तीर्थयात्रा से पहले करें सेहतमंद रहने की तैयारी
मौसम में बदलाव के साथ ही पर्वतीय स्थलों की तीर्थयात्राएं शुरू हो चुकी हैं। इन यात्राओं के दौरान ऊंचे पहाड़ों पर मैदान से अलग मौजूद अलग जलवायु स्थितियों के चलते हमारी सेहत न बिगड़े इसके लिए पहले से तैयारियां करना जरूरी है। यात्रा करीब 15 दिन पहले पैदल चलने व प्राणायाम आदि की प्रैक्टिस करना बेहतर रहता है।
मनोज प्रकाश
उत्तराखंड के चारधाम, आदि कैलाश, हेमकुंट साहब,पंच केदार के साथ ही दूसरे धामों की यात्रा की उल्टी गिनती लगभग आरंभ हो चुकी है। जहां चारधाम की दूसरी यात्राएं अप्रैल के अंतिम सप्ताह में, आदि कैलाश मई के प्रथम सप्ताह में आरंभ होने जा रही हैं, वहीं अब जो यात्राएं चल रही हैं वह भी स्कूलों के ग्रीष्मकालीन अवकाश आरंभ होने के साथ ही चरम पर पहुंच जाएंगी। धार्मिक यात्राएं परिवार के बुजुर्गों के साथ कर रहे हों या फिर फूलों की घाटी की सैर करनी हो, बच्चों के साथ स्कूलों की छुट्टियों में कहीं घूमने जा रहे हों- यात्रा के दौरान मजा किरकिरा हो जाता है जब हम स्वास्थ्यगत परेशानी के शिकार हो जाते हैं। थोड़ी सी लापरवाही हमारी सेहत को खराब कर देती है। यात्रा का पूरा आनंद लेने के लिए अपनी सेहत पर पूरा फोकस करना चाहिए। चारधाम गंगोत्री-यमुनोत्री,केदारनाथ तथा बद्रीनाथ की यात्राएं चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में होती हैं। यह तीर्थ स्थल समुद्र तल से तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर हैं तथा आदि कैलाश तो इनसे भी ऊंचे स्थान पर है।
जब आप इन क्षेत्रों में यात्रा करते हैं तो अपने शहर की तपती गर्मी को छोड़कर ऐसे ठंडे इलाके में आ जाते हैं जहां तापमान दो से तीन डिग्री तक गिर जाता है। ऐसे में अत्यधिक ठंड, कम नमी, तेज पराबैंगनी किरणें, कम वायुदाब के कारण कम होती ऑक्सीजन हमारे शरीर को न सिर्फ शिथिल करते हैं अपितु हमें बीमार भी कर देते हैं। इन स्थितियों से बचने के लिए बेहतर होगा कि पहले से यात्रा की तैयारियां शुरू कर लें।
ये तैयारियां पहले से करें शुरू
अधिकतर यात्रा में पैदल चलना पड़ता है और यदि हम दूसरे साधनों से भी यात्रा करते हैं तो भी हमारे शरीर को वहां के तापमान के अनुरूप करने के लिए हमें यात्रा से 15 दिन पहले कम से कम तीन किलोमीटर पैदल चलने का अभ्यास करना आरंभ कर देना चाहिए। बेहतर हो ऐसी सड़क या पार्क का चुनाव करें जहां पर समतल स्थान न हो। ऊंचाई पर सांस की समस्या से बचने के लिए प्राणायाम की आदत डाल लें या फिर तेज गति से चलकर या हल्की सी दौड़ लगाकर सांस को संतुलित करने का प्रयास करें। केदारनाथ तथा आदि कैलाश तो 3500 हजार से भी ऊंचाई पर हैं। यहां पर सर्वाधिक परेशानी ऑक्सीजन का लेवल 60 प्रतिशत से कम होने के कारण सांस लेने में आती है और अगर उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह या हार्ट संबंधी किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो आपके लिए पूर्व में पैदल चलने वाली प्रैक्टिस बेहतर है। चिकित्सा विशेषज्ञ पांच से दस मिनट की कार्डियो, योग तथा 45 मिनट की पदयात्रा करने की सिफारिश करते हैं। यदि आप शराब अथवा नींद की दवा के आदी हैं तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही यात्रा की प्लानिंग करें। इसके साथ ही शरीर को विभिन्न तापमान सहने के लिए इतना आदी बना लें कि पांच-सात डिग्री तापमान के उतार-चढ़ाव का आप पर असर न हो।
जरूरी टेस्ट कराना न भूलें
कोरोना महामारी के बाद से युवाओं में भी हार्ट अटैक की समस्या सामने आई है, इसलिए सबसे पहले फिजिकल टेस्ट करा लेना चाहिए। खासकर उन्हें जो नियमित किसी भी रोग की दवाएं लेते हैं। ऊंचाई वाले स्थान पर हार्ट के ऊपर जितना स्ट्रैस आता है उतनी समस्या दूसरी नहीं होती। पानी का सेवन भी पहले से अधिक करना आरंभ कर दें ताकि अपके शरीर को नमी रखने की आदत बन जाए। मधुमेह के लिए तीन माह का टेस्ट करा लें जिससे आपको अपना लेवल पता लग जाएगा और उसी के अनुसार दवाएं लेना आरंभ कर सकेंगे। जिन्हें थायरायड है, वे यह टेस्ट भी पहले से ही करा लें।
अनिवार्य सामान
मधुमेह चेक करने के लिए ग्लूकोमीटर, हाई ब्लड प्रेशर के लिए पोर्टबल स्फिग्मोनोमीटर तथा पल्स ऑक्सीमीटर के साथ ही धूप से बचने के लिए सनस्क्रीन, धूप का चश्मा, टोपी, थर्मस, नियमित दवाएं, रेनकोट, ग्लूकोज पाउच, मेवे के अलावा घर का पता व मोबाइल नंबर, छोटे बच्चे साथ में हैं तो एक पोर्टेबल गैस चूल्हा तथा आक्सीजन सिलेंडर भी।
ये काम भूलकर भी न करें
पहाड़ों पर दौड़कर चढ़ने की कोशिश, फूलती सांस के दौरान तेज चलने का प्रयास व तेज मसाले से बना भोजन नहीं करना चाहिए। जोश में गर्म कपड़े अनदेखा न करें। हल्की सी सर्दी भी जुकाम-खांसी-बुखार को आमंत्रित कर सकती है। पहाड़ों पर खाई में झांकने की कोशिश भी आपको परेशानी में डाल सकती है। यात्रा के दौरान सरदर्द, बुखार, दस्त, थकान, की दवाएं तो रहेंगी ही, अपने या किसी अच्छे होम्योपैथी चिकित्सक से आक्सीजन, खांसी जुकाम, पेट दर्द आदि की दवाएं लेनी सही रहेंगी। वहीं न भूलें कि अंग्रेजी के खांसी के सीरप नींद को आमंत्रित करते हैं और शरीर थका सा रहता है। -इ.रि.सें.