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कामयाबी को चाहिये परफेक्ट पर्सनैलिटी

सफलता के लिए अच्छी पर्सनैलिटी मददगार मानी जाती है। इसके लिए ग्रूमिंग संस्थानों में कोर्स कराये जाते हैं ताकि व्यक्तित्व में आत्मविश्वास नजर आये। इनके तहत प्रभावी तरीके से उठने-बैठने, बातचीत, एटीकेट्स , ड्रेस सेंस व मेकअप आदि की...
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सफलता के लिए अच्छी पर्सनैलिटी मददगार मानी जाती है। इसके लिए ग्रूमिंग संस्थानों में कोर्स कराये जाते हैं ताकि व्यक्तित्व में आत्मविश्वास नजर आये। इनके तहत प्रभावी तरीके से उठने-बैठने, बातचीत, एटीकेट्स , ड्रेस सेंस व मेकअप आदि की ट्रेनिंग दी जाती है।

कीर्तिशेखर

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आज के इस प्रतिस्पर्धात्मक दौर में खुद को साबित करने के कार्यस्थल में अच्छी पर्सनैलिटी की जरूरत होती है जिसके तहत आप का सलीके से उठना-बैठना, बातचीत करना, एटीकेट्स, ड्रेससेंस, मेकअप आते हैं। इन सबके अलावा जनरल नॉलेज तथा करेंट अफेयर्स की समझ रखना यानी अपडेट होना जरूरी है। यह भी जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति में सभी कुछ ठीक या परफेक्ट ही हो। कुछ लोग पढ़े-लिखे तो बहुत होते हैं पर दूसरों को अपनी बात ठीक से समझा नहीं पाते, तो कुछ की बॉडी लैंग्वेज सही नहीं होती, सही ड्रेससेंस नहीं होती वहीं कुछ सोशल गैदरिंग में सही तरीके से बातचीत नहीं कर पाते। अपनी छोटी-छोटी कमियों को दूर करने और दबी-छिपी खूबियों को निखारने से ही बनती है एक अच्छी पर्सनैलिटी।

ग्रूमिंग करने के उपाय

पर्सनैलिटी निखारने के लिए हर छोटे-बड़े शहर में ग्रूमिंग संस्थान हैं। इनमें आमतौर पर दो तरह के पाठ्यक्रम कराये जाते हैं - पहला उन लोगों के लिए जो सामान्य तौरपर अपनी पर्सनैलिटी निखारना चाहते हैं और दूसरा उन युवक-युवतियों के लिए जो मॉडल बनने के इच्छुक होते हैं। दोनों ही में बॉडी लैंग्वेज, टेबल मैनर्स, बोलने की कला, चाल ढाल और पोश्चर, हेयर एंड मेकअप, स्किन केयर और डाइट, ड्रेससेंस और वार्डरोब आदि के बारे में बताया जाता है। जो युवा मॉडल बनना चाहते हैं उन्हें रैंप मॉडलिंग, कैमरे के आगे कैसे अच्छा दिखें आदि तकनीक सिखायी जाती है। लेकिन जो युवा जिंदगी में कामयाबी चाहते हैं और कार्यक्षेत्र में आत्मविश्वास से लबरेज दिखना चाहते हैं उनके लिए जो परफेक्टनेस चाहिये वह किसी बंधे-बंधाए सूत्र से नहीं आती बल्कि मेहनत करने और चीजों को ईमानदारी से स्वीकारने से आती है।

एक-दो सप्ताह की समर वर्कशॉप

पर्सनैलिटी निखारने वाले संस्थान आमतौर पर गर्मियों की छुट्टी में युवकों के लिए 4-5 दिनों या एक-दो सप्ताह की वर्कशॉप लगाते हैं जिसमें उन्हें टेबल मैनर्स,एटीकेट्स, पब्लिक स्पीकिंग, कान्फिडेंस बिल्डिंग आदि सिखाया जाता है। कोई न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य नहीं होती। अमूमन 16-17 साल से ऊपर के युवा इनमें प्रवेश ले सकते हैं। व्यक्ति अंग्रेजी और हिंदी ठीक से समझ और बोल सके। प्रशिक्षण में हिंदी व अंग्रेजी का मिला-जुला इस्तेमाल होता है। एक ग्रुप में आमतौर पर 20 से अधिक लोगों को नहीं रखा जाता ताकि प्रत्येक व्यक्ति पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दिया जा सके। पर्सनैलिटी ग्रूमिंग या मॉडलिंग का कोर्स आमतौर पर मात्र 1 महीने का होता है। वास्तव में इन संस्थानों में किसी के समग्रता में व्यक्तित्व विकास के लिए ये कुछ चीजें सिखाई जाती हैं

अभिवादन करने की कला

आप कहेंगे नमस्ते करना भी क्या सीखने या सिखाने की बात होती है ? क्योंकि हम लोग तो बचपन से नमस्ते करना जानते होते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। इन संस्थानों में नमस्ते करने का जो ढंग सिखाया जाता है, उसके मुताबिक दोनों हाथों को बराबर जोड़ें। अंगूठे आप के सीने से लगे होने चाहिए जबकि सिर को थोड़ा झुकाते हुए नमस्ते करें। इस दौरान पीठ सीधी रहनी चाहिए।

हाथ मिलाने की कला

यदि कोई हाथ मिलाने के लिए अपना हाथ बढ़ाए तो उस समय हाथ जोड़कर नमस्ते न करें तो बेहतर है। सदैव सीधा हाथ मिलाना चाहिए। सिर्फ हाथ की उंगलियां नहीं वरन आगंतुक की हथेली के साथ अपनी हथेली को जोड़ते हुए हलके दबाव के साथ 2 बार ऊपर-नीचे करते हुए बीच में लाकर छोड़ दें। यह क्रिया 3 सेकंड के अंदर संपन्न हो जानी चाहिए।

मुलाक़ात का सही पोश्चर

आकर्षक व्यक्तित्व के लिए सही पोश्चर में कैसे रहा जाए,यह जानना बहुत जरूरी होता है। सही पोश्चर न अपनाने से व्यक्तित्व के आकर्षण में तो कमी आती ही है साथ ही पीठ संबंधी विकार होने की भी संभावना रहती है। व्यक्तित्व विकास संस्थानों में सिखाया जाता है कि न तो सीना तानकर चलना चाहिए व न आपकी चाल-ढाल या पोश्चर में दब्बूपन टपकना चाहिए बल्कि आत्मविश्वास छलकना चाहिए।

गोल्डन पोश्चर

अगर आपसे कोई पूछे कि परफेक्ट पर्सनैलिटी का कोई एक गोल्डन पोश्चर क्या होगा, तो वह होगा-नैचुरल स्ट्रेट पोश्चर विद ओपन चेस्ट एंड रिलैक्स्ड शोल्डर्स, मतलब- रीढ़ सीधी हो, न ज़्यादा तनी हुई, न झुकी हुई। पुरुषों की छाती हल्की खुली हुई– इससेआत्मविश्वास दिखता है, कंधे रिलैक्स्ड – न बहुत टाइट, न ढीले, ठुड्डी ज़मीन के समानांतर– निगाहें सामने, आत्म-आश्वस्त, हाथों की स्थिति ओपन– हाथों को छुपाना या जेब में रखना बचाव की मुद्रा मानी जाती है। किसी व्यक्ति के इस पोश्चर को आत्मविश्वासी, सुलझा हुआ, और संपर्क के लिए खुला समझा जाता है- यही परफेक्ट पर्सनैलिटी की पहली झलक है। -इ.रि.सें.

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