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उत्कटासन से तन-मन को मजबूती

उत्कटासन के जरिये शरीर में शक्ति और सहनशक्ति दोनों पैदा होती हैं। इसका नियमित अभ्यास करने पर पैरों, घुटनों, जांघों और रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है। हार्ट और लंग्स की गतिविधियों को भी यह बेहतर बनाता है, जिससे...
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उत्कटासन के जरिये शरीर में शक्ति और सहनशक्ति दोनों पैदा होती हैं। इसका नियमित अभ्यास करने पर पैरों, घुटनों, जांघों और रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है। हार्ट और लंग्स की गतिविधियों को भी यह बेहतर बनाता है, जिससे हृदय गति और श्वसन बेहतर होते हैं।

योग परंपरा का बेहद महत्वपूर्ण आसन है उत्कटासन। इसे संस्कृत में उत्कट यानी कठिन और आसन यानी मुद्रा कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे चेयर पोज भी कहते हैं। उत्काटासन तन और मन दोनों के लिए ही बहुत ही अच्छा आसन माना जाता है।

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उत्काटासन के जरिये शरीर में शक्ति और सहनशक्ति दोनों पैदा होती हैं। यह आसन नियमित करने पर पैरों, घुटनों, जांघों और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है। हार्ट और लंग्स यानी फेफड़ों की गतिविधियों को भी यह बेहतर बनाता है, जिससे हृदय गति और श्वसन बेहतर होते हैं। इस आसन के जरिये हार्मोनल बैलेंस को भी सुधार सकते हैं। यह एड्रिनल ग्लैंड को सक्रिय करता है जिससे शरीर में ऊर्जा और सतर्कता बढ़ती है। इस आसन को नियमित तौरपर करने से हमारा मेटाबॉलिज्म सक्रिय होता है और कैलोरी बर्न होती है, जिससे मोटापा से राहत मिलती है।

उत्कटासन के स्वास्थ्य लाभ

नियमित तौरपर उत्काटासन करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं तथा घुटनों और पैरों की कमजोरी दूर होती है। इससे पीठ दर्द में आराम मिलता है क्योंकि उत्कटासन करने से रीढ़ और पीठ को सपोर्ट मिलता है। नियमित रूप से उत्कटासन करने पर थकान और सुस्ती दूर होती है। इससे पेट की चर्बी को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही यह ब्लड शुगर कंट्रोल तथा ग्रंथियों की एक्टिविटी बढ़ाता है। लेकिन ध्यान रखें, जिन लोगों को पहले से ही घुटनों का गंभीर दर्द हो, हृदय रोग हो या हाल में ही उनकी कोई सर्जरी हुई हो, ऐसे लोगों को उत्कटासन नहीं करना चाहिए। अगर ऐसे लोग करें भी तो सबसे पहले डॉक्टर से इसकी गंभीरतापूर्वक अनुमति ले लेनी चाहिए।

सही ढंग से आसन ऐसे करें

किसी भी योगाभ्यास का पूरा फायदा तभी मिलता है, जब उसे स्टेप बाई स्टेप पूर्णतः सही तरीके से किया जाए। अगर योगासन करने का तरीका सही न हो, तो फायदा होने की जगह नुकसान होते हैं। बहरहाल उत्कटासन को चरण-दर-चरण सही तरीके से करने के लिए इसकी शुरुआत ताड़ासन से करनी चाहिए। ताड़ासन के लिए दोनों पैरों को मिलाकर बिल्कुल सीधे खड़े हो जाएं। गहरी श्वास लें और हाथ ऊपर उठाएं। अब दोनों हाथ कानों के पास या ऊपर जोड़कर रखें। कुछ क्षणों के बाद श्वास छोड़ते हुए बैठने जैसा झुकें यानी ऐसे झुकें मानो कुर्सी पर बैठ रहे हों। इस समय आपकी जांघें जमीन के लगभग समानांतर होनी चाहिए। घुटने आगे की ओर हों मगर पंजों से बाहर न जाएं। रीढ़ सीधी रखें और कंधों को ढीला छोड़ दें। इस बात की सजगता बरतें कि इस दौरान आपकी नजरें बिल्कुल सामने हों, गर्दन तनी न हो और मुद्रा सहज हो। इस मुद्रा में 30 से 60 सेकंड तक आराम से जितना ठहर सकें, उतना ठहरें। इस दौरान सांसों को पूरी तरह सामान्य रखें। इसके बाद धीरे-धीरे फिर से वापस खड़े हो जाएं। कुछ देर के बाद यही क्रम एक बार फिर से दोहराएं।

उत्कटासन की शुरुआत में बेहतर होगा यह आसन किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में करें और जब आसानी से करने लगें, तब भले अकेले करना शुरू कर दें। शुरुआत में तीन बार आसन की मुद्रा को दोहराएं। बाद में जैसे जैसे अभ्यस्त हो जाएं, अपनी क्षमता के मुताबिक उत्कटासन मुद्रा में रहने का अपना समय निर्धारित करें और कितनी बार करना है, इसे भी तय करें। लेकिन कोई भी आसन पांच-छह बार से ज्यादा नहीं दोहराना चाहिए।

इसलिए है जरूरी

उत्कटासन हमारी मसल्स को सक्रिय करता है, जिसके कारण हैमस्ट्रिंग, ग्लूट्स और स्पाइन स्टैब्लाइजर्स (कूल्हे के आसपास) सक्रिय होते हैं, जिस कारण मांसपेशियों में मजबूती और लचीलापन आता है। नियमित तौरपर यह आसन करने पर हमारी कार्डियो-रेस्पिरेटरी ट्रेनिंग बेहतर होती है, जिससे हममें ऑक्सीजन ग्रहणकी क्षमता बढ़ती है। इससे हार्ट और लंग्स की क्षमता में भी सुधार होता है। साथ ही उत्कटासन करने से कई तरह के न्यूरोलॉजिकल बेनिफिट्स होते हैं। शरीर का बैलेंस और कोआर्डिनेशन सुधरता है। दिमाग और नर्वस सिस्टम एक्टिव रहते हैं। साथ ही इस आसन को नियमित करने से हमारा हार्मोनल हेल्थ अच्छा रहता है तथा शरीर में ऊर्जा का लगातार संचार रहता है और मेटाबॉलिज्म सक्रिय होता है। कुल मिलाकर उत्कटासन आज की तेज रफ्तार जीवनशैली के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह तन और मन दोनों को ही ताकत देता है और संतुलित भी रखता है। आधुनिक लाइफस्टाइल की कई समस्याओं जैसे मोटापा, सुस्ती, पीठ दर्द आदि का सरल व वैज्ञानिक समाधान सुझाता है। -इ.रि.सें.

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