खाद्य उत्पादन में जगी नई उम्मीदें
खाद्य उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। इनमें इस्तेमाल होने वाले एंजाइमों की मांग और वैश्विक बाजार निरंतर विस्तार कर रहा है। इनकी आपूर्ति के लिए, ऐसे एंजाइमों का विकास अनिवार्य है, जो खाद्य उद्योग में विविध उपयोग के अनुकूल हों। आधुनिक बायोटेक विधियों के जरिये माइक्रोब्स को आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जा सकता है।
डॉ. अनु कुमार
एंजाइम्स का उपयोग खाद्य उत्पादों के उत्पादन में एक प्राचीन प्रक्रिया रही है। माइक्रोब्स (सूक्ष्मजीव) कई प्रकार के एंजाइम प्रदान करते हैं जो खाद्य वस्तुओं के स्वाद, बनावट और सुगंध को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं, जिससे खाद्य उद्योग को अनेक लाभ मिलते हैं। ऐसे में इन माइक्रोबियल एंजाइम्स की उपलब्धता में वृद्धि हुई है, जिससे उनका उपयोग फूड इंडस्ट्री में बढ़ा है। इनकी लागत-प्रभावशीलता और वाणिज्यिक उत्पादन की सरलता उन्हें विभिन्न औद्योगिक उपयोगों के लिए आदर्श बनाती है।
प्रौद्योगिकी में प्रगति से एंजाइम्स विकास
माइक्रोबियल एंजाइम्स का उपयोग ब्रूअरी, डेयरी और बेकरी उद्योगों सहित कई खाद्य प्रसंस्करण में किया जाता है। इसके अतिरिक्त, खाद्य उत्पादों के पोषण मूल्य, रंग, सुगंध और बनावट को भी इन एंजाइम्स की सहायता से सुधारा जा सकता है। प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, खाद्य और पेय उद्योग में कई नए एंजाइम्स का विकास हुआ है और इनकी मांग बढ़ रही है। समीक्षा की दृष्टि से फाइटेज़, लाइपेज़, लैकटेज़, पेक्टिनेज़ और लैकेज़ जैसे कुछ प्रमुख एंजाइम्स के अनुप्रयोगों की तुलनात्मक व्याख्या प्रस्तुत करना समीचीन है, जिनका उपयोग खाद्य प्रसंस्करण में सहायक के रूप में किया जाता है।
एंजाइमों की मांग में वृद्धि
बढ़ती जनसंख्या के साथ खाद्य उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। तो खाद्य अनुप्रयोगों में इस्तेमाल होने वाले एंजाइमों की मांग और वैश्विक बाजार निरंतर विस्तार कर रहा है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, ऐसे एंजाइमों का विकास अनिवार्य है, जिनकी कार्यक्षमता अधिक हो और जो खाद्य उद्योग में विविध उपयोग के अनुकूल हों। आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी विधियों का उपयोग करके, सूक्ष्मजीवों यानी माइक्रोब्स को आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जा सकता है ताकि वे बड़े पैमाने पर विशिष्ट आणविक गुण-धर्मों वाले एंजाइमों का उत्पादन कर सकें।
बेहतर खासियतों वाले एंजाइम
सूक्ष्मजीवों के जीनों को अधिक मात्रा में अभिव्यक्त करके, उच्च-विशिष्टता वाले एंजाइम व्यावसायिक मांग के अनुसार उत्पन्न किए जा सकते हैं। इसके अलावा, विभिन्न सूक्ष्मजीवों से एंजाइमों के जीनों को आनुवंशिक रूप से संयोजित करके संकर एंजाइम (दो या अधिक अलग-अलग स्रोतों यानी जैविक प्रजातियों के जीन को मिलाकर बनाना) का विकास संभव है, जिनमें एक से अधिक उत्प्रेरक गतिविधियां होती हैं। कई सूक्ष्मजीव-व्युत्पन्न एंजाइम अभी भी अनदेखे हैं।
सूक्ष्मजीवी एंजाइम के खास फायदे
खाद्य उद्योग में पारंपरिक उत्प्रेरकों की तुलना में सूक्ष्मजीवी एंजाइम कई लाभ प्रदान करते हैं, विशेषकर उनकी विशिष्टता और खाद्य उत्पादों में उपयोग की सुरक्षा के मामले में। कई प्रकार के सूक्ष्मजीवों का उपयोग औद्योगिक महत्त्व के एंजाइमों के निष्कर्षण यानी एक्सट्रेक्शन के लिए किया जाता है, क्योंकि वे आसानी से उपलब्ध होते हैं और कम लागत में बड़े पैमाने पर उत्पादित किए जा सकते हैं। हालांकि, इन प्राकृतिक उत्प्रेरकों में कुछ सीमाएं भी हैं, जैसे कि उच्च तापमान और pH जैसे औद्योगिक प्रसंस्करण परिस्थितियों के अनुकूलन में कठिनाई और बड़े पैमाने पर उत्पादन में चुनौतियां। इन चुनौतियों के समाधान के लिए एंजाइम इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जो व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए एंजाइमों के गुणों को बेहतर बनाने में सहायक हैं। एंजाइम इंजीनियरिंग ने नए कार्यों और गुणों के साथ एंजाइमों के पुनर्निर्माण और भविष्यवाणी के लिए नए रास्ते खोले हैं।
चुनौतियां भी कायम
इसके बावजूद, कई चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं। रैंडम म्यूटाजेनेसिस से उत्पन्न आनुवंशिक प्रकारों की जांच के लिए स्क्रीनिंग तकनीकों की कमी है। वहीं उच्च-थ्रूपुट स्क्रीनिंग विधियों और आनुवंशिक इंजीनियरिंग उपकरणों में और अधिक प्रगति जरूरी है। इसके अलावा, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में संरचनात्मक और कार्यात्मक जानकारी वाले एंजाइम डेटाबेस को विस्तृत करना आवश्यक है। सीआरआईएसपीआर-आधारित जीन मॉड्यूलेशन एंजाइमों के उत्प्रेरक गुण, सब्सट्रेट-बाइंडिंग क्षमता और स्थिरता को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। इस प्रकार की जीन एडिटिंग तकनीकें, सूक्ष्मजीवों के प्रदर्शन को जीन स्तर पर सुधार सकती हैं और वाणिज्यिक एवं औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें ढाल सकती हैं। हालांकि आनुवंशिक इंजीनियरिंग से उत्पन्न एंजाइमों की स्वीकृति में कई सवाल खड़े होते हैं, जिनमें सुरक्षा और नैतिकता मुद्दे प्रमुख हैं। जनता में जागरूकता जरूरी है ताकि इन जैव प्रौद्योगिकी नवाचारों का सही तरीके से उपयोग किया जा सके।