जीवनदायी टॉनिक है जवारे का रस
ग्रीन ब्लड माना जाने वाला गेहूं के जवारों का रस जहां रोग नाशक है वहीं यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इसमें क्लोरोफिल व विटामिन ए, सी और ई, अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट पाये जाते हैं व यह भरपूर ऊर्जा प्रदान करता है।
आभा जैन
गेहूं के जवारे का रस अमृत के समान, आसानी से उपलब्ध, शीघ्र असरकारी व शारीरिक कमजोरी दूर करने वाला माना जाता है। जवारे प्रकृति की अनमोल देन है जिसे कई आहार शास्त्रियों ने संजीवनी कहा है, क्योंकि सभी रोगों में इसका सेवन स्वास्थ्यवर्द्धक है। इनमें अनेक पोषक तत्व व रोगहारी गुण पाये जाते हैं। अनुसंधानों में सिद्ध हुआ कि व्हीट ग्रास सम्पूर्ण आहार है। उत्तम पोषक तत्वों वाला यह क्लोरीफल युक्त स्वास्थ्यप्रद आहार है।
डॉ. विग्मोर की उपचार पद्धति
पश्चिमी देशों में जवारों से उपचार की पद्धति डाक्टर विग्मोर ने शुरू की थी। दरअसल 50 वर्ष की उम्र में डॉ. एन विग्मोर को आंत का कैंसर हो गया था जिसके लिए उन्होंने गेहूं के जवारों का रस और कच्चा आहार लिया और कैंसर मुक्त हो गई। डा एन विग्मोर ने अपनी एक पुस्तक में लिखा है- कोई रोग ऐसा नहीं है जिसे गेहूं के जवारे यानी ग्रीन ब्लड के उपयोग से ठीक न किया जा सकता हो।
रोग प्रतिरोधक शक्ति
गेहूं के जवारों में रोग प्रतिरोधक व रोग निवारक शक्ति पाई जाती है। इनकी प्रकृति क्षारीय होती है इसलिए ये पाचन तंत्र व रक्त द्वारा आसानी से समाहित हो जाते हैं।
हिमोग्लोबिन से समानता
गेहूं के जवारों के सेवन से पोषण के अलावा समस्त पाचन अंगों की प्राकृतिक सफाई भी हो जाती है। स्वस्थ मिट्टी में पाये जाने वाले 100 से अधिक खनिजों सहित जवारे में कैल्शियम, सोडियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयोडीन,सेलेनियम , आयरन,जिंक और सभी आठ अमीनो एसिड व प्रोटीन होते हैं। कई चिकित्सा विज्ञानी इसे सूर्य शक्ति केन्द्रित मानते हैं। दरअसल, क्लोरोफिल के अणु मानव रक्त में पाये जाने वाले हिमोग्लोबिन कणों से समानता रखते हैं।
हृदय के लिए लाभकारी
व्हीटग्रास का रेगुलर सेवन रक्त अभिसरण की प्रक्रिया को संतुलित तथा हृदय तंत्र को सशक्त बनाता है। श्वसन तंत्र, गर्भाशय व आंतों के लिए विशेष लाभकारी पाया गया है।
सस्ता और सर्वश्रेष्ठ
जवारों का रस दूध,दही और मांसाहार से कई गुना अधिक गुणकारी है। यह इन सबसे बहुत सस्ता है। घर में उगा सकते हैं। इस रस के सेवन सेे खनिज, विटामिन ,क्षार और सेल्स को जीवित रखने के लिए आवश्यक तत्व प्राप्त होते हैं।
विषाक्त पदार्थों से छुटकारा
इस रस में मौजूद पोषक तत्वों के कारण शरीर में एकत्रित सभी विषाक्त पदार्थों से छुटकारा मिलता है। क्लोरोफिल सभी जहरीले पदार्थों को खत्म करने में सहायता करता है और यकृत के कार्यों में काफी सुधार कर सकता है। इससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार व ऊर्जा के स्तर में बढ़ोतरी होती है। पाचन में सुधार करता है। गेहूं का जवारा पाचन एंजाइमों के उत्पादन को उत्तेजित करता है जिससे शरीर के लिए भोजन तोड़ना ओर पोषक तत्वों को अवशोषित करना आसान हो जाता है। इससे आंत के स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। यह रस खराब कोलस्ट्रॉल के स्तर को कम कर गुड कोलस्ट्राल में सुधार करता है। यह एसिडिटी की परेशानी का समाधान करता है। फाइबर होने की वजह से यह वजन घटाने मे सहायक बन सकता है। यह लाल रक्त कोशिका की गिनती बढ़ाता है व इससे इम्युनिटी बढ़ती है।
तैयार करने का तरीका
सात गमलों मे अच्छी मिट्टी भरकर इसमें बारी-बारी से अच्छी किस्म के दाने बो दीजिये और छाया में रखकर कभी-कभी पानी डालते जाएं। धूप न लगे तो बेहतर है, तीन चार दिन बाद गेहूं उग आएंगे। आठ-दस दिन बाद 6 से 8 ईंच के हो जायेंगे तब उनमें से पहले दिन के बोए हुए 30-40 पौधे उखाड़ कर जड़ें काट कर फेंक दें ओर बचे हुए डंठल ओर पत्तियों को धो कर साफ सिलबट्टे पर थोड़े पानी के साथ पीस कर व छान कर आधा गिलास रस तैयार कर पीएं। रस निकाल कर ताजा-ताजा ही पीएं । रस पीने के पहले व बाद में एक घंटे तक कुछ भी न लें। गमलों में न रासायनिक खाद डालें व न कोई पेस्टिसाइड। जवारे के रस में नमक, नीबू ना डालें। अदरक मिला सकते हैं।