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सद्भाव से सींचें मित्रता की बेल

फ्रेंडशिप डे - 3 अगस्त
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कहने को तो आप अपने हजारों ऑफलाइन व ऑनलाइन मित्र गिना सकते हैं लेकिन सच्चे और अच्छे मित्र के नाम पर यह गिनती सामित ही होती है। संपर्क में आए सभी लोगों से हमारी मित्रता नहीं होती है। मित्र बनाने के गंभीर मसले को विवेक से हल करें। वहीं मित्रता हो जाये तो वह त्याग और सद्भावना से कायम रहती है।

दो अक्षरों के शब्द ‘मित्र’ का मर्म जितना गहरा है, कर्म उतना ही कठिन है। जीवन यात्रा में हम आए दिन सैकड़ों लोगों से मिलते हैं और अब तो फेसबुक भी हमें हजारों दोस्तों के संपर्क में ला रहा है। उनसे हमारे संबंध विभिन्न स्तरों पर बनते हैं और बिगड़ते भी हैं। अपरिचित भी परिचित बन जाते हैं और कभी-कभी परिस्थितिवश परिचित भी अपरिचित-से लगने लगते हैं। संपर्क में आए सभी लोगों से हमारी एक-सी ही आत्मीयता, घनिष्ठता या मित्रता नहीं होती, यह संभव भी नहीं है।

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मित्र बनाने में जल्दबाजी

कई लोग मित्र बनाने में बहुत जल्दबाजी से काम लेते हैं। उनका परिचय तुरंत मित्रता में बदल जाता है और वे इसे अपनी विशेषता मानते हैं, लोकप्रियता मानते हैं। हो सकता है कि जल्दबाजी में हुई आपकी इस घनिष्ठता ने आपको एक सच्चा मित्र दे दिया हो, पर यह अपवाद भी हो सकता है। लेकिन अपवादों से जीवन नहीं जिया जाता। हो सकता है कि जल्दबाजी में हुई आपकी मित्रता का सूत्र ढीला हो और बुनियाद खोखली। बाद में आपको लगे कि आप मित्र बनाने की कला में पारंगत नहीं और धोखा खा गए।

अच्छा मित्र बनाने में बरतें गंभीरता

सच्चा मित्र पा लेने का मतलब जिंदगी की जंग जीत लेने जैसा होता है। कभी-कभी किसी के प्रति मन चुंबक की भांति आकर्षित होता है। जिस व्यक्ति को आप मित्र बनाना चाहते हैं, वह भी आपका मित्र बनने को उत्सुक होता है। कभी-कभी अपना मन भी साक्षी दे देता है और इंट्यूशन काम कर जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि आप स्वयं कितने ही अच्छे मित्र क्यों न हों, पर यदि आपका मित्र आपके प्रति निश्छल नहीं है तो आपका सारा प्रयास व्यर्थ साबित हो जाता है। अच्छा और सच्चा मित्र बनाने के इस गंभीर मसले को बड़ी गहराई और विवेक से हल करें। दूरदर्शिता और पैनी दृष्टि का सहारा लेकर यह मापने का प्रयत्न करें कि अमुक व्यक्ति की मित्रता आपके हक में ठीक है भी या नहीं?

मित्र आपके व्यक्तित्व के परिचायक

आपके मित्र आपके व्यक्तित्व के परिचायक होते हैं। आप कैसे लोगों से मिलते हैं, आपकी मित्रता कैसे लोगों से है, इससे लोग अंदाजा लगा लेते हैं कि आप स्वयं किस प्रकार के इंसान हैं। वहीं कहते हैं मित्रविहीन मनुष्य के लिए अपनी कठिनाइयों पर विजय पाना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए एक अच्छे मित्र का होना आवश्यक है, पर एक बुरे मित्र से मित्र का न होना ही बेहतर है।

सद्भावना से सींचें मित्रता की बेल

कई बार किसी अच्छे मित्र का नाम लेकर लोग मिसालें दिया करते हैं - दोस्त हो तो ऐसा, देखो भई दोस्तीा इसे कहते हैं आदि-आदि। सज्जन लोगों ने अच्छेे मित्रों के लक्षण बताते हुए कहा है कि एक अच्छा मित्र अपने मित्र के गुणों को प्रकाश में लाने का प्रयास करता है। अपने मित्र को उसकी अच्छाइयों और बुराइयों के साथ अपनाता है। अच्छे मित्र पैदा नहीं होते, बनाए जाते हैं। मित्रता की बेल को सहयोग और सद्भावना से सींचते रहना पड़ता है। सबसे बड़ी बात है कि दो मित्रों का एक-दूसरे पर विश्वास हो और संवेदनशील दृष्टिकोण हो। एक सच्चा मित्र प्रतिशोध और प्रतिस्पर्द्धा की भावना कभी नहीं रखेगा। मित्र की सफलताएं उसके मन में ईर्ष्या और द्वेष उत्प‍न्न नहीं करेंगी, बल्कि वह उनसे गौरवान्वित महसूस करेगा।

एक अच्छा मित्र बनने के लिए बहुत जरूरी है कि अपने बड़प्पन, मान-सम्मान और धन-दौलत के सामने मित्र को कदापि छोटा नहीं महसूस होने देना। कृष्ण और सुदामा की मित्रता कुछ इसी संदर्भ में याद की जाती है। यानी मित्र आपस में हर छोटी-मोटी गलती को मुद्दा न बनाएं।

दोस्त को दें उसका स्पेस

मित्रता को ‘टेकन फॉर ग्रांटेड’ मानकर मित्र की हर बात में इतनी दखलंदाजी भी न करें कि वह आपसे बोर हो जाए। आपकी समझदारी और दूरदर्शिता इसी में है कि आप सीमाओं का उल्लंघन न करें, मित्र को उसका स्पेस देने की बात हमेशा अपने जेहन में रखें। तभी आपकी मित्रता स्थिरता, प्रौढ़ता और परिपक्वता पा सकेगी। कहीं ऐसा न हो कि आपकी नादानी से एक अच्छा मित्र बनने से रह जाए या सच्चा मित्र पाकर भी आप उसे खो दें। वहीं जरूरी नहीं है कि दो मित्रों की रुचि या उनके सभी शौक एक से हों। आपमें कई बातों पर मतभेद हो सकते हैं, तकरार भी हो सकती है, पर यदि आप में पारस्प़रिक अंतरंगता, निष्ठा और स्नेह है, तो कुछ क्षणों के लिए भले ही लगे कि मित्रता की डोर कट गई, पर यह तनाव अधिक देर तक नहीं ठहर सकेगा। दरअसल, अच्छे मित्र बाजार में नहीं बिकते कि आप मुंहमांगा दाम देकर दुकानदार से उसके अच्छे-बुरे की पूछताछ और मोलभाव करके उसे खरीद कर ला सकें। अच्छा ‍मित्र बड़ी मुश्किल से मिलता है। यह भी कि जब मिलता है तो वरदान की भांति मिलता है।

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