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Sun Charged Water रंगीन बोतलों में धूप की जीवनी शक्ति

सूर्य-तप्त जल से रोगों में राहत
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सन चार्ज्ड वाटर तैयार करने को कांच की बोतलें
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सूरज को जिंदगी और ऊर्जा का स्रोत मानकर भारत में सुबह ही सूर्य नमस्कार व जल-अर्पण करने की परंपरा रही है। इसके मूल में कई अन्य पहलुओं के अलावा स्वास्थ्य लाभ भी हैं। आयुर्वेद में सूर्य तप्त जल यानी सन चार्ज्ड वॉटर से रोगों की चिकित्सा भी ऐसी ही नेमत है। यह जल अलग-अलग रंगों की बोतलों में भरकर धूप में रखकर तपाया जाता है। हरेक रंग के अपने-अपने चिकित्सीय लाभ हैं।

रोजी गुलाटी

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पानी को सीधे धूप यानी सूर्य के प्रकाश में रखने से जो जल प्राप्त होता है उसे सन चार्ज्ड वॉटर कहा जाता है। दरअसल प्लास्टिक की बोतलों और टैंकों में स्टोर किये पानी को आयुर्वेद सेहतमंद नहीं मानता और मृत पानी की संज्ञा दी जाती है। वहीं जब धूप पानी पर पड़ती है तो पानी में हेल्दी एलिमेंट्स व वेव्स पैदा हो जाती हैं जो रोगाणुओं से लड़ती हैं और हमें आरोग्य प्रदायक जल मिलता है। नदी, तालाब व कुएं के जल में तो यह स्वत: ही होता है वहीं नल से प्राप्त जल के हम कांच की बोतलों में भरकर धूप में रखकर चार्ज कर सकते हैं। आयुर्वेद के अनुसार सन चार्ज्ड वॉटर सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना गया है। सन चार्ज्ड वॉटर सूरज की किरणों के सामने रखकर तैयार किया गया पानी है। प्राय सभी जानते हैं कि सूरज के प्रकाश यानी धूप में सात तरह के रंग होते हैं। हर रंग शरीर के लिए बहुत अधिक फायदेमंद है। इसका इस्तेमाल शरीर से तमाम तरह की बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है।

सन चार्ज्ड वॉटर के फायदे

सूर्य के प्रकाश में पायी जाने वाली यूवी किरणों के कारण पानी का माइक्रोबियल लोड कम हो जाता है। कांच की बोतल में पानी रखकर सूरज की रोशनी में रखने से इसके गुण पानी में समाहित हो जाते हैं। जानिये बोतलों में भरकर धूप में तपाये गये पानी यानी सन चार्ज्ड वॉटर के फायदे -

सूजन से राहत

धूप में रखकर उस जल का सेवन करने से शरीर में एनर्जी बढ़ती है और सूजन की समस्या को दूर करने में लाभ मिलता है।

स्किन और आंखों को फायदा

सन चार्ज्ड वॉटर में मौजूद एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण स्किन और आंखों के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। दरअसल जब पाचन ठीक होकर आंतरिक स्वास्थ्य सुधरता है तो बाहर त्वचा पर उसका असर आयेगा ही। इस पानी को पीने के अलावा नीम व तुलसी डालकर चेहरा भी धो सकते हैं।

पाचन सुचारु करने और पेट के रोगों की औषधि

धूप में रखे पानी के सेवन से पाचन अग्नि बहुत तेजी से बढ़ती है और पेट की समस्या जैसे एसिडिटी, पेट के अल्सर और पेट में कीड़ों संबंधी दिक्कतों में फायदा मिलता है। दरअसल आयुर्वेअ में यह पानी अमा यानी टॉक्सिन्स दूर करने वाला माना जाता है। ऐसे ही सन चार्ज्ड वाटर बच्चों के बिस्तर में पेशाब करने की समस्या में भी बहुत फायदेमंद है।

सन चार्ज्ड वाटर ऐसे करें तैयार

सन चार्ज्ड वाटर को आप आसानी से घर पर तैयार कर सकते हैं। इस पानी को बोल में भरकर धूप में कम से कम 8 घंटे के लिए रखा जाता है। यदि इसे ओर ज्यादा प्रभावी बनाना चाहें तो तीन दिन 8-8 घंटे धूप में रखें। इसके बाद इसे फ्रिज में बिल्कुल भी न रखें क्योंकि ऐसा करने से इस पानी की न्यूट्रिशनल खासियत नष्ट हो सकती है।

अलग-अलग रंगों के फायदे

अलग-अलग रंगों की कांच की बोतलों में धूप में रखकर तपाये गये पानी के अलग-अलग तरह के चिकित्सीय लाभ हैं। जानिये किस हेल्थ बेनिफिट के लिए कौनसे रंग की कांच बोतल में पानी रखकर धूप में तपायें-

लाल रंग की बोतल : इसमें रखा पानी पेट में गैस, खून की कमी, लीवर की सूजन, पीठ दर्द आदि रोग में लाभदायक होता है।

हरे रंग की बोतल : ऐसे तप्त पानी से गुर्दे की पथरी, हाईब्लड प्रेशर, मुंह के छाले और कब्ज आदि से छुटकारा मिलता है। आंखों के लिए हरा रंग विशेष लाभदायक होता है।

पीले रंग की बोतल : पीले रंग की बोतल में रखकर सन चार्ज्ड वाटर फैटी लिवर के रोग को दूर करता है। पाचन शक्ति को भी बढ़ाता है। कैल्शियम डी3 की कमी को पूरा करता है

नीले रंग की बोतल : नीला रंग वाला पानी शरीर की जल को शांत करता है। गर्मी के कारण सिर में दर्द, नींद नहीं आना, पेशाब रुक कर आना आदि बीमारियों के लिए फायदेमंद है।

सफेद रंग की बोतल : इसमें रखा सन चार्ज्ड पानी पीने से हड्डियों की कमजोरी दूर होती है। ऐसे पानी में कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है। यह पानी सभी उम्र के लोगों के लिए अच्छा टॉनिक की तरह काम करता है। हाई ब्लड प्रेशर में भी फायदेमंद है।

ध्यान रखने योग्य बातें

खास ख्याल रखें कि नीले रंग और लाल रंग का पानी साथ में प्रयोग में नहीं लाएं। वहीं कुछ लोगों के पानी का स्वाद हो सकता है शुरुआत में अच्छा न लगे। ऐसे में धीरे-धीरे सन चार्ज्ड पानी पाने की आदत डालें। यह भी कि बोतल अच्छी तरह धोकर साफ करके ही पानी धूप में रखें। वहीं यदि किसी खास बीमारी में सन चार्ज्ड पानी प्रयोग में लाना है तो पहले डॉक्टर , वैद्य या फिर नैचुरोपैथ से सलाह ले लें।

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