राजस्थानी रंग में भीगा झीलों का शहर
उदयपुर, राजस्थान का खूबसूरत शहर, झीलों, पहाड़ों और हरियाली से घिरा है। बारिश में यह पूर्व का वेनिस कहलाता है, जो सस्ते और आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है।
आजकल राजस्थान का उदयपुर पर्यटकों के लिए बेहतरीन डेस्टिनेशन बना हुआ है। यहां पर जंगल भी हैं, पहाड़ भी और झीलों का तो यह शहर ही है। बारिश के मौसम में यह शहर अपनी खूबसूरती के कारण पूर्व का वेनिस कहलाता है। पहाड़ों पर हर कहीं हरियाली छा जाती है। झीलें पानी के कारण इतनी लबालब हो जाती हैं कि उनमें उठती लहरें एक मधुर संगीत सुनाती हैं। झीलों में वोटिंग का आनंद तो कुछ और ही होता है। राजस्थान में घूमने के लिए बारिश के सीजन में उदयपुर से बेहतरीन स्थान दूसरा नहीं है। अन्य शहरों के मुकाबले यह शहर काफी सस्ता भी है। उदयपुर चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। छोटे से शहर में आधा दर्जन से अधिक झीलें हैं और इनके किनारे ऊंची पहाड़ियों पर नीमच तथा मनसा करणी माता विराज रही हैं। शहर के बीच में स्थित सिटी पैलेस तथा गणगौर घाट इतिहास की दास्तां सुनाते हैं तो जगदीश मंदिर में आकर भगवान विष्णु के दर्शनों के बाद पहाड़ों पर जाने का मजा पूरा हो जाता है।
क्या देखें
उदयपुर लगभग दस किलोमीटर में बसा हुआ है। यहां की यात्रा के लिए दो दिन ही काफी हैं। पहले दिन आप यहां के ऐतिहासिक स्थलों को देख सकते हैं। इसमें सबसे पहले सिटी पैलेस का स्थान आता है। सिटी पैलेस में महाराणा प्रताप के साथ ही दूसरे राजाओं के संघर्ष की कहानी आप देख सकते हैं। कई खंडों में बंटे सिटी पैलेस को देखने के लिए आपको टिकट लेना होता है। यह टिकट दो प्रकार का होता है। एक से आप इसके चारों ओर घूम सकते हैं और दूसरे से आप सिटी पैलेस के साथ ही पिछोला झील भी देख सकते हैं। पिछोला झील के अंदर बने जग मंदिर में जाकर आपको ऐसा लगेगा कि आप किसी दूसरे देश में आ गए हैं। यहां पर एक रेस्टोरेंट भी है। वैसे अगर आप जग मंदिर नहीं जाना चाहते तो बेहतर होगा कि वोटिंग के लिए सरकारी नाव का प्रयोग करें।
सिटी पैलेस के पास ही है सहेलियों की बाड़ी जहां पर जाकर आप यहां पर रियासत कालीन फुब्बारों का आनंद ले सकते हैं और आपको रिमझिम बारिश का भरपूर आनंद मिलता है। यूं यहां पर बिन बादल बरसात में भीगने अपना ही मजा है। इसमें कमल तालाब देखकर पता चलता है कि यहां के महाराज ने इसका निर्माण अपनी रानियों के लिए कितनी खूबसूरती से कराया था। इसके पास ही जगदीश मंदिर भी जा सकते हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और उनके विग्रह के ठीक सामने गुरुण जी की बेहद सुंदर प्रतिमा स्थापित है। बागोर की हवेली भी एक ऐतिहासिक स्थल है लेकिन यहां पर आना शाम को सही रहता है। यहां पर होने वाला शो पूरी तरह से राजस्थानी कल्चर की नुमाइंदगी करता है तथा कठपुतली नृत्य तो इतनी शानदार तरीके से होता है कि दर्शक दांतों तले उंगली दबा लेते हैं। इसी दिन आप गणगौर घाट जाकर वहां पर नदी किनारे बैठने का आनंद ले सकते हैं। गणगौर घाट पर हर वर्ष माता गणगौर की सवारी आती है और पूरा उदयपुर ही उन्हें प्रणाम करने के लिए एकत्रित हो जाता है।
दूसरे दिन आप यहां के फतेह सागर का दीदार कर सकते हैं। यहां पर भी वोटिंग का आनंद लिया जा सकता है। इस झील के बीच में एक द्वीप है जहां पर जाकर आपको किसी समुद्र में होने का अहसास मिलता है तथा पार्क में तो तितलियां आदि आपका मन मोह लेती हैं। करणी माता मंदिर दूधतलाई के पास मचला मगरा की पहाड़ियों पर स्थित है तथा यहां पर जाने के लिए रोपवे की सुविधा है। खास बात यह है कि यहां पर बीकानेर के करणी माता मंदिर की तरह एक भी चूहा नहीं है और यहां से आप एक नजर में ही पिछोला झील तथा फतेहसागर का नजारा ले सकते हैं। यहां पर प्रज्जवलित ज्योत बीकानेर के करणी माता मंदिर से ही लाई गई है। फतेह सागर के दूसरे किनारे पर नीमच माता की मंदिर है और यहां पर भी पहुंचने के लिए आपको रोपवे की सुविधा मिल जाती है। शाम की आरती में यहां शामिल होना ऐसा लगता है जैसे माता वैष्णो के मंदिर परिसर में हों। एकलिंगी भगवान का मंदिर शिव को समर्पित है और लोकल वाहन से ही आप जाकर आ सकते हैं। यदि आप यहां जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि यहां पर वस्त्र सलीके से हों।
कैसे और कब जाएं, कहां रुकें
यहां आने के लिए पूरे भारत से रेल, बस तथा हवाई जहाज की सेवाएं उपलब्ध हैं। जयपुर आकर भी जाया जा सकता है। गर्मियों में यहां का मौसम चिपचिपा रहता है इसलिए बेहतर है कि सर्दियों में जाएं। बारिश के मौसम यहां आने के लिए सबसे बेहतर है। शहर साफ-सफाई के मामले में बेहतर है। यहां पर गली-गली में होटल और धर्मशालाएं हैं। राजस्थान पर्यटन के कजरी तथा आनंद भवन बेहतर हैं। यहां आकर दाल-बाटी-चूरमे का आनंद तो ले ही साथ ही यहां की खास अलसी की मठरी ले जाना ना भूलें। यहां की मलमल की साड़ी रेश्मी अहसास के लिए पूरी दुनिया में जानी जाती है।
चित्र लेखक