Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं नदियां...

भारतीय संस्कृति में नदियों का धार्मिक और सांस्कृतिक ही नहीं, उनका ऐतिहासिक महत्व भी है। गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी ये महज धरती में बहती पानी की धाराएं भर नहीं, अपने आप में ये एक सभ्यता और...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

भारतीय संस्कृति में नदियों का धार्मिक और सांस्कृतिक ही नहीं, उनका ऐतिहासिक महत्व भी है। गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी ये महज धरती में बहती पानी की धाराएं भर नहीं, अपने आप में ये एक सभ्यता और संस्कृति को साथ लेकर बहती नदियां हैं। गंगा को भारतीय संस्कृति की आत्मा माना जाता है इसलिए इसे माता का दर्जा दिया जाता है।

धीरज बसाक

Advertisement

नदियां किसी भी देश की लाइफलाइन होती हैं। नदियों से ही उस देश की अर्थव्यवस्था, सभ्यता और प्राकृतिक समृद्धि का पता चलता है। खानपान, मनोरंजन और संस्कृति का भी स्रोत नदियां ही होती हैं। हम अगर अपने पौराणिक साहित्य पर नजर डालें तो भारतीय नदियां, भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। भारत में ज्ञान, विज्ञान और आत्मा से परमात्मा तक की खोज सब नदियों के किनारे हुई, इसलिए भारत अकेला ऐसा देश है, जो नदियों को मां कहता है, देवी कहता है और उनकी पूजा करता है। कोई सभ्यता नदियों पर कितनी आश्रित होती होगी, इस बात का अंदाजा भारत की सम्पन्न सनातन संस्कृति से लगाया जा सकता है। नदियों के किनारे बसे ऋषिकेश, हरिद्वार, मथुरा, अयोध्या, प्रयाग, काशी, गया, पटना, नासिक और उज्जैन जैसे नगर भारतीय धर्म और संस्कृति के जगमगाते द्वीप हैं। ये सभी धार्मिक और सांस्कृतिक नगर प्रसिद्ध नदियों के किनारे बसे होने के कारण ही पीढ़ियों से हमारी सभ्यता के गंतव्य स्थल हैं।

भारतीय संस्कृति में नदियों का धार्मिक और सांस्कृतिक ही नहीं, उनका ऐतिहासिक महत्व भी है। गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी ये महज धरती में बहती पानी की धाराएं भर नहीं, अपने आप में ये एक सभ्यता और संस्कृति को साथ लेकर बहती नदियां हैं। गंगा को भारतीय संस्कृति की आत्मा माना जाता है इसलिए इसे माता का दर्जा दिया जाता है।

भारत के चार राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और मुख्य रूप से बंगाल से गुजरने वाली गंगा भारतीय संस्कृति की अमरकथा है। माना जाता है कि नदियों में देवियां और देवताओं का वास होता है। भारत में हिंदू धर्म के सबसे बड़े ग्रंथ महाभारत का आधार ही गंगा है। देवव्रत यानी भीष्म पितामाह की मां गंगा थीं।

हमारा प्राचीन और समृद्ध अतीत गंगा और यमुना नदियों के किनारे महान ऋषि, मुनियों की ज्ञान परंपरा वाला इतिहास है। गंगा और यमुना दोनों ही पवित्र नदियां हैं, जिनके किनारे आधुनिक सभ्यता के कई पड़ाव पड़े। गीता में भगवान कृष्ण खुद नदी और समुद्र की तुलना आत्मा और परमात्मा से की है। नदी आत्मा है। उत्तराखंड में गंगोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा का मुख्यस्रोत गोमुख है। कुल 2480 किलोमीटर की यह नदी हिमालय की पवित्र कंदराओं से निकलकर मैदान की तरफ बहती है। गंगा को गंगा बनाने वाली इसकी सहायक नदियां हैं। शायद यही वजह है कि इस देश में सबसे ज्यादा सहायक नदियां अगर किसी नदी की हैं, तो वह गंगा ही है। 2480 किलोमीटर तक बहने वाली गंगा इस लिहाज से देश की सबसे बड़ी और लंबी नदी है, क्योंकि यह पूरी तरह से भारत में बहती है। वैसे लंबाई के लिहाज से ब्रह्मपुत्र 2990 किलोमीटर लंबी है। लेकिन ब्रह्मपुत्र तिब्बत के पुरंग जिले से निकलकर मानसरोवर झील के निकट से भारत और फिर बांग्लादेश में बहती है। इसलिए यह पूरी तरह से भारत में बहने वाली नदी नहीं है।

हालांकि गंगा, गंगोत्री से निकलती है, लेकिन इसे गंगा नाम देवप्रयाग में आकर मिलता है। इसके पहले यह भगीरथी और अलकनंदा होती है। प्रयाग पहुंचने पर गंगा में देश की एक दूसरी विशाल नदी यमुना मिल जाती है, जिसमें चंबल, केन, बेतवा, शिप्रा सहित आधा दर्जन से ज्यादा छोटी नदियां मिलती हैं। जब यमुना, गंगा से मिल जाती है, तो गंगा बहुत ही विशाल और बहुत ही समृद्ध जल वाली नदी या छोटा मोटा समुद्र बन जाती है। इलाहाबाद के बाद गंगा की विशालता का जलवा देखते ही बनता है। पुराणों में वर्णित अंतःसरिता सरस्वती को भी माना जाता है कि वह प्रयाग में गुप्त रूप से गंगा में मिल जाती हैं। इसलिए जहां प्रयाग में गंगा और यमुना मिलती हैं, उस जगह को त्रिवेणी यानी तीन नदियों के संगम वाली जगह कहते हैं।

गंगा में आगे चलकर असी और वरुणा वाराणसी में तो बिहार में इसमें तमसा, रामगंगा, सोन और जैसी कई और नदियां आकर मिलती हैं। आज भी भारत में खेती के लिए गंगा का समर्पण अद्भुत है। इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर

Advertisement
×