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हर्बल प्लांट्स से गुलजार करें किचन गार्डन

आम तौर पर आंगन या बालकनी में सजावटी पौधे लगाये जाते हैं। लेकिन किचन गार्डन में क्यारी-गमलों में जड़ी-बूटियां यानी हर्बल पौधे लगाए जायें तो इनसे आप सजावट के साथ घर में ही औषधालय के फायदे भी ले सकेंगे। प्रो....
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आम तौर पर आंगन या बालकनी में सजावटी पौधे लगाये जाते हैं। लेकिन किचन गार्डन में क्यारी-गमलों में जड़ी-बूटियां यानी हर्बल पौधे लगाए जायें तो इनसे आप सजावट के साथ घर में ही औषधालय के फायदे भी ले सकेंगे।

प्रो. अनूप कुमार गक्खड़

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घरों के आगे-पीछे अथवा आंगन में कुछ जगह खाली होने से लोग उसका प्रयोग प्रायः सजावटी फूलों के पौधे लगाने के लिये किया करते हैं। उनसे घर की सुन्दरता तो बढ़ती है पर उस स्थान का औषधीय प्रयोग नहीं हो पाता। बागवानी एक ऐसा शौक है जिस दौरान व्यक्ति शारीरिक कार्य कर सकता है वहीं कुछ पौधे उगाकर अपने लिये कुछ शुद्ध वस्तुओं को प्राप्त कर सकता है। ऐसे में किचन गार्डन में क्यारी या गमलों में हर्बल पौधे लगाए जायें तो इनसे घर में ही औषधालय के फायदे ले सकेंगे।

गुलाब और चमेली के पौधे

फूलों में से गुलाब और चमेली के पौधे लगाना उचित है। गुलाब की पंखुड़ियों से निर्मित गुलकन्द पित के रोगों में हितकर है। ऐसे ही चमेली के पत्तों का रस घाव पर लगाने से जख्म जल्दी ठीक होता है वहीं खून का बहना जल्दी बंद हो जाता है।

किनारों पर हल्दी और अदरक

हल्दी के पत्ते देखने में जहां सुंदर दिखते हैं वही इसकी चिकित्सीय उपयोगिता वैदिक काल से जगजाहिर है। हल्दी को आयुर्वेद में प्रमेह अर्थात डायबिटीज रोग में श्रेष्ठ कहा गया है। शरीर में कहीं पर एलर्जी होने पर व चोट लगने पर इसका दूध के साथ सेवन जगजाहिर है। इसी तरह अदरक के कंद यानी बल्ब हल्दी की भान्ति लगाये जाते हैं और इसके कंद के रस का सेवन सैन्धव लवण के साथ भूख लगने के लिये व खांसी में शहद के साथ प्रयोग किया

जाता है।

बाहर नीम व आंगन में तुलसी

पुरानी कहावत है कि जिस घर के बाहर नीम का पेड़ व आंगन में तुलसी लगी हो वहां बीमारी नहीं आती। अतः तुलसी का पौधा तो हर घर में होना ही चाहिए। तुलसी के पत्तों का रस शहद के साथ प्रयोग करने से जुकाम व खांसी में लाभ देता है। बगीचे के एक कोने में नींबू का पौधा लगाना चाहिए। उसका पौधा 4-5 फुट का होता है और देखने में सुंदर लगता है।

नींबू है गुणकारी

नींबू का चिकित्सकीय प्रयोग सर्वविदित है। यद्यपि नींबू का प्रयोग शिकंजवी के रूप में किया जाता है। भूख न लगने की स्थिति में नींबू के रस का प्रयोग फलदायी है। अपच, कब्ज जैसे रोगेां में नींबू लाभदायक है।

पुदीना और धनिया

जमीन पर ही फैलने वाला पौधा पुदीना सीजन के दिनों में अति उपयोगी है। जी मिचलाना, पेट दर्द आदि में इसके पत्तों का रस उपयोगी है। इसी तरह धनिया की पत्तियों और बीजों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिये हितकर है। धनियों के पत्ते स्वाद में वृद्धि तो करते ही हैं और पाचन क्रिया को ठीक रखते हैं। थायरायड रोग में भी धनिया का प्रयोग होता है।

लहसुन के पत्ते व कन्द की उपयोगिता

लहसुन के पतले लम्बे पत्ते गार्डन की शोभा बढ़ाते हैं। पत्तों का प्रयोग चटनी के रूप में पाचन क्रिया को ठीक करने के लिये लाभकारी है। वहीं लहसुन कन्द की कलियों का सेवन रक्त कोलस्ट्रोल कम करने में सहायक है। लकवे में लहसुन की खीर लाभदायक होती है।

उपयोगी शतावरी की बेल

बेल के रूप में शतावरी का पौधा लगाना उचित है। इसका पौधा सदाबहार होता है इसके डंठलों का प्रयोग सब्जी के रूप में भी होता है। इसकी जड़ें मोटी होती हैं और उनको काट कर दूध में उबाल कर पीने से बच्चे को दूध पिलाने वाली माताओं को लाभ होता है।

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