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प्रेग्नेंसी में रखें दांतों की सफाई का खास ध्यान

ओरल हाइजीन
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कई महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान ओरल हाइजीन यानी दांतों और मुंह की सफाई को नजरअंदाज करती हैं जिससे उन्हें मुंह में कई सेहत समस्याएं हो सकती हैं जैसे दांतों में प्लाक, कैविटी, पायरिया व छाले आदि। ये दिक्कतें मां व बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। ओरल हाइजीन कैसे मेंटेन करें, क्या एहतियात रखें, इसी विषय पर दिल्ली स्थित वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ. कीर्ति अग्रवाल से रजनी अरोड़ा की बातचीत।

गर्भावस्था में महिला के शरीर के हार्मोंस में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं जो प्रसव के समय तक जारी रहते हैं। इस वजह से मुंह में मौजूद बैक्टीरिया ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। महिलाओं को जब खाने की क्रेविंग होती है तो वे वक्त-बेवक्त खाती रहती हैं। लेकिन जानते हुए भी कई महिलाएं ओरल हाइजीन या दांतों और मुंह की सफाई को नजरअंदाज कर जाती हैं। इस वजह से उन्हें मुंह की सेहत संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

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ठीक तरह ब्रश न करने पर दांतों में प्लाक जमना शुरू हो जाता है। कैविटी बन जाती है जो धीरे-धीरे बढ़ कर दांतों को अंदर से कमजोर कर देती है। इससे दांत हिलने लगते हैं और उपचार न हो तो वे गिर भी सकते हैं। इस अवस्था को पैराडोंटाइटिस या पायरिया कहा जाता है। मुंह की सफाई ठीक तरह न हो पाने के कारण वे जिंजीवाइटिस का शिकार हो जाती हैं यानी दांतों में दर्द, मसूड़ों में सूजन, खून बहना, मुंह से बदबू आने लगती है। कुछ महिलाओं के मसूड़ों या अंदरूनी गालों पर छाले या अल्सर हो जाते हैं। गर्भावस्था में कुछ महिलाओं को जी मितलाना, उल्टी की शिकायत रहती है, जिसकी वजह से टीथ इरोजन होता है।

गर्भस्थ शिशु पर असर

जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान पायरिया जैसी मसूड़ों की समस्या ज्यादा होती है, उन्हें समय-पूर्व प्रसव होने, बच्चे का वजन काफी कम होने और बच्चे का समुचित विकास न होने की आशंका बढ़ जाती है। अगर महिला की ओरल हेल्थ अच्छी नहीं है, तो बच्चे के दांतों में अर्ली चाइल्डहुड कैविटी का खतरा रहता है।

ये होता है रिस्क

दिक्कत तब और बढ़ जाती है, जब मुख संबंधी या दंत रोग से पीड़ित होने के बावजूद गर्भवती समुचित उपचार नहीं करा पातीं। गर्भावस्था में महिला को पेन किलर या एंटीबायोटिक दवाइयां देना, एक्स-रे करवाना, दांत निकालने जैसी प्रक्रिया में जच्चा-बच्चा के लिए नुकसानदेह होता है। अगर डेंटल ट्रीटमेंट करवाना जरूरी हो, तो उसे गर्भावस्था की पहली और तीसरी तिमाही में बिल्कुल नहीं करवाना चाहिए। क्योंकि पहली तिमाही में गर्भ में बच्चे के ऑर्गन बन रहे होते हैं, डेंटल ट्रीटमेंट का स्ट्रेस बच्चे पर पड़ सकता है और उसका विकास अवरुद्ध हो सकता है। तीसरी तिमाही में डेंटल ट्रीटमेंट कराने पर महिला को फाइन हाइपोटेंशन सिंड्रोम यानी घबराहट, ब्लड प्रेशर कम या ज्यादा हो सकता है। हालांकि दूसरी तिमाही डेंटल ट्रीटमेंट करवाने के लिए सेफ है। फिर भी पूरी एहतियात जरूरी है। इसमें नॉन-इनवेसिव इंस्ट्रूमेंट डेंटल ट्रीटमेंट ही करवा सकती हैं। सर्जरी, रूट कनाल, दांत निकालना केवल एमरजेंसी में ही चुनें तो बेहतर है।

कैसे रखें ओरल हाइजीन का ध्यान

गर्भवती महिलाओ को अपनी ओरल हेल्थ पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। बेहतर ओरल हेल्थ मैंटेन करने को कुछ स्वस्थ आदतें अपनाएं :

दिन में दो बार ब्रश

दिन में दो बार खासकर सोने से पहले अच्छी तरह ब्रश जरूर करें। छोटे हैड वाला सॉफ्ट ब्रश लेना चाहिए जो पीछे के अकल दाढ़ तक आसानी से पहुंच पाए। फ्लोराइडयुक्त टुथपेस्ट इस्तेमाल करना बेस्ट है। फ्लोराइड दांतों को रिपेयर करती है व कीड़ा लगने की संभावना कम रहती है। ब्रश सही तरीके से करें। यानी पीछे के दांतों में धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाते हुए और आगे के दांतों को अंदर से बाहर की तरफ ब्रश करें। ज्यादा रगड़ कर ब्रश करने से दांतों का एनेमल घिस जाता है। रोजाना जीभ जरूर साफ करें। इससे जीभ पर बैक्टीरिया पनपने की संभावना नहीं होती।

गुनगुने नमक वाले पानी से कुल्ला

कुछ भी खाने के बाद कुल्ला करें। रात को सोने से पहले गुनगुने पानी में नमक डालकर कुल्ला जरूर करें। इससे माउथ वॉश तो होता ही है, मसूड़ों की सेंसिटिविटी कम होती है। माउथ वॉश से भी कुल्ला कर सकती हैं जिसके लिए डेंटिस्ट से परामर्श लेना बेहतर है।

इंटर डेंटल क्लीनिंग

दो दांतों के बीच की जगह या इंटर डेंटल क्लीनिंग के लिए फ्लॉसिंग रात को ब्रश करने से पहले नियमित रूप से करें। क्योंकि कई बार ब्रश करने के बावजूद दांतों के बीच में कुछ फंसा रह जाता है, तो वह दांतों में धीरे-धीरे सड़न पैदा कर देता है और दांत में समस्याएं होने लगती हैं।

खाली पेट ऑयल पुलिंग

मसूड़ों की हेल्दी रखने के लिए सुबह खाली पेट ऑयल पुलिंग करना बेस्ट है। वर्जन कोकोनेट ऑयल या सरसों के तेल से कुल्ला किया जाता है। थोड़ा-सा ऑयल मुंह में लेकर चारों तरफ घुमाएं, कुछ समय बाद निकाल दें।

खाते-पीते रहना

गर्भवती महिला को लंबे समय तक भूखे नहीं रहना चाहिए, कुछ न कुछ खाते-पीते रहना चाहिए ताकि मुंह ड्राई न हो। इससे दांतों में कैविटी होने की संभावना रहती है। लेकिन जहां तक संभव हो जंक फूड या फास्ट फूड अवॉयड करें। दिन में ज्यादा से ज्यादा पानी और अन्य लिक्विड डाइट लें। वहीं एल्कोहल और स्मोकिंग से परहेज करें।

कैल्शियम और फोलिक एसिड रिच डाइट

कैल्शियम और फोलिक एसिड रिच डाइट का सेवन जरूर करें। यह जच्चा-बच्चा दोनों के दांत और हड्डियां को मजबूत रखने में सहायक है। डॉक्टर के परामर्श पर सप्लीमेंट भी ले सकती हैं। दांत में कैविटी होने का पता चलता है तो जल्द उपचार करा लें। शुरुआती स्टेज पर कैविटी होने पर ही उसकी फिलिंग या समुचित उपचार कराया जाए। महिलाओं को प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले ही ओरल हेल्थ चेकअप हेतु डेंटिस्ट के पास जाना चाहिए। इससे प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें ओरल हेल्थ संबंधी दिक्कत नहीं होगी।

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