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Sleeping Posture सोने के ढंग में भी सेहत का राज़

नियत समय, सही करवट व बेड भी राहतकारी
सोने की सही मुद्रा
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अच्छी नींद लेने का हमारी सेहत से सीधा संबंध है। हालांकि हमारे सोने की मुद्राएं नींद की गुणवत्ता पर असर डालती हैं। यानी बेहतर नींद के जरिये अच्छी सेहत पाने में सही करवट लेटना, नियमित समय, सही बेड और पहने हुए कपड़े भी मायने रखते हैं।

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रेखा देशराज

क्या सोने के सही तरीके से भी स्वस्थ रहा जा सकता है? क्या सही तरीके से सोना सेहत की गारंटी है? इन दोनों सवालों का जवाब है- हां। विशेषज्ञ कहते हैं कि अच्छी नींद लेना स्वस्थ रहने का विज्ञान है। मगर सवाल है सोने का सही ढंग क्या है? किन मुद्राओं में सोना स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। जमीन पर सोना सही होता है या पलंग पर? अच्छी नींद में किस करवट सोएं, यह बात भी मायने रखती है। यह भी बहस का विषय है कि कपड़े पहनकर सोना चाहिए या बिना कपड़े पहने?

सेहत से है सीधा संबंध

विशेषज्ञ लंबी जांच-पड़ताल के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सोने का सही तरीका और आदतें न केवल हमारी नींद की गुणवत्ता बढ़ाती हैं बल्कि हमारे समग्र स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालती हैं। सही तरीके से सोना शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य की गारंटी है। सही तरीके से सोने में ही वो सारी गतिविधियां सुचारू रूप से सम्पन्न होती हैं, जो हमारे सोते समय हमारा शरीर करता है। अच्छे तरीके से सोते हैं तो सही ढंग से हमारी मांसपेशियों की मरम्मत होती है, कोशिकाएं ज्यादा स्वस्थ और सक्रिय रहती हैं। इन सब बातों का समग्रता में हमारी सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है।

शयन का सही ढंग

सोने की सही मुद्रा हमारे शरीर की संरचना और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। सोने की सही मुद्रा हमारी रीढ़ की हड्डी को प्राकृतिक अवस्था में बनाये रखती है, जो कि हमारे सेहतमंद रहने का बड़ा आधार होती है। रीढ़ की हड्डी अगर प्राकृतिक अवस्था में रहती है, तो इससे हमारा शरीर तनावमुक्त रहता है। इस बात का भी महत्व है कि सोने के लिए ऐसा गद्दा व तकिया ऐसा होना चाहिए, जो न ज्यादा सख्त हो और न ही बहुत मुलायम।

सोने की मुद्राएं

बायीं करवट - विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हम बायीं करवट सोते हैं तो यह हमारे पाचनतंत्र के लिए बहुत लाभकारी होता है। इस मुद्रा में सोने से एसिडिटी कम होती है। रक्तप्रवाह में सुधार होता है। गर्भवती महिलाओं को तो विशेषकर बायीं करवट सोना चाहिए। पीठ के बल- पीठ के बल सोने से रीढ़ और गर्दन सीधी रहती हैं। त्वचा पर झुर्रियां कम पड़ती हैं। लेकिन जिन्हें ‘स्लीप एपनिया’ की बीमारी हो, उन्हें इस मुद्रा में सोने से बचना चाहिए, क्योंकि स्लीप एपनिया के चलते कई बार सांस बंद हो जाती है और फिर कुछ देर बाद फिर से शुरू होती है। ऐसे में पीठ के बल सोने पर दुर्घटना घट सकती है। दायीं करवट - सोने की यह भी मुद्रा आरामदायक है, लेकिन अगर लंबे समय तक दायीं करवट सोया जाए तो पेट और दिल के बीच दबाव बढ़ सकता है। इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ दायीं करवट सोने को सही नहीं मानते। जिन्हें दिल की बीमारी हो उन्हें तो दायीं करवट सोने से बचना चाहिए।

जमीन या फिर पलंग

जमीन पर सोना रीढ़ को सीधा रखने में मददगार होता है। यह शरीर को बेहतर सपोर्ट देता है। सर्दियों में ऐसे सोने से कई बार ठंड लग सकती है। यदि लकड़ी का सख्त पलंग है तो सोने के लिए वह भी सही रहता है, बस सही गद्दा होना जरूरी है।

सूती कपड़े पहनकर सोना

निश्चित रूप से आरामदायक और ढीले कपड़े पहनकर सोना चाहिए। यह बेहतर नींद और स्वास्थ्य के लिए अच्छा विकल्प है। यह भी कि रात में सूती कपड़े पहनकर सोएं। सूती कपड़े त्वचा को सांस लेने देते हैं। ये बहुत तंग या फिट भी नहीं होने चाहिए। इससे रक्त प्रवाह में बाधा पड़ती है। वहीं अगर हम बिना कपड़ों के सोते हैं तो इससे शरीर को ठंडा रखने और त्वचा की सही से देखभाल होने में मदद मिलती है। लेकिन ऐसा हमारे पारिवारिक जीवन में संभव नहीं है।

नियत समय

वैज्ञानिक दृष्टि से रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच सोना सबसे अच्छा होता है। अगर आपकी उम्र 5 साल या इससे कम है तो न्यूनतम 12-14 घंटे व 10 से 16 साल की उम्र है, तो 9-10 घंटे सोना चाहिए। अगर उम्र 18 से 25 के बीच की है तो 7-9 घंटे के बीच का कोई समय अच्छी नींद के लिए उपयुक्त होगा और अगर बुजुर्ग हैं तो कम से कम 7 से 8 घंटे का समय होना चाहिए। अगर आप हर दिन एक निश्चित समय पर सोते और जगते हैं तो आपकी बॉडी क्लॉक सही रहती है। इसके अलावा सोने के एक घंटे पहले मोबाइल, टीवी या उन डिवाइसेज से खुद को दूर कर लेना चाहिए, जिनसे ब्लू लाइट निकलती है। सोने से पूर्व अगर कोई किताब पढ़ें तो बहुत अच्छा है या कोई हल्की धुन में गीत, कविता आदि सुनें।

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