बड़ी उपयोगी है आधुनिक क्वांटम तकनीक
क्वांटम तकनीक का मतलब है जादूगर से लगने वाले न्यूनतम व अविभाज्य कणों के गुण-धर्म का इस्तेमाल करते हुए नवीनतम कंप्यूटिंग, संचार तथा इमेजिंग आदि तकनीकी का विकास करना। चीन, अमेरिका, यूरोप व जापान इसके इस्तेमाल में अग्रणी हैं। वहीं भारत भी इस क्षेत्र में कदम बढ़ा रहा है।
चाहे एंट्रेंस एग्जाम हों या फिर नौकरी से संबंधित प्रतियोगिता परीक्षाएं, करीब-करीब सभी तरह की परीक्षाओं में जनरल स्टडीज के व्यापक दायरे से सवाल पूछे जाते हैं। जो अमूमन सवाल साइंस व टेक्नॉलोजी, इतिहास, सोशल साइंसेज, लैंग्वेज, रीजनिंग व मैथ्स विषय से होते हैं। इसी संदर्भ में जानिये क्वांटम तकनीक के बारे में-
क्वांटम तकनीक एक ऐसी तकनीक है, जो अत्यंत सूक्ष्म कणों मसलन इलेक्ट्रॉन, फोटोन आदि के विशेष व्यवहार पर आधारित है। इन कणों में कुछ ऐसे गुण पाये जाते हैं, जिन पर हमारी दुनिया का कोई भी सामान्य नियम लागू नहीं होता। इसलिए कभी कभी यह तकनीक जादू जैसी लगने लगती है। मसलन क्वांटम तकनीक के तहत कोई दो कण एक-दूसरे से दूर होते हुए भी परस्पर जुड़े रह सकते हैं। इसी तरह कोई एक कण एक साथ दो जगहों पर हो सकता है। क्वांटम तकनीक का मतलब है जादूगर लगने वाले कणों के गुण-धर्म का इस्तेमाल करते हुए नई तरह की कंप्यूटिंग, संचार तथा इमेजिंग आदि की तकनीक का विकास करना।
ऊर्जा या पदार्थ की अविभाज्य न्यूनतम मात्रा
क्वांटम तकनीक की खोज सन 1900 में जर्मन वैज्ञानिक मैक्स प्लांक ने की था। क्वांटम शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है संभावित न्यूनतम या अत्यल्प मात्रा। यानी ऊर्जा या भौतिक राशि की वह सबसे छोटी मात्रा, जिसे और छोटी मात्रा में विभाजित न किया जा सके। जैसे प्रकाश फोटोन नामक अत्यंत सूक्ष्म कणों से बना होता है। इसी तरह अगर ऊर्जा को भी इस अंतिम इकाई तक जोड़ें तो यह क्वांटम रूप में ही उत्सर्जित या अवशोषित होती है। इसके बाद 1905 में अलबर्ट आईंस्टीन ने प्रकाश को फोटोन नामक छोटे कणों के रूप में समझाया। मैक्स प्लांक और आईंस्टीन के बाद क्वांटम फिजिक्स के जो और महान वैज्ञानिक हुए हैं, जिन्होंने इसको और आगे जाकर समझाया है।
अविश्वसनीय सा लेकिन सच
क्वांटम तकनीक हमें जादुई कारगुजारियों सी लगती है। इसके सिद्धांत सामान्य नियमों से बिल्कुल उलट-पलट होते हैं और सहजता से समझ में नहीं आते। लोग क्वांटम तकनीक को अविश्वसनीय लेकिन सत्य मानते हैं।
क्वांटम कंप्यूटिंग व कम्युनिकेशन
सवाल है क्वांटम तकनीक से क्या-क्या संभव हुआ है। दरअसल इसकी विकास यात्रा के मुताबिक इससे चार प्रारंभिक चीजें संभव हुई हैं। सबसे पहले तो क्वांटम तकनीक से क्वांटम कंप्यूटिंग का विकास हुआ है। क्वांटम कंप्यूटिंग सुपरफास्ट कंप्यूटर, सामान्य या प्रारंभिक कंप्यूटरों से तेज है। आईबीएम और गूगल जैसी कंपनियों ने क्वांटम कंप्यूटर बनाये हैं, जो जटिल से जटिल गणनाओं को पलक झपकते हल कर डालते हैं। क्वांटम तकनीक की दूसरी बड़ी उपलब्धि क्वांटम संचार यानी हैक प्रूफ संचार तकनीक है। चीन ने साल 2016 में पहला क्वांटम उपग्रह ‘माइक्स’ लांच किया, जो सुरक्षित संचार भेजता है, जिसको दुनिया का कोई देश नहीं पढ़ सकता। क्वांटम तकनीक की तीसरी बड़ी उपलब्धि है, क्वांटम सेंसर। ये बेहद संवेदनशील सेंसर हैं, जो सूक्ष्म से सूक्ष्म बदलावों को पकड़ सकते हैं। इसलिए चिकित्सा, भूगर्भ और रक्षा के क्षेत्र में इसके बहुत खास उपयोग हैं। क्वांटम तकनीक की चौथी बड़ी उपलब्धि है क्वांटम इमेजिंग। इसके जरिये धुंध और दीवारों के आरपार भी देखा जा सकता है।
क्वांटम आधारित चीनी उपग्रह व अमेरिकी कंप्यूटर
इस क्वांटम तकनीक में कौन-कौन से देश अभी तक सबसे आगे हैं तो पहले स्थान पर चीन है। चीन ही वह देश है जिसने दुनिया का पहला क्वांटम उपग्रह बनाया है और जो क्वांटम संचार की सेवाएं हासिल कर रहा है। दूसरे स्थान पर अमेरिका है, जहां आईबीएम, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों ने क्वांटम कंप्यूटर बनाये हैं। तीसरे स्थान पर यूरोप है, जहां इससे संबंधित अनुसंधान की कई संयुक्त योजनाएं चल रही हैं और चौथे स्थान पर कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं जहां तक इस पूरी दुनिया में भारत ने भी हाल के सालों में इस तकनीकी की तरफ तेजी से कदम बढ़ाये हैं।
साल 2023 से 2031 के बीच भारत ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के चलते 6000 करोड़ रुपये की लागत से योजना बनायी है, जो 2031 तक चलने वाली है। आईआईटी, डीआरडीओ, आईआईएस, आईआईएसईआर इसरो जैसे संस्थान इस क्षेत्र के रिसर्च में लगे हुए हैं। पुणे स्थित सी-डेक संस्थान क्वांटम कंप्यूटर बनाने की योजना पर कार्यरत है। बीते माह में डीआरडीओ ने दिल्ली में क्वांटम टेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर की शुरुआत की। यह भारत का पहला रक्षा आधारित क्वांटम अनुसंधान केंद्र है । इसके अलावा यह संस्थान हैक प्रूफ नेटवर्क बना रहा है और ड्रोन, रडार, उपग्रह इमेजिंग को क्वांटम क्षमता देने की कोशिश कर रहा है। -इ.रि.सें.