नयी दिल्ली : वैश्विक महामारी कोविड-19 अन्य क्षेत्रों की तरह मनोरंजन की दुनिया पर भी कहर बनकर बरपी। ऐसी स्थिति में ओटीटी (ओवर द टॉप) वीडियो प्लेटफॉर्म लोगों के मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरा, लेकिन अब नियमन पर विवाद हो रहा है। जानकार सर्वमान्य मंच बनाने की जद्दोजहद में हैं। असल में जैसे-जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म यूजर्स बढ़ते गए कई फिल्म और सीरीज निर्माताओं ने अपने कंटेंट को ओटीटी पर ही रिलीज़ करने का फैसला किया। जिसका नतीजा रहा कि लॉकडाउन में कई फिल्में और वेब सिरीज इन ओटीटी प्लेटफार्मों पर रिलीज हुई। लेकिन यह प्लेटफार्म भी विवादों से नहीं बचा। कुछ प्लेटफार्मों की वेब सिरीज को लेकर देश में जमकर हंगामा भी मचा। इनमें द सूटेबल बॉय और ताडंव जैसी वेब सिरीज शामिल हैं। विवाद बढा मामला कोर्ट तक पहुंचा और दिशा निर्देश बनाने की मांग उठी। अब जानकार इसमें कई किंतु परंतु भी निकाल रहे हैं। असल में नियम बने हैं कि ओटीटी प्लेटफार्मों को अपने द्वारा प्रकाशित कंटेंट के बारे में डिटेल्स देनी होगी। ऐसे ही अनेक नियम और निवारण व्यवस्था है। नए नियमों के अनुसार, मंत्रालय ने उद्योग को अपने अनुसार कई स्व-विनियामक संगठन बनाने की छूट दी है। आगे बढ़ते हुए, मंत्रालय को संघठनों के लिए स्व-नियमन एक चार्टर प्रकाशित करना है, जिसमें कोड्स ऑफ़ प्रैक्टिसेज भी शामिल होगी। सभी संघठन उम्मीद कर रहे हैं कि चार्टर के निर्माण में सरकार उनसे परामर्श करेगी या एक हल्का स्पर्श चार्टर लेकर आएगी जिसे लागू करना आसान होगा। लेकिन मंत्रालय द्वारा घोषित व्यवस्था को देखें तो उसमें स्व-विनियमन की जगह सरकारी नियंत्रण का भाव ज्यादा नजर आ रहा है। त्रिस्तरीय व्यवस्था में ओवरसाइट को रखने का सीधा सा मतलब है कि मंत्रालय की अनुमति के बिना ओटीटी प्लेटफार्म किसी कंटेंट को नहीं दिखा पाएंगे। नई व्यवस्था देखने में तो स्व-अनुशासन की लग रही है, लेकिन असलियत में यह डंडे के दम पर अनुशासित करने जैसी है। अब कहा जा रहा है कि सरकार की इस घोषणा के बाद ओटीटी प्लेटफार्म दो धड़ों में बंट गया। पहला धड़ा इंडियन ब्राडकास्टिंग एंड डिजिटल फेडरेशन (आईबीडीएफ) का है। इस संगठन में ओटीटी प्लेटफार्मों के साथ ही वह प्लेटफार्म भी शामिल हैं, जिनके अपने टीवी ब्राडकास्टिंग चैनल्स हैं। वहीं दूसरा धड़ा इंटरनेट एंड मोबाइल एसोशिएसन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) का है, जिसमें सिर्फ ओटीटी प्लेटफार्म के सदस्य शामिल हैं।
इन दोनों संगठनों के बीच विवाद की मुख्य वजह आईबीडीएफ द्वारा बनाई गई स्व-विनियमन की व्यवस्था है, जो काफी हद तक टीवी ब्रॉडकास्टिंग के लिए बनाए गए नियम के आस-पास है। जिसे आईएमएआई से जुड़े प्लेयर्स नहीं मानना चाहते हैं। विवाद की इस स्थिति को देखते हुए जानकार कहते हैं कि सभी ओटीटी प्लेटफार्म एक संगठन बनाएं। चाहिए। इससे ओवरसाइट को हटाने की उनकी मांग एवं अन्य मुद्दों को लेकर सरकार के समक्ष अपनी बात प्रभावी ढंग से रख पाएंगे। अब देखना होगा कि आज की जरूरत बन चुके ओटीटी प्लेटफार्म को सर्वमान्य मंच बनाने के लिए किस तरह से आगे बढा जाएगा।