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कभी खामोशी में भी जीत का फार्मूला

दीप्ति अंगरीश कुछ बातों में तर्क देना अच्छा होता है और अपनी बात रखनी चाहिए, लेकिन बहुतेरी बार चुप रहना चाहिए। यह बात घर-परिवार से लेकर वर्कप्लेस पर लागू होती है। इस बात को ऑफिस लेकर चलते हैं। यहां आपके...

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दीप्ति अंगरीश

कुछ बातों में तर्क देना अच्छा होता है और अपनी बात रखनी चाहिए, लेकिन बहुतेरी बार चुप रहना चाहिए। यह बात घर-परिवार से लेकर वर्कप्लेस पर लागू होती है। इस बात को ऑफिस लेकर चलते हैं। यहां आपके बॉस या कुलीग किसी बात पर कुछ कह देते हैं, तो आप गुस्सा पीते नहीं, बल्कि अनाप-शनाप बोल देते हैं। माना कि आप की इस आदत से आपका मन तो हल्का हो जाता है, पर देर-सवेर किसी न किसी रूप में इसका खमियाजा भुगतना पड़ सकता है। अगली बार ऑफिस में कोई कुलीग कुछ अप्रिय कहे या फिर विशेष तौर पर सीनियर लेवल पर भी, उस समय चुप रहें और टेंशन नहीं लें। ऐसे में कुछ गोल्डन रूल अपनाएं -

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चुप रहें, इमेज को बेहतर करें

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बात कब बिगड़ती, इस बारे में कभी शायद ही आपने सोचा हो। जवाब है आपके बड़बोलेपन से। अगली बार ऑफिस में सीनियर फटकार लगाएं, जहां आपकी गलती नहीं है, तो चुप रहें। और गलती है, तो चुपचाप सुन लें। कुछ घंटे या एक दिन के बाद आपनी बात शालीनता से रखें। यदि आप सबके बीच में तू-तड़ाक करेंगे, तो बात बनेगी नहीं, बल्कि बिगड़ जाएगी। साथ ही आपकी इमेज ऑफिस में गुस्सैल बन जाएगी। इस बात का ध्यान रखें कि प्रोफेशनल लाइफ में इमोशन के लिए कोई जगह नहीं होती।

गलतियों से सीखें

बॉस भला-बुरा कुछ कह देता है, तो आप गुस्से में आ जाते हैं और यहीं से बात बिगड़ती ही जाती है। ऐसी नौबत ही नहीं आए तो इसके लिए अपनी गलतियों से सीखें। डांट को चुपचाप सुनें और अपनी गलतियों को सुधारने की कोशिश करें। ऐसा करने से सामने वाले के मन की भड़ास निकल जाएगी और आपको भी अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिल जाएगा। इस बात को अपनाएं, बेकार की टेंशन नहीं लें। फिर देखें कि कैसे आपका काम और आपकी इमेज निखरती है। इसे हार का नहीं जीत का फार्मूला समझें। लेकिन आपकी एक कूल व समझदार-गंभीर व्यक्ति के रूप में छवि बनना तभी संभव है जब आप अपनी कमजोरियां दूर करने में लगे रहें। विशेषकर उन कमजोरियों पर काम करें जो दूसरों ने गुस्से में कही हों या इंगित की हों।

कोशिश करें

तुरंत गुस्सा होना जायज नहीं हर बात पर। खासतौर से गलती सुनने पर। सबसे पहले तो आप स्वीकार कर लें कि आप परफेक्ट नहीं हैं। साथ ही गलती सुनने के लिए तैयार रहना चाहिए। इस आदत को अपना लेंगे, तो वर्कप्लेस में आपकी जीत होगी। यदि आप अपनी गलती सुधारने की कोशिश करेंगे, तो आपके सीनियर भी इसमें आपकी मदद करेंगे। इससे कभी प्रोमोशन आदि के मौके पर आपकी गंभीरता आपका प्लस प्वाइंट बनकर सीनियर्स, मैनेजमेंट या प्रबंधन के समक्ष जरूर आयेगा। इस फार्मूले को आप सिर्फ पढ़ें ही नहीं, लाइफ में

अपनाएं भी।

सोच बदलें खुद की

अगर सीनियर आपको आपकी गलतियां गिना रहे हैं, तो वहां रिएक्शन देने के बजाय आप अपनी सोच बदलें। सोचें कि वह आपको गलतियां बताकर आपको सुधारने का एक मौका दे रहे हैं। यह भी कि उन कमियों- गलतियों को जेहन में बैठा लें व चुपचाप उन्हें दूर करने में लगे रहें। है भी आसान तरीका कि जरा सी सोच बदलने से तनाव छूमंतर और काम में निखार आएगा।

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