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सोमनाथ के साये में अध्यात्म के स्थल

सोमनाथ का सूर्य मंदिर और पंच पांडव गुफा प्राचीन इतिहास, धार्मिक आस्था और उत्कृष्ट स्थापत्य कला का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। यह स्थान हिंदू संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। सोमनाथ अर्थात‍् प्रभास क्षेत्र, पवित्र ज्योतिर्लिंग के लिए हिंदुओं की...

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सोमनाथ का सूर्य मंदिर और पंच पांडव गुफा प्राचीन इतिहास, धार्मिक आस्था और उत्कृष्ट स्थापत्य कला का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। यह स्थान हिंदू संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

सोमनाथ अर्थात‍् प्रभास क्षेत्र, पवित्र ज्योतिर्लिंग के लिए हिंदुओं की आस्था का विश्वविख्यात स्थल है। इसके इतिहास और पुननिर्माण की शृंखला को देश का हर नागरिक जानता है। इसी प्रभास क्षेत्र में कई ऐतिहासिक स्थल हैं। ऐसे ही स्थलों में से है सोमनाथ (गुजरात) के त्रिवेणी घाट के उत्तरी भाग में स्थित सूर्य मंदिर और पांडव गुफा। सूर्य मंदिर, गुजरात के सबसे प्राचीन सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर सूर्य देव और छाया देवी की मुख्य विग्रहों (प्रतिमाओं) को समर्पित है। मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहीं ठहरकर सूर्य देव की उपासना की थी।

पांडवों ने की सूर्य उपासना

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हालांकि, वर्तमान मंदिर का ढांचा लगभग 14वीं शताब्दी में निर्मित माना जाता है और इसके पूर्व का इतिहास उपलब्ध नहीं है, फिर भी यह स्थल अपनी आध्यात्मिक महत्ता और स्थापत्य कला के कारण अनूठा स्थान रखता है। मंदिर के चारों ओर श्री विष्णु, मां लक्ष्मी, ब्रह्मा जी, माता सरस्वती, सीता माता और माता पार्वती की मूर्तियां तथा सिंह, हाथी और अन्य जीवों की कलाकृतियां बारीकी से उकेरी गई हैं, जो इसकी भव्यता को और भी बढ़ा देती हैं। यह मंदिर सूर्य उपासना की परंपरा के साथ-साथ हिंदू धर्म के अन्य प्रमुख देवताओं के प्रति श्रद्धा का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

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सूर्य मंदिर के दर्शन कमनाथ महादेव मंदिर (शारदा मठ) से भी किए जा सकते हैं। यहां से मंदिर का दृश्य अत्यंत आकर्षक लगता है। इसके अतिरिक्त त्रिवेणी संगम मंदिर से मात्र 100 मीटर की दूरी पर स्थित है, जहां तीन पवित्र नदियों का मिलन होता है। सुबह के समय जब सूर्य की पहली किरणें मंदिर के गर्भगृह और शिल्पकला पर पड़ती हैं, तो इसका सौंदर्य अद्भुत रूप से निखर उठता है। स्थानीय बस्तियों से घिरा यह मंदिर प्राचीन अध्यात्म और आधुनिक जीवन का अनोखा मेल प्रस्तुत करता है।

संरक्षण और रख-रखाव की चुनौतियों के बावजूद सूर्य मंदिर गुजरात की धार्मिक, सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत का जीवंत प्रमाण है। यहां आने वाला हर यात्री इतिहास, आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य के संगम में उतरकर हिंदू आध्यात्मिकता की गहराई से जुड़ाव का अनुभव करता है। मंदिर से सटा हुआ सूर्यकुंड विशेष महत्व रखता है। इसी परिसर के समीप ही पांच पांडव गुफाएं स्थित हैं, जिन्हें देखना अपने आप में एक अलग अनुभव है।

पंच पांडव गुफा

गुजरात के सोमनाथ में स्थित पंच पांडव गुफा महाभारत कालीन नायकों की स्मृति को समर्पित एक पवित्र स्थल है। हालांकि ‘पांडव गुफा’ नाम देश के विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग ऐतिहासिक कथाओं से जुड़ा है, जैसे मध्यप्रदेश के पचमढ़ी की गुफा, जहां माना जाता है कि बौद्ध भिक्षु भी साधना करते थे, अथवा जम्मू के अखनूर की प्राचीन पांडव गुफा, जिसे लगभग 5000 वर्ष पुराना और श्रीकृष्ण के आगमन से जुड़ा माना जाता है, लेकिन सोमनाथ की यह गुफा अपनी विशिष्ट पहचान रखती है।

सोमनाथ की पंच पांडव गुफा का निर्माण वर्ष 1949 में बाबा नारायणदास ने किया था। यह गुफा महाभारत के पांचों पांडव भाइयों को समर्पित है। मान्यता है कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान यहां निवास किया और तपस्या की थी। यह गुफा केवल एक ऐतिहासिक स्मृति नहीं, बल्कि आस्था और श्रद्धा का केंद्र भी है। हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचकर पांडवों के साहस, धर्मपालन और तपस्या की स्मृतियों को नमन करते हैं।

इतिहास की ये धरोहर, आज रख-रखाव के अभाव में अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत है। इनके आस पास आधुनिक निर्माण भी इनके संरक्षण में एक बड़ी बाधा है। इस सबके बावजूद, इतिहास, आस्था और आध्यात्मिक अनुभूति के इस अद्भुत संगम में स्थित पंच पांडव गुफा और सूर्य मंदिर न केवल महाभारत की गाथा को जीवंत करती है, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई और विरासत का भी प्रत्यक्ष अनुभव कराती है।

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