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बच्चों के लिए भी फायदेमंद है ध्यान

विश्व ध्यान दिवस 21 दिसंबर

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बच्चों की मेडिटेशन फोकस बढ़ाने के लिए
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ध्यान

बचपन से किशोरावस्था तक व्यक्तित्व की बुनियाद रखी जाती है। भावी नागरिक के रूप में बच्चे का अच्छा व्यक्तित्व गढ़ने की कोशिश तभी सफल होती है जब उसका मन शांत-प्रसन्न हो,एकाग्रता हो, सकारात्मकता हो व सभ्य माहौल मिले। आजकल मनोचिकित्सक भी बच्चों के लिए मेडिटेशन उपयोगी बताने लगे हैं।

शिखर चंद जैन

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किसी भी बच्चे का व्यक्तित्व मूल रूप से बचपन से किशोरावस्था के बीच तैयार हो जाता है। जन्म के दो-तीन साल बाद से किशोरावस्था तक का समय ही तय करता है कि इस दुनिया के संबंध में बच्चे का क्या नजरिया है ,दूसरे लोगों के साथ उसके संबंध या व्यवहार कैसा होगा और आगे चलकर वह एक बेहतर नागरिक बन पाएगा या नहीं। इन चीजों को तय करता है बच्चे का मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य व उसका पारिवारिक एवं अगल-बगल का परिवेश। बच्चे का अच्छा व्यक्तित्व गढ़ने की कोशिश तभी सफल हो सकती है जब उसका मन शांत-प्रसन्न हो, सोच सकारात्मक हो, शरीर स्वस्थ हो और हम उसे सभ्य माहौल उपलब्ध कराएं।

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आजकल बच्चों में भी मानसिक अशांति, क्रोध, हिंसा की भावना और नकारात्मकता है। संभवत: इसीलिए व्यवहार विशेषज्ञ और मनोचिकित्सक बच्चों के लिए मेडिटेशन उपयोगी बताने लगे हैं।

फायदे ध्यान के

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रति 7 बच्चों में से एक बच्चे को कोई मानसिक समस्या हो सकती है। इसलिए मौजूदा प्रतिद्वंद्विता, भागदौड़ व हिंसा आदि से जूझती इस दुनिया में जरूरी है कि बच्चों को शुरू से ही इमोशनल चुनौतियों का सामना करने के लिए समुचित प्रशिक्षण दिया जाए। इसके लिए मेडिटेशन उपयोगी और प्रभावशाली साबित हो सकता है। ध्यान से न सिर्फ मेमोरी बढ़ती है बल्कि बौद्धिक क्षमता व अवेयरनेस में भी इजाफा होता है। मेडिटेशन करने वाले बच्चे सही-गलत में अंतर करने में सक्षम होते हैं। उनमें चीजों और परिस्थितियों के प्रति समझ भी बढ़ती है। विशेषज्ञों की मानें तो नियमित मेडिटेशन करने वाले बच्चे इमोशनली स्ट्रॉन्ग होते हैं , अक्सर खुशमिजाज और रिलैक्स मूड में रहते हैं। नतीजतन इनमें चिड़चिड़ापन नहीं रहता और अपने काम के प्रति ज्यादा एकाग्र रहते हैं। ऐसे बच्चों में आत्मविश्वास और धैर्य भी अधिक होता है। इनका सामाजिक व्यवहार और निर्णय-क्षमता भी अच्छी होती है।

ऐसे डालें मेडिटेशन की आदत

मेडिटेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे बच्चे सीखते हैं कि जिंदगी ऊबाऊ और बोझ भरी नहीं बल्कि आनंद का स्रोत है। बच्चों को मेडिटेशन की आदत डालने के लिए कुछ उपाय अपनाएं। पहला, बच्चे देखकर सीखते हैं। इसलिए जो माता-पिता अपने बच्चों में इसकी आदत डालना चाहते हैं सबसे पहले खुद उनको इसका अभ्यास करना चाहिए। बच्चे रोज पेरेंट्स को मेडिटेशन करते देखेंगे और सीखेंगे। दूसरी बात, घर में मेडिटेशन के लिए एक शांत और नियत स्थान का चयन करें जहां बैठकर आप और बच्चे मेडिटेशन एंजॉय करें। यहां शोरगुल और व्यवधान न हो। बेहतर है कि मेडिटेशन को इंटरेस्टिंग बनाने के लिए इसके साथ कुछ गेम्स और एक्सरसाइज जोड़ लें। मेडिटेशन को रूटीन बनाने के लिए सुबह या शाम नियत समय पर ही करें। ध्यान के लिए ज्यादा छोटे बच्चों के लिए 2 से 5 मिनट और किशोरों के लिए 7-15 मिनट तक ठीक है।

मेडिटेशन के प्रकार

म्यूजिक मेडिटेशन - इसमें बच्चों को मेडिटेशन के रूप में मधुर संगीत सुनाया जाता है। जिससे उनके चित्त को शांति मिले। यह संगीत शास्त्रीय या आध्यात्मिक के साथ मृदु होना चाहिए।

मंत्र मेडिटेशन - ओम का उच्चारण मन को भीतर तक प्रभावित करता है। बच्चे को सही तरीके से मानसिक शांति के साथ ओम बोलना सिखाएं जो लंबी सांस के साथ बोला जाता है।

दृष्टि स्थिर मेडिटेशन - इसे गेजिंग मेडिटेशन कहते हैं। बच्चा किसी चित्र या मोमबत्ती की लौ पर अपनी दृष्टि स्थिर करते हुए ध्यान करता है। फिर आंखें मूंद कर अपने मन में चित्र या लौ की कल्पना इस प्रकार करता है कि वह उसे अपने सामने ही प्रतीत हो। इससे एकाग्रता बढ़ती है

आभार मेडिटेशन- बच्चे को शुरू से ही कुदरत ,माता पिता एवं मित्रों के प्रति आभार प्रकट करने की शिक्षा दी जाती है। इस प्रकार के मेडिटेशन में उसे उन घटनाओं या लोगों को याद करने को कहा जाता है जिनके प्रति वह आभारी है। ऐसा करने से उसका चित्त प्रसन्न होता है।

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