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Psyllium Husk पाचन में कारगर इसबगोल की भूसी

औषधि जिसमें मौजूद उच्च स्तर का घुलनशीन फाइबर
इसबगोल की भूसी
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इसबगोल को अपने उच्च स्तर के घुलनशीन फाइबर और पाचन में सुधार करने वाले गुणों की वजह से जाना जाता है। आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा में यह कारगर औषधि मानी जाती जाताी है। यह मुख्य रूप से कॉन्सटिपेशन और पित्त जैसी समस्याओं के इलाज में मददगार है। वहीं कई अन्य रोगों में राहतकारी है।

रेखा देशराज

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इसबगोल का उपयोग पाचन से संबंधित समस्याओं के लिए भारत में हजारों साल से हो रहा है। इसबगोल या साइलियम हस्क एक प्राकृतिक औषधि है, जो प्लांटागो ओवाटा नामक पौधे के बीज से हासिल होती है। इस बीज का बाहरी हिस्सा होता है जिसे भूसी कहते हैं, दरअसल यही औधीय तौर पर इसबगोल की भूसी होती है जिसे प्राय: पेट की विभिन्न समस्याओं से राहत के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

फाइबर का बहुत समृद्ध स्रोत

इसबगोल की भूसी फाइबर का बहुत समृद्ध स्रोत होती है। इसबगोल को आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा में चमत्कारिक जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है। यह विशेषकर अपने ऊंचे दर्जे के फाइबर और पाचन सुधारक गुणों के कारण पूरी दुनिया में मशहूर है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है और यह मुख्य रूप से कॉन्सटिपेशन, दस्त और पित्त जैसी समस्याओं के इलाज में कारगर है।

कई रोगों में राहतकारी औषधि

आमतौर पर इसबगोल की भूसी का विभिन्न तरह की पेट संबंधी समस्याओं के दौरान इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह कब्ज, दस्त और गैस की समस्या को दूर करती है। वहीं यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में भी सहायक है। बैड कोलेस्ट्रोल को भी कम करती है और गुड कोलेस्ट्रोल को बढ़ाती है। इसबगोल की भूसी हृदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह पेट की परत पर एक परत बनाकर एसिडिटी से बचाती है। इसबगोल आंतों की दीवारों को मजबूत करती है। साथ ही यह इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों को कम करती है। इसबगोल की भूसी पानी को सोख लेती है, जिससे पेट में पचे हुए पदार्थ नरम हो जाते हैं। इसबगोल की भूसी को पाउडर, दानों या कैप्सूल के रूप में भी लिया जा सकता है।

आंत्र शुद्धि में कारगर

यह एक तरह की घुलनशील फाइबर है, जो आंतों, हृदय और समूचे पेट के स्वास्थ्य के लिए रामबाण मानी जाती है। भारत में इसबगोल का इस्तेमाल सदियों से होता रहा है। राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होती है। भारत इसबगोल का दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। हालांकि इसका इस्तेमाल मुख्यतः आंत्र शुद्धि यानी कोलोन क्लींजिंग के जरिये पेट की बीमारियों के इलाज में किया जाता है। आयुर्वेद में इसबगोल के गुणों को कई तरह से देखा गया है जैसे- यह हल्का और ठंडक प्रदान करने वाला है, साथ ही यह पित्त, वात और कफ के असंतुलन को ठीक करता है। इसबगोल की भूसी का कब्ज के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दस्त के समय इसबगोल आंतों को आराम देता है और पानी को सोखता है। क्योंकि इसबगोल पेट की सफाई, कब्ज, अतिसार, दस्त, पेचिस जैसे बीमारियों में रामबाण की तरह फायदेमंद है, इसलिए इसके बीज व भूसी की बेहद मांग है। इसके बीज में औषधीय तेल भी होता है।

इसबगोल की आमतौर पर चार किस्में होती हैं और चारों के ही बहुत सारे औषधीय उपयोग हैं। वैसे चारों ही किस्में मूलतः पेट और पाचन के लिए भी मददगार हैं, लेकिन अलग-अलग प्रजातियों के इसके अलग-अलग अतिरिक्त फायदे भी हैं। इसबगोल का पौधा झाड़ीनुमा होता है। इस पौधों के बीजों के ऊपर सफेद भूसी होती है, इसे ही इसबगोल की भूसी कहते हैं। -इ.रि.सें.

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