हवाई यात्रा के दौरान महसूस होने वाले कई डर हमारे दिमाग की उपज होते हैं जैसे- ऐरोप्लेन पता नहीं कितना ऊंचा उड़ेगा, इंजन ठीक काम कर पाएगा या नहीं या एयरक्रैश तो नहीं हो जाएगा। यह जहाज में सफर करने से होने वाली एंग्जाइटी है। लोग अलग-अलग चीजों की वजह से पैनिक करते हैं। एयरपोर्ट की औपचारिकताओं को लेकर स्ट्रेस से घिर जाते हैं। इसी विषय पर बहरीन स्थित ब्रिटिश यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग की प्रोग्राम लीडर डॉ. कोमल वर्मा से रजनी अरोड़ा की बातचीत।
ऐरोप्लेन में यात्रा करने वाले कई लोग एंग्जाइटी का शिकार होते हैं। हम चाहे प्रोफेशनल या पर्सनल कारणों से या फिर घूमने के लिए ऐरोप्लेन में सफर करते हों, ट्रेवल करने से पहले मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार होना जरूरी है। लैंसेट पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट के हिसाब से कोरोना महामारी से पहले तकरीबन 44 मिलियन भारतीय ऐरोप्लेन में सफर के दौरान ट्रेवल एंग्जाइटी का शिकार होते थे। जिसमें बाद में औसतन 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।
क्या है ट्रेवल एंग्जाइटी
ट्रेवल एंग्जाइटी ऐरोप्लेन में सफर करने से होने वाली एंग्जाइटी है। जिसे क्लौस्ट्रफ़ोबिया कहा जाता है यानी फीयर ऑफ फ्लाइंग। जब हम ऐरोप्लेन से कहीं जाने की प्लानिंग या तैयारी करते हैं, तो कई तरह अच्छे-बुरे विचारों और एयरपोर्ट में की जाने वाली फोर्मेलिटीज़ के वक्त आने वाली कठिनाइयों को लेकर घबरा जाते हैं। हमें पता है कि एयरपोर्ट पर की जाने वाली औपचारिकताएं नॉर्मल होती हैं, ट्रेवल करते समय ऐरोप्लेन बंद होता है और ऊंचाई पर होने के बावजूद यात्री सुरक्षित होते हैं। फिर भी दूसरे लोगों के एयर ट्रेवल के अनुभवों को सुनकर या न्यूज में देखी-सुनी एयरक्रैश दुर्घटनाओं को लेकर एंग्जाइटी का शिकार हो जाते हैं। इस तरह के डर हमारे दिमाग की उपज होते हैं जैसे- ऐरोप्लेन पता नहीं कितना ऊंचा उड़ेगा, इंजन ठीक तरह काम कर पाएगा या नहीं या एयरक्रैश तो नहीं हो जाएगा।
ये हैं कारण
ऐरोप्लेन से ट्रेवल करते वक्त एंग्जाइटी होने के पीछे हमारी सोच बड़ी वजह है। आपको 2 दिन बाद या सप्ताह भर बाद ट्रेवलिंग के लिए जाना है- क्या आप इसके लिए सोचना शुरू कर देते हैं या पैनिक करना शुरू कर देते हैं। या फिर एयरपोर्ट पर पहुंच कर होने वाली औपचारिकताओं को लेकर स्ट्रेस से घिर जाते हैं। आपने न्यूज में देखा कि आजकल लोग बहुत ट्रेवल कर रहे हैं, एयरपोर्ट पर बहुत भीड़ है, लंबी-लंबी लाइनें है, चैकआउट में बहुत टाइम लग जाता है, फोर्मेलिटीज़ पूरी करने के लिए 4-4 घंटे लाइन में लगना पड़ता है।
क्या होते हैं लक्षण
लोग यात्रा के दौरान कई अलग-अलग चीजों की वजह से एंग्जाइटी का अनुभव करते है। मसलन नींद और खाने के पैटर्न में बदलाव, मूड चेंज, हार्ट बीट तेज होना, पसीना आना, सीने में दर्द या सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, बेचैनी व फोकस करने में परेशानी और सोने में भी दिक्कत हो सकती है। इन चीजों को कुछ ट्रिक्स की मदद से कंट्रोल में किया जा सकता है।
ऐसे पाएं काबू
ऐरोप्लेन में यात्रा के लिए जाते समय ट्रेवल एंग्जाइटी होना स्वाभाविक है, लेकिन इससे डरना नहीं चाहिए। संभव है कि आपको ऐरोप्लेन में फ्लाई करने से डर लगता है। ऐसी स्थिति में आप ट्रेवल करने से पहले उसके बारे में पढ़ सकते हैं या सोशल मीडिया पर वीडियोज़ देखकर एंग्जाइटी को शांत कर सकते हैं। इसे पूर्व निर्धारित प्लानिंग, पॉजीटिव सोच रखकर और सचेत रहकर एंग्जाइटी पर काबू पाया जा सकता है। ट्रेवल एंग्जाइटी को दूर करने के लिए कुछ टिप्स या रणनीतियां भी बना सकते हैं।
पूरी प्लानिंग और सकारात्मक सोच
ट्रेवल एंग्जाइटी को दूर करने के लिए जरूरी है पूरी प्लानिंग और सकारात्मक सोच के साथ घर से निकलें कि सब ठीक होगा। जब आपको पता है कि आप बहुत जल्दी पैनिक हो जाते हैं, तो आपको पूरी प्लानिंग और टाइम मैनेजमेंट करके एयरपोर्ट जाना चाहिए। एयरपोर्ट पर चैकआउट करने में टाइम बहुत लगता है, तो एक घंटा एक्स्ट्रा लेकर चलें। ताकि बिना किसी टेंशन के एयरपोर्ट वाली औपचारिकताएं की जा सकें। आजकल ऐरोप्लेन में ट्रेवल करना आम बात है। इसलिए जरूरी है कि अपनी ट्रेवलिंग-शेड्यूल की प्लानिंग करें।
मंजिल के आनंद की कल्पना
आप अपनी यात्रा के दौरान कल्पना करें कि पहुंचने के बाद क्या-क्या अच्छी चीजें होंगी। आप इस दौरान यह सोच सकते हैं कि डेस्टिनेशन पर पहुंचने के बाद आप कितना आनंद करने वाले हैं। यात्रा का समय खत्म होगा और आप मौज-मस्ती कर पाएंगे। इन सारी बातों की कल्पना करें। ऐसा करने से एंजाइटी खत्म हो जाएगी।
औपचारिकताओं की जानकारी
आमतौर पर ट्रेवल एंग्जाइटी की मुख्य वजह इसके बारे में समुचित जानकारी का अभाव होता है। जब आपका सामना अनपेक्षित चीजों या नई परिस्थिति से होता है, आप उतनी जल्दी पैनिक हो जाते हैं। इसके बजाय जब आप ट्रेवलिंग के दौरान एयरपोर्ट पर होने वाली औपचारिकताओं के बारे में पहले ही जानकारी हासिल कर लेते हैं, उन्हें आसानी से पूरा कर लेते हैं। पूरा प्रोसेस समझने की जरूरत होती है यानी एयरपोर्ट पर जाने के बाद टिकट काउंटर पर जाना होता है, बोर्डिंग पास लेते हैं, वहीं सामान देते हैं, अगर आप बाहर जा रहे हैं, तो इमिग्रेशन होता है,सिक्योरिटी चैक होती है, उसके बाद आपको एयरपोर्ट पर इंतजार करना पड़ता है।
यात्रा में खुशी का अहसास!
आपकी फ्लाइट चाहे एक घंटा की हो या अधिक समय की- ट्रेवल एंग्जाइटी कम करने के लिए अपने साथ ऐसी फेवरेट चीजें ले जा सकते हैं या मनपसंद काम कर सकते हैं। जो आपको खुशी का अहसास दिलाती हैं। इनमें व्यस्त होने पर आपका ध्यान नहीं बंटेगा, ट्रेवलिंग में परेशानी कम होगी और आप रिलेक्स रहेंगे। जैसे-आप कोई किताब पढ़ सकते हैं, म्यूजिक सुन सकते हैं, पैड पर ड्राइंग या स्कैचिंग कर सकते हैं या डिजीटल गेम्स खेल सकते हैं। और कुछ नहीं तो इस दौरान आप सोकर रिलेक्स हो सकते हैं।
अगर आप खाने के शौकीन हैं तो अपने साथ छोटे-छोटे स्नैक्स रख सकते हैं जिन्हें खाकर अपना मूड बेहतर बनाए रख सकते हैं। क्योकि एंग्जाइटी या अवसाद में रहने पर मूड खराब रहता है। ऐसे में चॉकलेट जैसी पसंदीदा मीठी चीजें खाने पर शरीर में डोपामाइन हार्मोन का लेवल बढ़ जाता है और आपका मूड दुबारा पॉजिटिव होना शुरू हो जाता है। घर से निकलने से पहले हल्का और सुपाच्य भोजन करें। ओवर ईटिंग से बचें।
डीप ब्रीदिंग, प्राणायाम या मेडिटेशन
डीप ब्रीदिंग, प्राणायाम या मेडिटेशन ट्रेवल एंग्जाइटी से बचने का एक सशक्त माध्यम हैं। ट्रेवल शेड्यूल के कुछ दिन पहले से अगर रेगुलर डीप ब्रीदिंग या प्राणायाम योगासन जैसे योगाभ्यास नियमित रूप से करते हैं, तो यह रिलेक्स रहने और एंग्जाइटी पर कंट्रोल करने में सहायक होते हैं। सांस को नियंत्रित कर डर की भावना और हृदय गति को धीमा कर सकते हैं। मेडिटेशन करने से मन में पॉजीटिव सोच बनी रहती है, व्यक्ति का माइंड रिलेक्स होता है और वो धीरे-धीरे अपनी पैनिक स्थिति से बाहर आ जाता है। मसल्स को रिलैक्स करने के लिए रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट पर ही चहलकदमी कर सकते हैं। व्यक्ति का पहनावा ट्रेवल एंग्जाइटी में अहम भूमिका निभाता है। कई लोग एयरपोर्ट लुक देने की खातिर अपने कंफर्ट ज़ोन का भी ध्यान नहीं रखते और बेवजह परेशान रहते हैं।
सुविधाजनक पहनावा
कई बार लोग अपने कंफर्ट जोन को छोड़कर दूसरों को दिखाने के लिए टिपटॉप ड्रेसअप होकर जाते हैं। जितना आप अपनी सुविधानुसार ड्रेसअप होंगे और अपने को कंफर्टेबल रखेंगे, उतना खुद को तनावरहित रख पाएंगे।