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सहेजें दिल की धड़कन लय में रखने वाले तंत्र को

हार्टबीट बिगड़ने के लक्षणों को लेकर रहें सजग
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हृदय की धड़कन का मॉडल
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हृदय की धमनियों में रुकावट के अलावा धड़कन की लय में गड़बड़ी भी गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों में शामिल है। हार्टबीट को दिल के अंदर एक अदृश्य लेकिन महत्वपूर्ण विद्युत तंत्र नियंत्रित करता है। हार्टबीट बिगड़ने के लक्षणों, उपचार व सतर्कता को लेकर चंडीगढ़ स्थित हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. टीएस क्लेर से विवेक शर्मा की बातचीत।

जब भी हम दिल की सेहत की बात करते हैं, तो सबसे पहले हार्ट अटैक यानी दिल के दौरे का ख्याल आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हृदय की समस्याएं केवल धमनियों में रुकावट तक सीमित नहीं होतीं? दिल के अंदर एक अदृश्य लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण विद्युत तंत्र होता है, जो हर धड़कन को नियंत्रित करता है। यह तंत्र एक कुशल संचालक की तरह काम करता है, जो दिल की धड़कनों को सही लय में बनाए रखता है और पूरे शरीर में रक्त प्रवाह सुनिश्चित करता है।

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हार्टबीट बिगड़ने लगे तो सतर्क हो जाएं

अगर आपको अचानक तेज़ धड़कन महसूस हो, चक्कर आए, बेहोशी छा जाए, सीने में अजीब-सा अहसास हो या सांस लेने में कठिनाई हो, तो यह एरिथमिया यानी दिल की अनियमित धड़कन का संकेत हो सकता है।

बीएलके-मैक्स हार्ट और वास्कुलर इंस्टीट्यूट के चेयरमैन और एचओडी डॉ. टीएस क्लेर बताते हैं—‘दुनिया में सबसे आम हृदय लय समस्याओं में से एक एट्रियल फिब्रिलेशन है, जिसमें दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। इसके लक्षणों में तेज़ धड़कन, सांस लेने में परेशानी, थकान और चक्कर आना शामिल हैं। अगर इसे नजरअंदाज किया जाए, तो यह मस्तिष्क आघात या हार्ट फेल्योर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकता है।’

ऐसे काम करता है यह अदृश्य नेटवर्क

दिल सिर्फ एक खून पंप करने वाला अंग नहीं है, बल्कि यह एक जटिल विद्युत तंत्र द्वारा नियंत्रित होता है, जिसमें तीन मुख्य घटक शामिल हैं—

साइनस नोड

यह दिल का प्राकृतिक पेसमेकर है जो हृदय के दाहिने ऊपरी भाग में स्थित एक छोटा ऊतक है, जो विद्युत संकेत उत्पन्न करता है और हृदय को धड़कने का निर्देश देता है। एट्रियोवेंट्रिकुलर नोड – यह संकेतों का नियंत्रक है। साइनस नोड से आने वाले संकेत एट्रियोवेंट्रिकुलर नोड में पहुंचते हैं, जो विद्युत संकेतों की गति को नियंत्रित करता है, ताकि हृदय की धड़कन अत्यधिक तेज़ न हो जाए। हिस-पुंज और पर्किंजे तंतु – दिल की धड़कन को संतुलित रखने वाले तंतु होते हैं जिनसे संकेत हिस-पुंज और पर्किंजे तंतुओं से होते हुए हृदय के निचले भाग (निलय) तक पहुंचता है, जिससे हृदय की संकुचन प्रक्रिया पूरी होती है और रक्त पूरे शरीर में प्रवाहित होता है।

यह विद्युत तंत्र गड़बड़ा जाए तो...

अगर यह जटिल तंत्र किसी कारण सही से काम नहीं करता, तो हृदय गति या तो बहुत तेज़ हो जाती है, बहुत धीमी हो जाती है, या फिर अनियमित हो जाती है। इससे शरीर के अलग-अलग हिस्सों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती, जिससे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे... सुप्रावेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया – दिल के ऊपरी कक्ष में असामान्य विद्युत गतिविधि के कारण तेज़ धड़कन। वेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया – हृदय के निचले कक्ष से उत्पन्न होने वाली तेज़ धड़कन, जो जानलेवा हो सकती है। ब्रेडीकार्डिया – जब दिल की धड़कन अत्यधिक धीमी हो जाती है, जिससे शरीर को पर्याप्त रक्त नहीं मिलता है। साइनस नोड डिसफंक्शन –ऐसी स्थिति जब हृदय का प्राकृतिक पेसमेकर ठीक से काम नहीं करता है।

इलाज के आधुनिक विकल्प

हृदय की विद्युत गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए कई उन्नत तकनीकें उपलब्ध हैं-

दवाएं – दिल की धड़कन को नियंत्रित करने और सामान्य लय में बनाए रखने के लिए।

विद्युत तरंग निष्कासन यानी रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन – बिना शल्यक्रिया के, कैथेटर के जरिए असामान्य विद्युत संकेतों को नष्ट करने की प्रक्रिया

पेसमेकर – एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जो धीमी हृदय गति को सामान्य करता है

रोपणीय कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (आईसीडी) – जो खतरनाक एरिथमिया के दौरान हृदय को विद्युत झटका देकर दोबारा सामान्य करता है

हृदय पुनर्सामंजस्य चिकित्सा (सीआरटी) – हृदय के पंपिंग कार्य को सुधारने के लिए

समय पर सतर्कता से संभव बचाव

अगर अचानक धड़कन तेज़ हो जाए, सांस फूलने लगे, बार-बार बेहोशी हो, या सीने में असामान्य हलचल महसूस हो, तो इसे नजरअंदाज न करें। ये लक्षण हृदय की गंभीर समस्या के संकेत हो सकते हैं।

शुरुआती लक्षणों को पहचानकर और सही समय पर इलाज करवाकर आप घातक बीमारियों से बच सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

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