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पति-पत्नी के नाजुक रिश्तों पर बड़े पर्दे पर भी खूब फिल्में बनीं

सिनेमा के दर्शकों ने सबसे ज्यादा किन विषयों पर बनी फिल्मों को पसंद किया, यदि ये सवाल किया जाए, तो दो ही विषय ऐसे हैं, जिनसे कोई असहमत नहीं होगा। एक है प्यार-मोहब्बत और दूसरा पति-पत्नी के रिश्ते। ये दोनों...
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सिनेमा के दर्शकों ने सबसे ज्यादा किन विषयों पर बनी फिल्मों को पसंद किया, यदि ये सवाल किया जाए, तो दो ही विषय ऐसे हैं, जिनसे कोई असहमत नहीं होगा। एक है प्यार-मोहब्बत और दूसरा पति-पत्नी के रिश्ते। ये दोनों जीवन से जुड़े ऐसे विषय हैं, जिनके कथानकों में विविधता की कमी नहीं। इनमें भी सबसे ज्यादा जीवंतता पति-पत्नी के संबंधों वाली कहानियों में है। क्योंकि, इसमें कई रंग हैं। रिश्तों के कथानकों को कई फिल्मों में अलग-अलग तरीके से फिल्माया गया। कभी पति-पत्नी के रिश्ते गलतफहमी के शिकार हुए, कभी दोनों के बीच किसी तीसरे की मौजूदगी के कथानक गढ़े गए तो इस नाजुक रिश्ते में परिवार के दखल ने विवाद करवाया।

सिनेमा के परदे पर पति, पत्नी के रिश्तों के उतार-चढ़ाव पर इतनी फ़िल्में बनी कि उनकी गिनती संभव नहीं है। क्योंकि, यह रिश्ता हर कहानी में किसी न किसी रूप में मौजूद जरूर रहा है। यही कारण है कि यह विषय कभी पुराना नहीं हुआ। इस पर हर समय काल में कोई न कोई ऐसी फिल्म जरूर बनी, जो यादगार बनी। इनमें भी सबसे सशक्त फिल्म 1982 में आई महेश भट्ट की ‘अर्थ’ को माना जाता है। इसमें शबाना आज़मी, कुलभूषण खरबंदा, स्मिता पाटिल और राज किरण मुख्य भूमिकाओं में थे। गुलजार की फिल्म ‘आंधी’ की कहानी भी पति-पत्नी के रिश्तों की ही कहानी कहती थी। इसे राजनीतिक पृष्ठभूमि के साथ और पति-पत्नी के रिश्तों पर ज्ञात फिल्मों में याद किया जाता है। इसके बाद 1980 से 2000 तक के दो दशकों में पहेली, चलते-चलते और ‘साथिया’ जैसी कई फिल्में आई, जो स्त्री और पुरुष के संबंधों के पुराने विषय पर आधारित आधुनिक फिल्में थीं। वहीं इस विषय पर कई तरह की प्रयोगात्मक फिल्में भी बनाई गई मसलन, तनु वेड्स मनु, रब ने बना दी जोड़ी, नमस्ते लंदन, शादी के साइड इफेक्ट्स, चलते चलते, दम लगा के हईशा, कभी अलविदा ना कहना, गहराइयां और ‘सिलसिला।’ इसमें ‘तनु वेड्स मनु’ एक रोमांटिक कॉमेडी है।

इस रिश्ते के प्लॉट में प्रयोगों की कमी नहीं

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रोमांटिक हीरो शाहरुख़ खान और अनुष्का शर्मा की फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ भी पति-पत्नी के रिश्तों की ऐसी कहानी है, जिसमें दिखाया है कि दोनों कैसे एक-दूसरे के लिए बने होते हैं। एक भारतीय लड़के और लंदन की लड़की की प्रेम कहानी पर बनी ‘नमस्ते लंदन’ भी ऐसी ही फिल्म है। ऐसी फिल्मों के बीच एक नया प्रयोग ‘शादी के साइड इफेक्ट्स’ में हुआ। यह फिल्म एक ऐसे पति-पत्नी का कथानक है, जो अपनी शादी की उलझनों में ही उलझे होते हैं। ऐसे विषयों में ‘दम लगा के हईशा’ का कथानक बिल्कुल नया है, जो मोटी पत्नी और दुबले पति की कहानी है। ये काफी लड़ाई करते हैं, लेकिन अंत में एक हो जाते हैं। इस विषय पर यश चोपड़ा ने ‘सिलसिला’ बनाई जिसे अमिताभ बच्चन, रेखा और जया भादुड़ी की कुछ हद तक सच्ची कहानी बताई जाती है। इसमें रिश्तों में शक का तड़का था। फिल्म ‘कभी अलविदा ना कहना’ में माया (रानी मुखर्जी) और देव (शाहरुख खान) अपनी-अपनी शादी से तंग आ चुके थे। दोनों एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं।

ग़लतफ़हमी और विश्वास की कमी

पति-पत्नी का रिश्ता पवित्र और प्रेम से भरा होता है। पर, कई बार यह रिश्ता गलतफहमी और विश्वास की कमी से कमजोर हो जाता है। झगड़े बढ़ते हैं और बात तलाक तक पहुंच जाती है। निर्देशकों ने इसे अपने-अपने तरीके से भुनाया। ‘तलाक’ (1958) पति-पत्नी के बीच हुई गलतफहमी पर बनी पहली फिल्म थी। ये महेश कौल द्वारा निर्देशित राजेंद्र कुमार की बतौर हीरो पहली फिल्म थी। इसमें कामिनी कदम की मुख्य भूमिका थी। इसी शीर्षक पर आधारित कई फिल्में बनी, जैसे ‘तलाक तलाक तलाक!’ बीआर चोपड़ा जैसे फिल्मकार ने ‘निकाह और ‘पति पत्नी और वो’ जैसी फिल्में बनाई। लेकिन, उन्होंने कुछ फिल्मों के कथानक में कॉमेडी का टच भी रखा। ऐसे रिश्तों में खटास वाली फिल्मों में हृषिकेश मुखर्जी की ‘अभिमान’ भी है।

गलतफहमी और विवाद के जुड़े कथानक

अजीज मिर्जा की निर्देशित ‘चलते-चलते’ (2003) में शाहरुख खान और रानी मुखर्जी मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म प्रेमी-प्रेमिका के पति-पत्नी बनने से लेकर उनके बीच गलतफहमी से उपजे विवाद की कहानी पर आधारित है। साल 2005 में आई ‘मैं, मेरी पत्नी और वो’ फिल्म शादी से पहले रंग-रूप और कद-काठी को लेकर समाज में फैले भ्रम पर है। फिल्म में मिडल क्लास इंडियंस की मानसिकता को खूबसूरती से दिखाया है। आनंद एल राय निर्देशित ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ (2015) रोमांटिक कॉमेडी फिल्म में आर माधवन और कंगना रनौत थे। यह फिल्म शादी के चार साल बाद के तनु और मनु के रिश्तों पर है। दोनों के बीच हर बात पर झगड़ा होता है, दोनों तलाक ले लेते हैं। इसके बाद मनु, तनु की हमशक्ल कुसुम के प्यार में पड़ जाता है और कहानी नई दिशा में मुड़ जाती है। दक्षिण में बनी कुछ हिंदी फिल्में जैसे ‘जुदाई’ और ‘एक ही भूल’ भी इसी तरह के विषय पर आधारित थीं।

रिश्ते में धोखा और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर

इस रिश्ते का सबसे कमजोर पक्ष है धोखा, जिसके पीछे कई कारण छुपे होते हैं। एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशन को लेकर फ़िल्में बनी हैं। सलमान खान, करिश्मा कपूर और सुष्मिता सेन की फिल्म ‘बीवी नंबर 1’ में भी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का तड़का है, ड्रामा के साथ कॉमेडी भी है। अक्षय कुमार, इलियाना डिक्रूज की फिल्म ‘रुस्तम’ प्यार में धोखे की सच्ची कहानी पर बनी है। इसकी कहानी एक नेवी ऑफिसर के इर्द-गिर्द घूमती है। दीपिका पादुकोण, अनन्या पांडे, सिद्धांत चतुर्वेदी और धैर्या कारवा की फिल्म ‘गहराइयां’ में भी प्यार नहीं, बल्कि धोखा और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर बनी है।

प्यार और फरेब भी कम नहीं

अनन्या पांडे, भूमि पेडनेकर और कार्तिक आर्यन की फिल्म ‘पति, पत्नी और वो’ की कहानी भी प्यार में धोखे और फरेब पर है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब युवक की पत्नी और गर्लफ्रेंड को उसके धोखे के बारे में पता लगता है। ऐसे ही विषय पर बनी तापसी पन्नू और विक्रांत मैसी की फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ को पसंद किया गया। यह फिल्म प्यार लव और धोखे को नए कलेवर के साथ दिखाती है। रानी मुखर्जी की डेब्‍यू फिल्‍म ‘राजा की आएगी बारात’ (1997) की कहानी ऐसे आदमी की कहानी है, जो एक लड़की का रेप सिर्फ इसलिए करता है। क्योंकि, उसने उसे थप्पड़ मार दिया था। बाद में कोर्ट में फैसला करती है कि रेपिस्‍ट को लड़की से शादी करनी चाहिए। साल 2001 में आई फिल्म ‘दामन’ की कहानी शादी के सबसे भयानक पहलू के इर्द-गिर्द है जिसमें मैरिटल रेप भी शामिल है। डोमेस्टिक वॉयलेंस पर बनी फिल्मों में से ‘प्रोवोक्ड’ (2006) को बेहतरीन माना जाता है। ऐश्वर्या राय, नवीन एंड्रयूज, मिरांडा रिचर्डसन, नंदिता दास की यह फिल्म करनजीत अहलूवालिया की रियल लाइफ स्टोरी पर बेस्ड है जिन्होंने अपने पति से 10 साल यातनाएं सहीं। फिर परेशान होकर उसे मार दिया। ऐसी फिल्मों में अनुभव सिन्हा की ‘थप्पड़’ (2020) भी है, इसमें तापसी पन्नू के काम की सराहना हुई। फिल्म सवाल उठाती है कि क्‍या पुरुष और स्त्री के बीच बराबरी का रिश्ता है!

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