राजेंद्र कुमार शर्मा
गुजरात राज्य जहां एक ओर अपनी औद्योगिक विकास के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर जगह बना चुका है, वहीं दूसरी ओर इसके खूबसूरत समुद्री तटों के कारण पर्यटन के मानचित्र पर उभर कर सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। दो-दो ज्योतिर्लिंग सोमनाथ और नागेश्वर, भगवान श्रीकृष्ण की कर्मस्थली देवभूमि द्वारका की उपस्थिति इस प्रदेश को धार्मिक दृष्टि से और भी अधिक महत्वपूर्ण बनाते है।
सुंदर हिल स्टेशनों का नाम आते ही उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की सुंदर वादियां आंखों के सामने आ जाती हैं। गुजरात जैसे लगभग शुष्क प्रदेश में हरे-भरे हिल स्टेशन का होना, कल्पना मात्र लगता है। परंतु यह सत्य है कि अरेबियन सागर के तट पर स्थित इस प्रदेश में भी कई खूबसूरत हिल स्टेशन हैं जिनकी नैसर्गिक सुंदरता को देखकर कोई भी यहां बार-बार आना चाहेगा। प्रदेश के औद्योगिक और तकनीकी विकास दो ऐसे कारक हैं जिन्होंने यहां के पर्यटन उद्योग को सबसे अधिक सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
एकमात्र हिल स्टेशन सापुतारा
सापुतारा गुजरात के निवासियों के लिए एक मात्र ऐसा हिल स्टेशन है जहां पर पहुंचना उनके लिए सबसे सुविधाजनक है। इस हिल स्टेशन के बारे में मान्यता है कि भगवान राम ने अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से 11 वर्ष यहां बिताए थे। सापुतारा एक भव्य हिल स्टेशन है जो अपनी हरी भरी पहाड़ियों, विहंगम सूर्य अस्त और सूर्य उदय के प्राकृतिक दृश्यों के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। मानसून में प्राकृतिक झरनों, धुंधली होती पहाड़ियां, झीलों का स्वच्छ जल और मानसून का सुहाना मौसम यहां की प्राकृतिक छटा को और भी निखार देता है। मानसून पर्व में इस प्रदेश की सांस्कृतिक झलक देखने को मिलती है।
पर्वत शृंखला की विशेषता
गुजरात का सापुतारा हिल स्टेशन हरे-भरे डांग वन बेल्ट के भीतर एक पठार के ऊपर सह्याद्री की परतों के बीच बसा हुआ है। भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत शृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं। दक्कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय शृंखला उत्तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्बी है। विश्व में जैविकीय विविधता की दृष्टि से विश्व में इसका 8वां स्थान है। यह गुजरात से शुरू होकर कन्याकुमारी में समाप्त होती है। वर्ष 2012 में यूनेस्को ने पश्चिमी घाट क्षेत्र के 39 स्थानों को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।
भ्रमण का उपयुक्त समय
हिल स्टेशन होने के कारण स्थानीय और आसपास के क्षेत्रों से सैलानियों आना-जाना पूरे वर्ष ही जारी रहता है क्योंकि गर्मियों में जहां अहमदाबाद और वड़ोदरा जैसे गर्मी की तपिश से झुलस रहे होते हैं, उस समय भी यहां का तापमान 25 से 28 डिग्री सेल्सियस रहता है। मानसून (जुलाई से सितंबर) की तेज बारिश सापुतारा की प्राकृतिक संपदा में नवजीवन का संचार कर जाती है। दूर-दूर तक पहाड़ियों पर हरियाली चादर बिछी हुई दिखाई देती है। सर्दियों में यहां तापमान काफी कम रहता है।
दर्शनीय स्थल
सापुतारा में और उसके आसपास देखने के लिए कई दर्शनीय स्थल है जो सैलानियों को प्रकृति की गोद में समय व्यतीत करने के सपने को साकार कर सकती है जैसे डॉन हिल्स, विल्सन हिल्स, यहां का सन राइज और सन सेट, स्वच्छ जल की झीलें, झरने, सप्तशृंगी देवी मंदिर, गंधर्वपुर आर्टिस्ट गांव, गीरा फॉल्स, नागेश्वर महादेव मंदिर, रोज गार्डन, सापुतारा ट्राइबल म्यूजियम, स्टेप गार्डन, हतगड़ किला जैसे स्थलों की सैर सैलानियों को ऊबने नहीं देते। इसके अलावा यहां पर घुड़सवारी, ऊंट सवारी, पैडल बोटिंग, रॉक क्लाइम्बिंग तथा यहां की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य देखने के लिए केबल कार की सवारी का आनंद उठाया जा सकता है।
सापुतारा पहुंचने के लिए मार्ग तथा साधन
सापुतारा अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत से बस या फिर टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है। सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन बिलीमोरा है। बिलीमोरा स्टेशन की सूरत, अहमदाबाद तथा वडोदरा से दूरी क्रमशः 50 मिनट, ढाई घंटा तथा सवा चार घंटे है तथा बिलीमोरा से बस या टैक्सी द्वारा सापुतारा पहुंचा जा सकता है। सबसे नजदीक एयरपोर्ट वडोदरा और सूरत हैं।