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अब दसवीं की परीक्षा दो अवसरों के साथ

सीबीएसई का नया एग्जाम पैटर्न

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सीबीएसई के नये पैटर्न के तहत पहली बार कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षाएं एक ही सत्र में दो बार आयोजित की जाएंगी। आगामी फरवरी में 10वीं के छात्र अनिवार्य बोर्ड परीक्षा देंगे, इसके बाद यदि कोई छात्र चाहे तो मई में वह वैकल्पिक परीक्षा देकर अपने अंक सुधार सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस पैटर्न से छात्रों को हर तरह की राहत मिलेगी। हालांकि इसमें चुनौतियां भी कम नहीं।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई की अगले साल होने वाली 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की तारीखें निश्चित हो गई हैं। इसके साथ ही पहली बार कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षाएं एक ही शैक्षणिक सत्र में दो बार आयोजित की जाएंगी। यह बिलकुल नया पैटर्न होगा। साल 2026 में 10वीं और 12वीं की सीबीएसई बोर्ड परीक्षाएं 17 फरवरी से 6 मार्च 2026 तक आयोजित की जाएंगी। इसके बाद यानी इंप्रूवमेंट सत्र में 15 मई से 1 जून 2026 तक 10वीं परीक्षा एक बार और होगी। दोनों में से जिस परीक्षा में स्टूडेंट को अपने बेहतर अंक लगें, उसे अपनी मानक परीक्षा के रूप में अपने पास रख सकते हैं।

अंक तालिका बेहतर बनाना आसान

यह बदलाव देश के परीक्षा पैटर्न में एक ऐतिहासिक मोड़ के रूप में आ रहा है। बहुत संभव है कि इसके बाद देश के ज्यादातर या सभी बोर्ड इस पैटर्न को अपना लें। आने वाले फरवरी माह में सीबीएसई के 10वीं के छात्र अनिवार्य बोर्ड परीक्षा देंगे, इसके बाद यदि कोई छात्र चाहे तो मई में वह वैकल्पिक परीक्षा सत्र में भी भाग लेकर अपनी अंक तालिका को बेहतर बना सकता है। हालांकि दूसरे सत्र में सुधार केवल तीन कोर सब्जेक्ट तक ही सीमित रहेगा।

छात्रों के हित में प्रमुख बदलाव

दोनों ही परीक्षाएं पूरे वर्ष के पाठ्यक्रम पर आधारित होंगी। हालांकि इंटरनल एसेसमेंट शैक्षणिक सत्र में सिर्फ एक बार ही होगा, न कि दो बार। विषय परिवर्तन भी नहीं होगा यानी पहली परीक्षा में छात्र जिन विषयों में इम्तिहान देंगे, उन्हीं विषयों को दूसरी परीक्षा के लिए भी चुनना होगा। नया नियम यह भी है कि दूसरी परीक्षा के लिए लिस्ट में नये नामों को नहीं जोड़ा जायेगा। यदि कोई छात्र पहली परीक्षा में पास नहीं हुआ, तो वह मई सत्र में कंपार्टमेंट परीक्षा भी दे सकेगा। अब के पहले तक यदि छात्र कम अंक प्राप्त करते हैं या फेल हो जाते हैं तो उन्हें कंपार्टमेंट परीक्षा देनी पड़ती थी, जो मेन परीक्षा से बहुत बाद में होती थी और कई छात्रों का एक साल बर्बाद हो जाता था। इसलिए यह नया पैटर्न उनके भी हित में होगा।

प्रदर्शन में सुधार की गुंजाइश

अभी तक एक ही परीक्षा ‘मेक या ब्रेक’ वाली होती थी यानी यदि कोई छात्र किसी विषय में अच्छा प्रदर्शन न कर पाता तो उससे उसका पूरा परीक्षा परिणाम प्रभावित होता था। इस वजह से तनाव, अभिभावकों और छात्रों के लिए चिंता का विषय था। लेकिन अब इससे उन्हें किसी एक या तीन कोर विषयों पर स्थिति बेहतर करने का महज कुछ दिनों के भीतर ही दूसरा मौका मिलेगा। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस नये परीक्षा पैटर्न से छात्रों को हर तरह की राहत मिलेगी। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लचीलापन और छात्र उन्मुख विकल्प के रूप में सामने आयेगा।

चुनौतियां भी कम नहीं

दो सत्र की परीक्षा आयोजित करने, परीक्षा केंद्रों, मूल्यांकन कर्मियों आदि की व्यवस्था करने का स्कूलों और बोर्ड पर काफी ज्यादा दबाव रहेगा। साथ ही विद्यार्थियों, स्कूलों और अभिभावकों को अतिरिक्त तैयारी करनी होगी। शिक्षकों को टाइम टेबल व अन्य संसाधनों के साथ सामंजस्य बिठाना पड़ेगा। इसके साथ ही विषय चयन बदलने, विषयों के बदलाव आदि की अनुमति नहीं है। असल में, यह आने वाली पहली परीक्षा के बाद ही पता चलेगा कि यह प्रयोग कितना सफल और सार्थक रहेगा। -इ.रि.सें

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