अगर आपकी पहली ट्रेन लेट होने के कारण अगली ट्रेन छूट जाती है, तो रेलवे आपको उसी ट्रेन या किसी अन्य उपलब्ध ट्रेन में मुफ्त यात्रा की अनुमति दे सकता है। इसके लिए आप रेलवे अधिकारी या टीटीई से मदद मांग सकते हैं। यदि विभाग सहयोग न करे तो यात्री उपभोक्ता आयोग में शिकायत कर सकता है।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 81 वर्षीय रामसेवक गुप्ता ने रेलवे की लापरवाही के कारण लेट हुई ट्रेन के कारण लिंक ट्रेन छूट जाने पर हुए हर्जाने के लिए 12 वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़ी। तब जाकर मप्र राज्य उपभोक्ता आयोग ने उनकी बात मानी और रेलवे को हर्जाने के तौर पर 15 हजार रुपए देने का आदेश दिया। राज्य आयोग ने सुनवाई के दौरान प्रतिवादी के अनुपस्थित रहने क़ो गंभीरता से लेते हुए 10 हजार रुपए की अतिरिक्त कॉस्ट भी लगाई।
ढाई घंटे रुकी शताब्दी तो अगली गाड़ी छूटी
यह मामला साल 2013 का है। ग्वालियर वासी रामसेवक गुप्ता अपने बेटे के साथ ग्वालियर से शताब्दी एक्सप्रेस द्वारा आगरा जा रहे थे, जहां से उन्हें अहमदाबाद के लिए फोर्ट स्टेशन से अगली एक्सप्रेस ट्रेन पकड़नी थी, लेकिन शताब्दी एक्सप्रेस ग्वालियर से आगरा के बीच रास्ते में ढाई घंटे खड़ी रही। इस व्यवधान के चलते, वे समय से आगरा नहीं पहुंच सके और जब तक शताब्दी वहां पहुंची तब तक अहमदाबाद की उनकी ट्रेन छुट चुकी थी।
किराया नहीं लौटाने पर की शिकायत
पीड़ित यात्री रामसेवक गुप्ता ने आगरा में स्टेशन प्रबंधक को इसकी लिखित शिकायत की और उनसे कहा कि वे या तो उनको उनके अहमदाबाद के टिकट के पैसे दें या फिर किसी अन्य ट्रेन से अहमदाबाद भेजने का इंतजाम करें। लेकिन स्टेशन प्रबंधक ने पैसे लौटाने से साफ मना कर दिया। पीड़ित उपभोक्ता राम सेवक गुप्ता रेलवे के खिलाफ जिला उपभोक्ता आयोग गए। यहां जवाब में रेलवे ने आयोग क़ो गलत जानकारी दे दी कि ट्रेन के एसएलआर कोच में आग लगी थी। इस कारण ट्रेन क़ो बीच मे रोकना पड़ा था और आगरा पहुंचने में देर हो गई थी।
आरटीआई से ली जानकारी
पीड़ित राम सेवक गुप्ता ने सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगाए। जिसके जवाब में रेल विभाग ने बताया कि उस दिन शताब्दी एक्सप्रेस मे आग नहीं लगी थी बल्कि राजधानी एक्सप्रेस के एसी कोच में लगी थी। इस तथ्य को उन्होंने जिला उपभोक्ता आयोग को बताया लेकिन वहां इसे नजरअंदाज कर उनकी याचिका खारिज कर दी गई।
राज्य आयोग ने लगाया जुर्माना
उपभोक्ता ने जिला उपभोक्ता आयोग के फैसले के खिलाफ राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपील कर न्याय की गुहार लगाई। यहां आयोग ने रेलवे की गलती मानते हुए उस पर जुर्माना लगाया, लेकिन रेलवे विभाग ने इस निर्णय के खिलाफ 27 मार्च 2019 को राष्ट्रीय आयोग में अपील दायर कर दी। राष्ट्रीय आयोग में इस मामले मे 4 पेशियां हुई लेकिन अपीलकर्ता रेलवे के अधिकारी किसी पेशी पर नहीं पहुंचे। जिस पर रेलवे की याचिका निरस्त कर राज्य आयोग का फैसला पुष्ट हो गया।
अगली ट्रेन छूटे तो लें मदद
वास्तव में ट्रेन लेट होने पर अगली ट्रेन छूट जाए तो आप स्टेशन पर रेलवे अधिकारी से संपर्क कर या फिर टीटीई से मदद मांग सकते हैं। अगर आपकी पहली ट्रेन लेट होने के कारण अगली ट्रेन छूट जाती है, तो रेलवे आपको उसी ट्रेन या किसी अन्य उपलब्ध ट्रेन में मुफ्त में यात्रा करने की अनुमति दे सकता है, बशर्ते टिकट एक ही बुकिंग में हों। अगर आपका टिकट अलग है, तो आपको दूसरी ट्रेन का टिकट खरीदना पड़ सकता है।
ट्रेन के प्लेटफॉर्म बदलने की सूचना
इंडियन रेलवे के मुताबिक, अगर आपकी ट्रेन सुबह 5:00 बजे चलने वाली है और आप 4:55 बजे प्लेटफॉर्म पर पहुंचते हैं, तो आपको ‘ऑन टाइम’ माना जाता है। अगर ट्रेन अपने तय समय 5:00 बजे से पहले 4:50 पर ही निकल जाती है या बिना बताए दूसरे प्लेटफॉर्म पर आ जाती है, तो यह रेलवे की गलती मानी जाती है। हाल ही में गाजियाबाद के एक जिला विवाद निवारण आयोग ने एक यात्री को 7,000 रुपये का मुआवजा दिया, क्योंकि ट्रेन का प्लेटफॉर्म बदलने की जानकारी सही समय पर नहीं दी गई थी। इसकी वजह से पूरा परिवार ट्रेन पकड़ने से चूक गया था। ऐसे मामलों में जब रेलवे समय पर या साफ-साफ घोषणा नहीं करता, जिससे यात्री को ट्रेन पकड़ने में मुश्किल होती है या ट्रेन छूट जाती है, तो इसे ‘सेवा में कमी’ माना जाएगा। जिसके लिए उपभोक्ता न्याय के लिए उपभोक्ता अदालत जाकर न्याय प्राप्त कर सकता है।
-लेखक उपभोक्ता मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।
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