मदन गुप्ता सपाटू
2020 में सामाजिक जीवन के साथ-साथ धार्मिक गतिविधियों में भी अप्रत्याशित परिवर्तन हुए हैं। श्राद्ध के अगले दिन आरंभ होने वाले नवरात्र एक महीने बाद शुरू हुए। चौमासा पंचमासा में बदल गया, तो दिवाली के पंच पर्व 4 दिवसीय हो गये हैं। इस बार नरक चौदस और दिवाली एक ही दिन है। ज्योतिषीय दृष्टि से खास बात यह कि दिवाली पर गुरु ग्रह स्वराशि धनु में, शनि भी अपनी मकर राशि में और शुक्र ग्रह कन्या में होगा। ऐसा दुर्लभ संयोग लगभग 500 साल पहले 1521 में बना था। गुरु और शनि की स्थिति, देश की आर्थिक स्थिति में सुधार के संकेत दे रही है।
खरीदारी का शुभ मुहूर्त : धनतेरस दिवाली के आगमन की सूचना देता है। इस दिन बर्तन, आभूषण खरीदने की परंपरा है। धनतेरस के दिन बाजार से नया बर्तन खाली न लाएं, उसमें मिठाई या फल भर कर घर लाएं। शुक्रवार 13 नवंबर को शाम 5.30 से 7.30 बजे तक खरीदारी का शुभ मुहूर्त है। प्रदोष काल शाम 5.30 से 8 बजे तक रहेगा।
धनतेरस के अगले दिन है नरक चौदस, रूप चौदस और दिवाली। इस दिन अपने शरीर और घर की अच्छी तरह सफाई करें। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की रात महालक्ष्मी स्वयं भूलोक पर आती हैं। इस दौरान जो घर हर प्रकार से स्वच्छ और प्रकाशवान हो, वहां वे अंश रूप में ठहर जाती हैं। इसलिए दिवाली पर साफ-सफाई करके विधि विधान से पूजन करने से माता महालक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त 14 नवंबर की शाम 5:28 से 7:24 बजे तक रहेगा। प्रदोष काल मुहूर्त शाम 5:28 से रात 8:07 बजे तक है।
16 नवंबर को भाई दूज के दिन तिलक का मुहूर्त दोपहर 01:10 से 3:30 बजे तक रहेगा। यम द्वितीया के इस दिन गंगा या यमुना में स्नान करने की भी परंपरा है।
अनहोनी से रक्षा का व्रत अहोई अष्टमी
आज अहोई अष्टमी है। अहोई, अनहोनी शब्द का अपभ्रंश है। अनहोनी को टालने वाली माता देवी पार्वती हैं। इसलिए अहोई अष्टमी के दिन मां पार्वती की पूजा-अर्चना का भी विधान है। अपनी संतानों की दीर्घायु और अनहोनी से रक्षा के लिए महिलाएं ये व्रत रखकर साही माता एवं भगवती पार्वती से आशीष मांगती हैं। अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद आता है। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माताएं अपने वंश के संचालक पुत्र अथवा पुत्री की दीर्घायु व प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए यह व्रत रखती हैं। शाम के समय अहोई माता की पूजा अर्चना की जाती है। फिर रात को तारों को अर्घ्य देकर आरती की जाती है। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखने से संतान के कष्टों का निवारण होता है।