मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

वर्जना नहीं, सेहत का महत्वपूर्ण पहलू

विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस : 4 सितंबर
Gender symbols
Advertisement

अक्सर यौन स्वास्थ्य को केवल यौन रोगों व चिकित्सा के तौर पर देखा जाता है जबकि यह मानवाधिकार, सामाजिक न्याय और वैयक्तिक गरिमा से भी जुड़ा है। वहीं यौन न्याय सुनिश्चित करने का मतलब है कि हर व्यक्ति को लैंगिक पहचान कैसी भी हो या चाहे वह जिस किस्म का यौन झुकाव रखता हो, उसके अधिकारों की बिना भेदभाव सुरक्षा यकीनी बन सके। जरूरी यह भी कि यौन समस्याओं के प्रति लोग शिक्षित हों।

यौन स्वास्थ्य का मतलब केवल यौन बीमारियों से बचाव नहीं है बल्कि एक सम्पूर्ण, सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन जीना भी है। विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस हर साल 4 सितंबर को यह संदेश देने के लिए मनाया जाता है कि यौन स्वास्थ्य शर्म या वर्जना का विषय नहीं है बल्कि मानव कल्याण और गरिमा का जरूरी हिस्सा है। यौन स्वास्थ्य दिवस मनाये जाने की शुरुआत वर्ल्ड एसोसिएशन फॉर सेक्सुअल हेल्थ की सिफारिश पर हुई। यौन स्वास्थ्य के प्रति दुनिया को आगाह करने के लिए हर साल एक थीम विषय चुना जाता है। साल 2025 की थीम है, ‘सेक्सुअल जस्टिस: व्हट कैन वी डू?’ यानी ‘यौन न्याय: हम क्या कर सकते हैं?’ इस थीम की बदौलत यौन स्वास्थ्य के चार प्रमुख समस्याओं पर फोकस किया गया है। पहला- यौन अधिकार, दूसरा- यौन प्रजनन अधिकार, तीसरा- एलजीबीटी किशोर और चौथा- यौन स्वास्थ्य की जानकारियों तक पहुंच।

Advertisement

यौन न्याय व प्रजनन अधिकार

यौन न्याय का अभिप्राय है- बिना भेदभाव, भय मुक्त, शर्म रहित और बिना कलंक के सभी के हिस्से में यौन स्वास्थ्य का अधिकार हो। जबकि यौन प्रजनन अधिकार से आशय यह है कि हर व्यक्ति को प्रजनन विकल्पों के अधिकार की सुरक्षा हो और उनकी सुरक्षा को प्रोत्साहित किया जाए। इसके तीसरे फोकस का मतलब भिन्न-भिन्न यौन ओरिएंटेशन वाले किशोरों के अधिकारों की पहचान और उनकी रक्षा करना और इसके चौथे फोकस का आशय है- सभी को सटीक यौन स्वास्थ्य हासिल हो, बिना सेंसर के, बिना किसी भेदभाव के।

मानवाधिकार व वैयक्तिक गरिमा के पहलू

यौन स्वास्थ्य दिवस मनाये जाने का महत्व यह है कि यौन स्वास्थ्य को हम केवल यौन चिकित्सा की नजरों से न देखें बल्कि मानवाधिकार, सामाजिक न्याय और वैयक्तिक गरिमा की नजर से भी देखें। यौन न्याय सुनिश्चित करने का मतलब है कि हर व्यक्ति चाहे उसकी लैंगिक पहचान कैसी भी हो या चाहे वह जिस किस्म का यौन झुकाव रखता हो, उसके अधिकारों की हम बिना भेदभाव सुरक्षा दे सकें। यौन अधिकारों तक पहुंच हो जाए, यौन समस्याओं के प्रति लोग शिक्षित और समावेशित हो जाएं। यह वर्जनाओं से मुक्ति और व्यापक दुनिया के सेक्सुअल कल्याण के लक्ष्य से जुड़ा है। दुनिया इस समय बड़े पैमाने पर यौन स्वास्थ्य की समस्याओं से पीड़ित है। बड़ी बात यह है कि यौन स्वास्थ्य की समस्या अलग-अलग सामाजिक स्थितियों और हैसियत के चलते अलग-अलग है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर दिन दस लाख से अधिक लोग नई यौन संचारित समस्याओं से संक्रमित हो रहे हैं।

यौन बीमारियों से सुरक्षा

साल 2020 में लगभग 37.4 करोड़ लोगों में सिफलिस, क्लेमाइडिया, गेनोरिया और ट्राइकोमोनियासिस यौन बीमारियों के नये मामले देखने को मिले थे। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक लगभग तीन में से एक महिला और तीन में से एक लड़की जिंदगी में कभी न कभी यौन रोग की समस्या से गुजरती है, जो कि उनकी स्वास्थ्य समस्या के लिए गंभीर बन जाती है। दुनिया में यौन समस्याओं की रोकथाम में व्यापक कमी आयी है, क्योंकि किशोरों और युवाओं में सुरक्षा उपायों का उपयोग दिनोंदिन घट रहा है। इसके पीछे कारण यौन शिक्षा और यौन स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के अभाव के साथ-साथ सामजिक दबाव था। सभी को यौन स्वास्थ्य की शिक्षा और अधिकार बराबरी के साथ हासिल नहीं है।

भारत की स्थिति

जहां तक इन सारे संदर्भों में भारत का सवाल है तो अपने यहां 2023 के आंकड़ों के मुताबिक 3.14 मिलियन लोग यानी 31 लाख 40 हजार लोग एचआईवी/एड्स से प्रभावित थे। दुनिया में एड्स से प्रभावित लोगों की यह तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या थी। लेकिन शुक्र था कि प्रचलन दर अपेक्षाकृत काफी कम लगभग 0.26 से 0.3 प्रतिशत थी। इसी तरह भारत में यौन संचारी बीमारियों की प्राकलन दर भी 0 से 3.9 प्रतिशत थी। लेकिन जोखिम वाले समूह जैसे यौन कर्मी, ट्रांसजेंडर आदि में यह दर काफी ज्यादा थी।

सम्पूर्ण स्वास्थ्य का सम्मान

देश में विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस मनाये जाने की महती जरूरत है ताकि हम बार-बार इस बात को खुद जान और दोहरा सकें कि यौन स्वास्थ्य किसी वर्जना का विषय नहीं है बल्कि हमारे स्वस्थ जीवन का अनिवार्य हिस्सा रहा है। जब हम सामाजिक शर्म और चुप्पी से यौन बीमारियों को शर्म और वर्जना का विषय बना लेते हैं तो हमारे स्वस्थ जीवन का अधिकार तो बाधित होता ही है, हम अपनी इस लापरवाही से दूसरों को भी असुरक्षित करते हैं। इसलिए विश्व यौन स्वास्थ्य दिवस का सबसे बड़ा संदेश यही है कि यौन स्वास्थ्य केवल खुद को बीमारियों से बचाना नहीं है बल्कि अपने साथी के यौन स्वास्थ्य सहित सम्पूर्ण स्वास्थ्य का सम्मान करना है। -इ.रि.सें.

Advertisement
Show comments