Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

प्रकृति के फुर्तीले और रंगीन उभयचर

मेढक

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

मेढक छोटे उभयचर हैं, जिनके लंबे पैर होते हैं। वे पानी और जमीन दोनों पर रहते हैं। मेढकों की विभिन्न प्रजातियां विश्व में पाई जाती हैं।

मेढक एक उभयचर है। उभयचर उन जीवों को कहते हैं जो कुछ समय जमीन पर और कुछ समय पानी के भीतर बिताते हैं। विश्व के सभी मेढक प्रायः छोटे होते हैं। इनकी लंबाई आधा सेंटीमीटर से तीस सेंटीमीटर तक होती है। मेढकों के पूंछ नहीं होती तथा पैर लंबे होते हैं। इनके पीछे के पैर अधिक लंबे होते हैं एवं इनमें चार भाग होते हैं तथा इनकी संरचना इस प्रकार की होती है कि ये लंबी और ऊंची छलांग लगा सकते हैं। विश्व में पाए जाने वाले मेढकों में तीन प्रमुख हैं—रानीडी परिवार के मेढक या वास्तविक मेढक, रैकोफोरीडी परिवार के मेढक या वृक्ष मेढक तथा माइक्रोहाइडी परिवार के मेढक या पतले मुंह वाले मेढक। इन तीनों परिवारों में रानीडाइ सबसे बड़ा है। इस परिवार का मूल स्थान अफ्रीका है, किंतु इस परिवार के मेढक विश्व के लगभग सभी भागों में पाए जाते हैं।

राना वंश मेढकों का सबसे बड़ा वंश है। इस वंश के मेढक दक्षिणी अमरीका के दक्षिणी भागों, मध्य एवं दक्षिण आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड तथा पूर्वी पोलेनेशिया को छोड़कर संपूर्ण विश्व में पाए जाते हैं। यह वास्तविक मेढक का एकमात्र वंश है, जो अमेरिका और यूरोप में पहुंचा है। राना की दो सौ जातियां हैं। सभी का स्वरूप लगभग एक जैसा होता है। सभी जातियों के राना मेढक दुबले-पतले और फुर्तीले होते हैं। इनका सिर नुकीला, आंखें बाहर निकली हुई, पिछले पैर लंबे और उंगलियां झिल्लीदार होती हैं। इनकी त्वचा नम, चिकनी तथा सामान्यतया हरे अथवा कत्थई रंग की होती है, किंतु इनके रंगों और शरीर पर पायी जाने वाली डिजाइनों में काफी भिन्नता देखने को मिलती है।

Advertisement

अमेरिका में भी राना वंश के मेढकों की अनेक जातियां पायी जाती हैं। इनमें हरा मेढक और तेंदुआ मेढक प्रमुख हैं। तेंदुआ मेढक एक विचित्र मेढक है। यह प्रायः जलस्रोतों से दूर खेतों और बगीचों में भी मिल जाता है। राना वंश के मेढकों की अनेक जातियां काफी बड़े आकार की होती हैं। इन्हें सांड मेढक कहते हैं, किंतु विश्व का सबसे बड़ा मेढक गोलायथ मेढक है। यह राना वंश का नहीं है, किंतु रानाडी परिवार का है। गोलायथ मेढक कैमरान और गायना के जलप्रपातोें में पाया जाता है। इसकी लंबाई 30 सेंटीमीटर तक एवं वजन 3.6 किलोग्राम तक होता है। गोलायथ मेढक बहुत बड़ा होता है, किंतु इसके टेडपोल काफी छोटे होते हैं। अभी तक गोलायथ मेढक के 5 सेंटीमीटर से अधिक लंबे टेडपोल देखने को नहीं मिले।

Advertisement

फिलीपींस में प्लेटीमेन्टिस वंश के मेढकों की कुछ जातियां पायी जाती हैं, जो वृक्षों पर रहती हैं। इन जातियों के मेढकों के वृक्ष मेढक के समान हाथ की उंगलियों के सिरों पर चूषक डिस्क होती है, जिनकी सहायता से ये वृक्षों की शाखाओं पर लटके रहते हैं। ये सभी पानी के बाहर अंडे देते हैं। प्लेटीमेंटिस हैजिली मेढक की मादा पांच से लेकर नौ तक के समूह में अंडे देती है। इसके टेडपोल अंडों के भीतर ही विकसित होते हैं और लगभग सात सप्ताह बाद एक छोटे से बच्चे मेढक के रूप में अंडे से बाहर आते हैं। दक्षिण अफ्रीका के अनेक भागों में ठंडी छायादार घाटियां हैं। इन घाटियों को क्लूफ कहते हैं। इन घाटियों में एक मेढक पाया जाता है, जिसे क्लूफ मेढक कहते हैं, इसके चारों पैरों पैरो की उंगलियों के सिरों पर चूषक डिस्क होती है, किंतु आगे की उंगलियों की डिस्क बड़ी होती है। इन्हीं के सहारे यह किसी आधार से लटका रहता है। क्लूफ मेढक की मादा बड़े विचित्र ढंग से अंडे देती है। यह समागम काल में किसी ऐसी खड़ी चट्टान या पानी में लटकी हुई पत्ती का तलाश करती है, जिसके नीचे पानी हो। समागम के बाद यह इसी चट्टान अथवा पत्ती पर अंडे देती है। अंडे देते समय यह अपने आगे के पैरों से चट्टान अथवा पत्ती को पकड़े रहती है और पीछे के पैरों से अंडे निकालकर चिपकाती जाती है। अंडे देने के छह दिन बाद अंडों से टेडपोल निकलते हैं और ढलान होने के कारण सीधे पनी में गिर जाते हैं।

विश्व के अनेक भागों में ऐसे भी मेढक पाए जाते हैं, जो मांद बनाते हैं। इन्हें मांद बनाने वाले मेढक कहते हैं। रैट्रेज मेढक में चित्तीदार मांद बनाने वाले मेढक से विपरीत स्थिति होती है। इसकी लंबाई दो सेंटीमीटर से ढाई सेंटीमीटर के मध्य होती है। रानीडी परिवार में एक अद्भुत मेढक पाया जाता है, जिसे बालदार मेढक कहते हैं। इसमें नर मेढक के शरीर के दोनों ओर तथा जांघों पर फर जैसे बाल होते हैं। सामान्यतया अधिकांश मेढकों में थोड़ा-बहुत विष होता है। मेढकों का विष इतना हल्का होता है कि इन्हें हाथ से पकड़ने पर कुछ भी नहीं होता। कुछ मेढकों को हाथ में लेने पर हल्की-सी जलन होती है, किंतु वाणविष मेढक विश्व का एकमात्र ऐसा मेढक है, जिसके विष से व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो जाती है। इ.रि.सें.

Advertisement
×