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Nutritious Food for Mothers मां के आहार से जुड़ी नन्हे की तंदुरुस्ती

बच्चे की सेहत से नाता मां की बेहतर खुराक का
पौष्टिक भोजन का सेवन करती एक महिला।
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जो माताएं नवजात बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराती है उन्हें अपनी खुराक का खास ध्यान रखना चाहिये। यदि माता का आहार विटामिन, प्रोटीन व आयरन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होगा तो जाहिर है कि गोद में खेलते नन्हे को परोक्ष तौर पर बेहतर पोषण मिलेगा। यानी बच्चा सेहतमंद रहेगा।

नीलम अरोड़ा

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नवजात शिशु का पहला आहार उसकी मां का दूध होता है, उसी से उसे पोषक तत्व मिलते हैं। मां के लिए जरूरी है कि जितने समय तक संभव हो, वह बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग कराए। सवाल है बच्चा चूंकि मां से ही अपना आहार ग्रहण करता है, इसलिए मां की खुराक ऐसी होनी चाहिए, जो दोनों की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा कर सके।

प्रोटीनयुक्त आहार

डिलीवरी के बाद मां को प्रतिदिन छह महीने तक 80 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है। वहीं 6 से 12 महीने तक यह घटकर 70 ग्राम होती है। बच्चे को प्रोटीन इसी दूध से मिलता है। यही प्रोटीन बच्चे की मांसपेशियों के विकास और उसके वजन को बढ़ाने के लिए जरूरी है। मां के शरीर में भी यदि हार्मोन्स, एंजाइम्स और एंटीबॉडीज का सही विकास होगा, तो बच्चे को भी इसका पूरा लाभ मिलेगा।

कैल्शियम और आयरन

यदि मां की डाइट में आयरन की कमी हो तो उसे एनीमिया हो सकता है। उन्हें अपनी खुराक में दालें, फलियां, हरी पत्तेदार सब्जियां व अंडा आदि लेना चाहिए ताकि बच्चे को भी कैल्शियम और आयरन की आपूर्ति हो सके और उसकी मांसपेशियां मजबूत बन सकें।

कैल्शियम और विटामिन डी

गर्भावस्था में भी बच्चे के शरीर में कैल्शियम की आपूर्ति के लिए मां को कैल्शियम युक्त डाइट लेने के साथ साथ कैल्शियम की टेबलेट्स लेने की सलाह दी जाती है। मां को अपने भोजन में दही, पनीर, चीज़, हरी पत्तेदार सब्जियां, ज्वार, बाजरा, रागी, अंडे व मछली आदि लेने चाहिए। विटामिन डी की आपूर्ति के लिए इन स्रोतों के साथ साथ मां और बच्चे को थोड़ी देर धूप में जरूर रहना चाहिए।

वसा और वसायुक्त पदार्थ

भारतीय समाज में आज भी डिलीवरी के बाद मां के दूध की गुणवत्ता व मात्रा में सुधार करने के लिए कई तरह के वसायुक्त खाद्य पदार्थ जैसे-बादाम का हलवा, अलसी और गोंद के लड्डू, मेथी के लड्डू और ड्राईफ्रूट युक्त पंजीरी, खाने के लिए दी जाती है। इनमें इस्तेमाल होने वाली अजवाइन, सौंफ,सौंठ और दूसरे मसाले पाचन के लिए अच्छे माने जाते हैं। चूंकि इनमें फैट और कैलोरीज ज्यादा होती हैं, इसलिए इनको सीमित मात्रा में लेना चाहिए।

तीन बार संतुलित आहार

अगर मां पूरा दिन कुछ नहीं खाती है तो वह भला अपने नन्हे बच्चे को फीड कैसे करा सकती है? अगर वह ऐसा करती है तो बच्चा दूध के माध्यम से मां के शरीर से पोषक तत्वों को हासिल करता है। इसलिए मां की सेहत भी दुरुस्त रहे, इसके लिए दिन में कम से कम तीन बार संतुलित आहार लेना चाहिए, जिसमें सुबह के नाश्ते को कभी छोड़ना नहीं चाहिए।

थोड़े-थोड़े अंतराल पर खाएं

ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान ज्यादा वसायुक्त खाद्य पदार्थ न खाएं। ब्रेस्ट फीड कराने के दौरान बार-बार भूख लगती है, क्योंकि इसमें काफी कैलोरीज खर्च होती हैं। तीन बार खाना खाने के अलावा बीच-बीच में फल, बादाम, सैंडविच,फ्रूट्स सलाद, दही व दूध आदि लेते रहना चाहिए।

एल्कोहल और धूम्रपान से बचाव

डिलीवरी के बाद ही नहीं गर्भावस्था में भी एल्कोहल और धूम्रपान का बुरा असर बच्चे पर होता है। एल्कोहल दूध के द्वारा बच्चे तक तुरंत पहुंचता है। धूम्रपान और तंबाकू का भी बुरा असर बच्चे पर दिखने लगता है। इसलिए ब्रेस्ट फीड कराने वाली मांओं को इनसे बचना चाहिए।

डाइटिंग को भी ना

डिलीवरी के तुरंत बाद बच्चा चूंकि अपनी पूरी खुराक के लिए मां पर ही निर्भर होता है, मां अगर डाइटिंग करती है और कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन से दूर रहती है, तो बच्चे के आहार में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। डाइटिंग करने की बजाय व्यायाम करें ताकि मोटापा न बढ़े। इसके लिए स्विमिंग, वॉकिंग और एक्सरसाइज से मां खुद को फिट रख सकती है। -इ.रि.सें.

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