कुमार गौरव अजीतेन्दु
कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न परिस्थितियों में टेक्नोलॉजी सेक्टर मानवता के लिए बड़ा सहायक सिद्ध हो रहा है। इसी टेक्नोलॉजी की एक शाखा है वर्चुअल रियलिटी। कुछ माह पहले आईआईटी बॉम्बे के कॉन्वोकेशन में वर्चुअल रियलिटी तकनीक की मदद से ग्रेजुएट्स के लिए पहली बार वर्चुअल मोड में दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। छात्र अपने घर में थे, किन्तु उनका डिजिटल अवतार कॉलेज कैंपस में उपस्थित रहा और डिग्री भी प्राप्त की। कोरोना महामारी के बाद वीडियो गेमिंग के अलावा विभिन्न उद्योग भी इस तकनीक में संभावनाएं देखने लगे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में इस आभासी तकनीक से बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ जॉब ट्रेनिंग, हेल्थकेयर, टेलीकॉम, ऑटोमोटिव, एयरोस्पेस, डिफेंस, साइबर सिक्योरिटी, रिटेल, एंटरटेनमेंट जैसे सेक्टर्स में व्यापक स्तर पर इस्तेमाल होने से जॉब के अवसर बढ़ेंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, टूरिज्म क्षेत्रों में भी वीआर एप्लीकेशन बेस्ड नौकरियां सृजित होंगी।
इसको समझिए
वर्चुअल रियलिटी यानी आभासी सच्चाई, जिसमें आपको सब कुछ असली-सा दिखेगा, लेकिन असल में वह आभासी होता है। इसका प्रयोग करने पर ऐसा अनुभव होता है कि वास्तव में आपके सामने ही सब कुछ हो रहा है या ऐसा प्रतीत होता है कि आप भी उसी वातावरण में हैं। इसका एडवांस लेवल, ऑगमेंटेड वर्चुअल रियलिटी कहलाता है। वीआर/एआर टेक्नोलॉजी में करिअर बनाने के इच्छुक स्टूडेंट्स के पास कंप्यूटर साइंस या कंप्यूटर इंजीनियरिंग में डिग्री होनी आवश्यक है। डिजाइनिंग कोर्स करके भी इस फील्ड में एंट्री ली जा सकती है। यह बेसिक कोर्स करने के बाद एआर/वीआर तकनीक प्रदाता किसी कंपनी में इंटर्नशिप कर इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। इंटर्नशिप से ही स्किल को बढ़ाया जा सकता है। साथ में बेसिक कोर्स करने से पहले अपनी रुचि का ध्यान रखें, देखें कि आपकी वर्चुअल रियलिटी के किस फील्ड (सॉफ्टवेयर डेवलमेंट या डिजाइनिंग) में अधिक रुचि है। उसी हिसाब से कोर्स करना ज्यादा उचित रहेगा।
बेहतर है भविष्य
वीआर टेक्नोलॉजी का आज सबसे ज्यादा उपयोग बड़ी इंड्रस्ट्रीज में कर्मचारियों की ट्रेनिंग के लिए हो रहा है। वीआर ट्रेनिंग, फिजिकल ट्रेनिंग की तुलना में सस्ती पड़ती है। इससे लेबर को जल्दी ट्रेंड किया जा सकता है और उनकी प्रोडक्शन एफिशिएंसी भी इससे बढ़ जाती है। दो से तीन सालों में दुनिया भर के सारे मैन्युफैक्चरिंग देशों में यह तकनीक इस्तेमाल में आने लगेगी।
हमारे यहां भी जैसे-जैसे मैन्युफैक्चरिंग और बढ़ेगी, लेबर फोर्स और बढ़ेगा, उसी गति से वीआर/एआर का उपयोग भी बढ़ता चला जाएगा। इस तकनीक के सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट से लेकर इसके डिजाइनिंग फील्ड में युवाओं के लिए नौकरी के काफी मौके होंगे।
प्रमुख संस्थान
आइआइटी जोधपुर/दिल्ली/खड़गपुर/रुड़की (www.iitj.ac.in)
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद (www.nid.edu)
उडेमी (www.udemy.com)
माया एकेडमी ऑफ एडवांस्ड सिनेमैटिक्स, इंडिया (www.maacindia.com/about-us.aspx)