शिवेंदु प्रताप सिंह सोलंकी
वसंत की आहट सुनाई देने लगी है। पेड़-पौधों पर नयी कोपलों का मौसम। कुछ ही दिनों में आम के पेड़ों पर कोहर (बौर) आना शुरू हो जाएगा। आम की बेहतरीन फसल के लिए कई चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है ताकि इसके बागवानों को अच्छा मुनाफा मिल सके। आम को जो सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है, वह है ‘मीली बग।’ यह एक सफ़ेद रंग का कीट होता है जो आपको कोहर एवं टहनियों में चारों तरफ लिपटा हुआ आसानी से नजर आ जाएगा। इस कीट के प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि आम के बाग में पेड़ों के आस पास अच्छी प्रकार से सफाई करके मिट्टी में प्रति पेड 250 ग्राम क्लोरोपायरीफास 1.5-डी पाउडर का छिड़काव कर देना चाहिए। मीली बग कीट पेड़ पर न चढ़ सकें इसके लिए 45 से 50 सेमी चौड़ाई की पॉलिथीन शीट को आम के मुख्य तने के चारों तरफ सुतली से बांध देना चाहिए, और हो सके तो पॉलिथीन शीट के ऊपर थोड़ी मात्रा में ग्रीस भी लगा देना चाहिए। इस प्रकार मिली बग कीट को पेड़ पर चढ़ने से रोका जा सकता है। यूं तो दवा का छिड़काव जनवरी के अंत तक हो जाता है, लेकिन अगर आपने पहले से इस उपाय को नहीं अपनाया है और कीट पहले से ही पेड़ पर मौजूद है तब इसकी रोकथाम के लिए आपको डाएमेथोएट 30 ईसी या क्विनाल्फोस 25 ईसी कीटनाशक का 1.5 मिली प्रति लीटर या प्रोफेनोफोस 1 मिली प्रति लीटर की दर से पानी में घोलकर अच्छी प्रकार से छिड़काव करना चाहिए। अगर एक बार स्प्रे करने के बाद भी कीट नियंत्रण न हो तो 10 दिन के उपरांत इन्हीं कीटनाशक का दोबारा प्रयोग करें।
… ताकि पैदावार अच्छी हो
आम के बाग़ में कोहर के गुच्छा-मुच्छा रोग से ग्रस्त होने से भी काफी नुक्सान होता है ऐसे में गुच्छा मुच्छा रोग से ग्रस्त कोहर को काट कर पेड़ से अलग कर दिया जाना चाहिए ताकि वह आगे कोहर को प्रभावित न कर पाए। आम के बागों में आमतौर पर हापर या तेला कीट का प्रकोप भी देखा जाता है जो कोहर को बुरी तरह से ख़राब कर देते हैं। अगर हम इनकी पहचान की बात करें तो इन्हे बाग के आस-पास झुंड में भिनभिनाते हुए आसानी से देखा जा सकता है। यदि इन कीटों को प्रबंन्धित न किया जाए तो ये कोहर से रस चूस लेते हैं तथा कोहर झड़ जाता है। जब प्रति कोहर 10-12 तेला दिखाई दे तब हमें इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 1 मीली दवा प्रति लीटर की दर से पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। यह छिड़काव फूल खिलने से पूर्व करना चाहिए अन्यथा बाग में आने वाले मधुमक्खी के कीड़े प्रभावित होते हैं जिससे परागण कम होता है तथा उपज प्रभावित होती है। इसके अतिरिक्त बाग़ में पाउडरी मिल्डयू (बोर एवं पत्तियों पर सफ़ेद रंग का पाउडर दिखे तो) रोग का प्रबंधन भी अति आवश्यक है जिसके लिए कोहर आने के पूर्व घुलनशील गंधक 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जाना चाहिए। जब पूरी तरह से फल लग जाये तब इस रोग के प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाजोल 1 मीली प्रति लीटर पानी में घोलकर बनाकर छिड़काव किया जाना चाहिए।
सिंचाई के साथ मधुमक्खी भी हैं जरूरी
आम के बाग़ से अधिक पैदावार लेने के लिए अन्य प्रबंधन क्रियाओं के साथ साथ सिंचाई का भी अति महत्व है। पौधे पर कोहर आने के बाद जब फल मटर के दाने के बराबर हो जाते हैं तो सिंचाई प्रारम्भ कर देनी चाहिए। जहां पर फल मक्खी की समस्या गंभीर हो, वहां इसके नियंत्रण के लिए 16 ट्रैप प्रति एकड़ फ्रूट फ्लाई फेरोमन ट्रैप का प्रयोग करना चाहिए। आम के बाग के आस-पास यदि ईंट के भट्टे हों तो आम के फल का निचला हिस्सा काला पड़ जाता है या फल फटने की समस्या पाई जाती है। इसके नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि बोरेक्स 10 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव अप्रैल माह के अंत में करना चाहिए। बाग में यदि तना छेदक कीट या पत्ती काटने वाले कीट की समस्या हो तो क्विनालफोस 25 ईसी 2 मीली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा किसान भाइयों को आम के बाग़ में छोटे फलों के टूटकर गिरने की समस्या का भी आमतौर पर सामना करना पड़ता है इसकी रोकथाम के लिए बाग़ में प्लेनोफिक्स 1 मिली दवा प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से काफी हद तक फल के गिरने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आम के बाग से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए बाग में मधुमक्खी के बक्से रखना काफी प्रभावी होता है क्योंकि मधुमक्खी परागण प्रक्रिया को अच्छी प्रकार से करती है जिससे फल अधिक मात्रा में लगता है।