खूबसूरती के साथ रहस्य-रोमांच भी
इस स्थान को प्रकृति ने जमकर अपनी नेमत दी है। रंग-बिरंगी तितलियां यहां देखने का अलग ही आनंद देती हैं। बर्फ के पहाड़ों पर रहने वाले पक्षी और चटख लाल बुरांस के फूलों का यहां मनोरम नजारा बनता है।
उत्तराखंड जहां देवभूमि कहलाता है, वहीं वह खूबसूरती के मामले में स्विट्ज़रलैंड को भी पीछे छोड़ देता है। यहां नदियां हैं, तो पहाड़ों के बीच से झांकते सूर्यदेव हैं, और रंग-बिरंगी वन्य जीव-जंतुओं की दुनिया भी आपको पुकारती है। अगर आपको प्रकृति से साक्षात्कार करना है, तो आप यहां आकर उसे अपनी रूह में महसूस कर सकते हैं। यहां पर जितनी खूबसूरती की दुनिया है, उससे कहीं अधिक रहस्य और रोमांच भी यहां पर भरा पड़ा है।
चंपावत जिले में समुद्र तल से लगभग 1981 मीटर की ऊंचाई पर एबट माउंट एक ऐसा ही स्थान है, जो नैसर्गिक सुंदरता के लिए पहचाना जाता है। यहां पर्वतों से छनकर जो खूबसूरती सामने आती है, वह पर्यटकों का मन मोह लेती है। एबट माउंट इसके साथ ही दुनिया के सर्वाधिक डरावने स्थलों में से एक के रूप में भी प्रसिद्ध है।
इस स्थान को प्रकृति ने जमकर अपनी नेमत दी है। रंग-बिरंगी तितलियां यहां देखने का अलग ही आनंद देती हैं। बर्फ के पहाड़ों पर रहने वाले पक्षी और चटख लाल बुरांस के फूलों का यहां मनोरम नजारा बनता है। कुमाऊं की पूर्वी पहाड़ियों पर अगर ट्रेकिंग करना चाहें, तो उसका रोमांच यहां हर कहीं है। ट्रेकिंग के लिए कई स्थान यहां पर हैं, जहां आप रहस्यमयी दुनिया में जा सकते हैं। सर्वाधिक रहस्यमय ट्रेकिंग करनी हो, तो एबट माउंट चर्च की उन पगडंडियों पर जाएं, जहां दिन में भी आपको डर महसूस होगा।
देवदार और बांज के वृक्षों की पत्तियां जब आपके पैरों के नीचे आती हैं, तो आपको लगता है कि आप किसी ऐसे स्थान पर हैं जो भूतहा है। अकेले में यह किसी डरावनी फिल्म का दृश्य ही लगता है। आज़ादी से पहले के संयुक्त प्रदेश और आज के उत्तर प्रदेश के झांसी के निवासी जॉन हेरॉल्ड एबट लगभग 1915 के आसपास यहां आए और यहां की सुंदरता से प्रभावित होकर उन्होंने लगभग पांच एकड़ के जंगल में एक दर्जन से अधिक कॉटेज का निर्माण करवाया। वे अपनी पत्नी के साथ यहां रहते थे। बाद में पत्नी की मृत्यु के बाद उन्होंने उसकी स्मृति में एक चर्च बनवाया। उस समय यहां पर प्रार्थना के लिए लोग आते थे, पर आज वह भूतिया चर्च के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है।
रहस्य और रोमांच
एबट माउंट चर्च के पास बने बंगले में एक अस्पताल बनाया गया था, ताकि यहां के लोगों को चिकित्सा की सुविधा मिल सके। इसे डॉक्टर मॉरिस ने बनवाया था। धीरे-धीरे अस्पताल में मरीजों की संख्या जब अधिक हुई, तो डॉक्टर मॉरिस ने उसके विस्तार के लिए और बंगले खरीद लिए। असल में डॉक्टर मॉरिस को रिसर्च करने की ज़िद थी, और वह यह जानने के लिए उत्सुक थे कि आखिर इंसान का दिमाग मौत के समय कैसे काम करता है तथा उस वक्त उसकी स्थिति क्या होती है। वे उसी बंगले में उपचार और रिसर्च करते थे जिसमें एबट ने अपना घर बनाया था। रहस्य क्या है, यह तो मॉरिस का परिवार ही जानता होगा, लेकिन जिन मरीजों पर वह प्रयोग करते थे, उनकी मृत्यु उसी दिन होती थी जिस दिन वह बताते थे। स्थानीय निवासी बताते हैं कि उनकी भविष्यवाणियों के कारण वह ‘मौत के डॉक्टर’ और एबट का बंगला ‘मुक्ति कोठी’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
कुछ लोग उन्हें जादूगर कहते थे, तो कुछ कहते कि वह कोई जासूस थे। रहस्य का पर्दा यह है कि कहा जाता है कि यहां पर उन्होंने कम से कम सौ मरीजों पर प्रयोग किया था। यूं तो अभी भी जब इस मुक्ति कोठी के आसपास के इलाके में खुदाई होती है, तो मानव कंकाल मिल जाते हैं। आजकल एबट माउंट चर्च खंडहर बन चुका है और इसके पीछे बनी एबट के सगे-संबंधियों की कब्रें भी टूट चुकी हैं, लेकिन उनकी सुंदरता बताती है कि उन्हें बनाने वाले ने कितनी शिद्दत से उनका निर्माण करवाया होगा।
एबट माउंट को दुनिया के सर्वाधिक डरावने स्थानों में गिने जाने के पीछे कहा जाता है कि अभी भी यहां रात को चीखने-चिल्लाने की आवाजें आती हैं। कई बार ऐसा भी लगता है कि जैसे कोई चल रहा हो। अकेले में जाते हुए, वृक्षों की बहुलता के कारण यह दिन में भी डरावना लगता है।
कैसे जाएं
यहां जाने के लिए काठगोदाम और टनकपुर तक रेल की सुविधा है और उसके बाद आपको टैक्सी से जाना होगा। नई दिल्ली तथा देश के दूसरे स्थानों से लोहाघाट के लिए सीधी बस भी मिल जाती है। निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट है। यहां ठहरने के लिए आपको कुमाऊं मंडल विकास निगम का एक टूरिस्ट रेस्ट हाउस मिल जाएगा। सर्दी के मौसम में अगर आप यहां जाएंगे तो बर्फबारी का आनंद तो मिलेगा ही, साथ ही आप माइग्रेट करके आने वाले पक्षियों को भी यहां देख पाएंगे। चित्र लेखक