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Job Market Trends उभरते जॉब ट्रेंड्स के मुताबिक चुनें कैरियर

रोजगार बाजार में भारतीय युवाओं के अनुकूल संभावनाएं
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आग्मेंटेड व वर्चुअल रियलिटी के क्षेत्र में जॉब संभावनाएं
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बायोटेक्नाेलॉजी, जेनोमिक्स

मेडिकल का क्षेत्र हो या प्रौद्योगिकी का, रोजगार सृजन के ऐसे ट्रेंड उभरकर सामने आ रहे हैं जो नये कौशल व तकनीकों से लैस भारतीय युवाओं को रास आने वाले हैं। रोजगार की तलाश में लगे युवा मौसम विज्ञान और बायोटेक्नोलॉजी जैसे फील्ड में भी भविष्य बना सकते हैं। वहीं आने वाले कुछ सालों में स्पेस टेक, ऑगमेंटेड व वर्चुअल रियलिटी, पर्सनलाइज्ड हेल्थ केयर व एनर्जी ट्रांजिशन में बड़ी

संभावनाएं मौजूद हैं।

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कीर्तिशेखर

कैरियर की दुनिया में नयी नौकरियों के ऐसे ट्रेंड उभर रहे हैं, जो आने वाले सालों में रोजगार की दुनिया को बदलकर रख देंगे। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर में भारतीय युवाओं के लिए शानदार भविष्य मौजूद है। सिर्फ देश के अंदर ही नहीं, विदेशों में भी। तो आइये इन कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में नजर दौड़ाते हैं :

स्पेस टेक और एस्ट्रोबायोलॉजी

इसरो के सफल मिशनों और एक दर्जन से ज्यादा निजी स्पेस स्टार्टअप्स का विकास बताता है कि भारत में स्पेस टेक्नोलॉजी का क्षेत्र बहुत तेजी से उभर रहा है और जल्द ही यह अच्छे खासे रोजगार का आधार बनेगा। इस क्षेत्र में खास तौरपर जिन अवसरों के आने वाले कुछ सालों में तेजी से उभरने की उम्मीद है, उनमें सैटेलाइट डिजाइन, स्पेस माइनिंग और स्पेस लॉ जैसे क्षेत्र हैं। गौरतलब है कि इस समय दुनिया में करीब 10 हजार सैटेलाइट डिजाइनर मौजूद हैं और आने वाले अगले पांच सालों में दुनियाभर में कई हजार बड़े और मझोले व छोटे सैटेलाइट्स की जरूरत होगी; क्योंकि आजकल सिर्फ देश ही नहीं बल्कि कारपोरेट कंपनियां भी अपनी सैटेलाइट लांच कर रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक साल 2030 तक सैटेलाइट निर्माण का कारोबार 2 लाख करोड़ डॉलर से भी ज्यादा पहुंचेगा। इसमें एक बड़ा मार्जिन सैटेलाइट डिजाइन के खाते में जायेगा। इसलिए सैटेलाइट डिजाइन की स्किल मजबूत करके इस क्षेत्र में कई संभावित नौकरियों का हकदार बना जा सकता है। स्पेस माइनिंग और स्पेस लॉ इससे भी कहीं ज्यादा उर्वर क्षेत्र के रूप में उभरेंगे। क्योंकि जिस तरह से अंतरिक्ष को लेकर एक होड़ शुरू हो गई है, तो अगले कुछ सालों में चांद पर खनन और हर देश की अपने मालिकाने की लंबी चौड़ी मुहिम सामने आयेगी। तब ऐसे इंजीनियरों की मांग बढ़ेगी जो चांद पर खनन के विशेषज्ञ होंगे, साथ ही मांग ऐसे वकीलों की भी होगी, जो चांद पर मालिकाने की गुत्थी सुलझाएंगे।

एआर/वीआर की संभावनाएं

एआर यानी ऑगमेंटेड रियलिटी और वीआर यानी वर्चुअल रियलिटी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। ये बहुत तेज रफ्तार से विकास के नये आकाश को छू रही टैक्नोलॉजी हैं। गेमिंग, एजुकेशन और हेल्थ केयर के क्षेत्र में वर्तमान में 50 हजार से ज्यादा ऐसे एक्सपर्ट्स काम कर रहे हैं। जिस तरह से जिंदगी के हर पहलू पर इंफार्मेंशन टैक्नोलॉजी का दबदबा बढ़ रहा है, इससे साफ है कि आने वाले दिनों में ऑगमेंटेड रियलिटी और वर्चुअल रियलिटी में दक्ष इंजीनियरों की मांग काफी तेज होगी। मेटावर्स में प्रोजेक्ट डिजाइन और वर्चुअल रियलिटी कंटेंट डेवलपमेंट में इन तकनीकों की बहुत मांग है। साथ ही यह मांग दिनोंदिन बढ़ रही है। मतलब साफ है कि यह आने वाले समय का एक उर्वर रोजगार क्षेत्र है।

जेनोमिक्स और पर्सनलाइज्ड हेल्थ केयर

हर दूसरे दिन चौंकाने वाली इनोवेटिव खबरें मेडिकल के क्षेत्र से आ रही हैं। जेनोमिक्स और पर्सनलाइज्ड हेल्थ केयर वास्तव में बायोइंफॉर्मेटिक्स और बायोटेक्नोलॉजी की दुनिया से ही जुड़े क्षेत्र हैं। वैसे तो इस समय भी मेडिकल रिसर्च में सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों नौकरियां मौजूद हैं। लेकिन जिस तरह से हेल्थ केयर बहुत पर्सनलाइज्ड हो रहा है, उसमें जीन एडिटिंग और पर्सनलाइज्ड मेडिकल की तेजी से लोकप्रियता बढ़ रही है। बायोइंफोर्मेटिक्स, मेडिकल रिसर्च और बायोटैक्नोलॉजी की दुनिया में इन तकनीकों की मांग तेजी से बढ़ रही है, इसलिए इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा होने वाली हैं।

क्लाइमेट साइंस और एनर्जी ट्रांजिशन

हाल के सालों में आपने कार्बन फुटप्रिंट जैसा शब्द बार-बार सुना होगा। वास्तव में कार्बन फुटप्रिंट मैनेजमेंट, क्लाइमेट मॉडलिंग और रिन्यूएबल एनर्जी ये ऐसे रोजगार क्षेत्र हैं,जहां जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर विशेषज्ञों की कतार तैयार हो रही है। क्लाइमेट साइंस और एनर्जी ट्रांजिशन का क्षेत्र एक बड़े रोजगार क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। इसलिए इस क्षेत्र में डिग्री, डिप्लोमा हासिल करना भी रोजगार की गारंटी का सबब बनेगा।

मैन एंड मशीन कोलेबरेशन

एआई की लगातार हम बातें सुन रहे हैं और सिर्फ बातें ही नहीं अब हमारे इर्द-गिर्द कंप्यूटर संचालित मशीनें यानी रोबोट्स व्यावहारिक सच्चाई भी हैं । मशीनों और रोबोट्स के साथ इंसान के काम करने की नई भूमिकाएं तेजी से विकसित हो रही हैं। इसलिए आने वाले दिनों में कोबोट ऑपरेटर्स और एआई सपोर्ट इंजीनियरों की भारी मांग होगी। साल 2030 तक बहुत बड़े पैमाने पर ऐसे इंजीनियरों की मांग का अनुमान लगाया जा रहा है। माना जा रहा है कि एआई अगले पांच सालों में करीब 9 करोड़ नौकरियां विश्व स्तर पर चट कर जायेगी और पूरी दुनिया में एआई में दक्ष एक्सपर्ट की मांग 5 से 6 करोड़ होगी। कहने की जरूरत नहीं है कि एआई नहीं बल्कि एआई को ऑपरेट करने में माहिर लोगों द्वारा नौकरियां निगली जाएंगी। इसलिए एआई से डर कर उसका सिर्फ हौवा मत खड़ा करिये,बल्कि उसमें पारंगत होकर रोजगार के क्षेत्र में परचम लहराइये, क्योंकि नई नौकरियों के उभर रहे ट्रेंड्स में उसकी बड़ी भूमिका उभर रही है। -इ.रि.सें.

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