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत ग्राहक को यह हक है कि अगर कोई दुकानदार उसे खराब, नकली या गलत सामान देता है,तो वह इसकी शिकायत सक्षम मंच पर कर सकता है। चाहे वह सामान ऑनलाइन खरीदा गया हो या ऑफलाइन खरीदा गया हो। इसके लिए उपभोक्ता अपने जिले के उपभोक्ता आयोग में अपना केस फाइल कर सकते हैं।

जिला स्तर पर 50 लाख तक के केस

जिला उपभोक्ता आयोग में 50 लाख रुपये तक के केस की सुनवाई होती है। उपभोक्ता की ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन दर्ज शिकायत अगर विचारण के बाद जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा सही पाई जाती है, तो उसे खराब सामान की कीमत के साथ मुआवजा भी मिल सकता है। वहीं 50 लाख से ज्यादा व 2 करोड़ से कम मामलों की सुनवाई राज्य उपभोक्ता आयोग में व इससे अधिक के केस की सुनवाई राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में होती है।

   -लेखक उपभोक्ता मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।

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