क्लेम न मिले तो जाएं उपभोक्ता अदालत
कोई व्यक्ति यदि अपने पशु का बीमा करवाता है और बीमित अवधि में उस पशु की आकस्मिक मृत्यु हो जाये तो पीड़ित उपभोक्ता इंश्योरेंस पाने का हकदार है। यदि ऐसे मामले में बीमा कंपनी क्लेम देने से इनकार करती है तो उपभोक्ता आयोग में वाद दायर कर न्याय प्राप्त किया जा सकता है। हाल ही में कई ऐसे मामलों में उपभोक्ता अदालत ने कंपनी को क्लेम-मय-हर्जाना देने के आदेश दिये।
श्रीगोपाल नारसन
यदि किसी बीमा कंपनी ने बीमित पशु की मृत्यु के बाद बीमा क्लेम देने से इनकार कर दिया है, तो पशुपालक उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। उपभोक्ता आयोग बीमा कंपनियों को आदेश दे सकता है कि वे बीमित पशु की मृत्यु के बाद बीमा राशि का भुगतान करें, और कई मामलों में ब्याज और हर्जाने के साथ भी निर्णय आदेश पारित किए गए हैं। पशुपालकों को बीमा कंपनी से अपनी बीमित मृतक भैंस या अन्य पशु का क्लेम लेने के लिए संपर्क करने से पहले सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे कि बीमा पॉलिसी, बीमित पशु का टैग नम्बर यानी छल्ला सुरक्षित रखने के साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पंचनामा, और अन्य संबंधित दस्तावेज तैयार रखने चाहिये। क्योंकि यदि बीमा कंपनी क्लेम देने से इनकार करती है, तो पशुपालक उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करा सके।
बीमा क्लेम देने को लेकर था विवाद
पहले मामले में किसान विनोद कुमार ने लोन पर ली गई भैंसों का बीमा कराया। बीमारी से उनमें से एक भैंस मर गई, तो क्लेम के लिए इंश्योरेंस कंपनी का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कंपनी ने क्लेम देने से इंकार कर दिया। कानूनी नोटिस भी कंपनी को भेजा गया, लेकिन जवाब नहीं आया, जिस पर यमुनानगर के महमूदपुर निवासी विनोद कुमार ने उपभोक्ता आयोग में केस दर्ज कराया। जिसमें सुनवाई करते हुए उपभोक्ता आयोग ने कंपनी पर जुर्माना और हर्जाना कुल 65 हजार रुपये लगाया है।
अदालत ने पाया सेवा में कमी का दोषी
बता दें कि विनोद कुमार ने इलाहाबाद बैंक की बिलासपुर की रसूलपुर ब्रांच से सात अक्तूबर 2015 को दो भैंसों के लिए एक लाख रुपये लोन लिया था। दोनों भैंसों का बीमा बैंक ने एक इंश्योरेंस कंपनी से कराया। फिर 11 अगस्त 2017 को एक भैंस की अफारा आने से मौत हो गई तो उन्होंने उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत सभी दस्तावेजों के साथ बीमा क्लेम आवेदन किया, लेकिन कंपनी ने बीमा राशि देने से इंकार कर दिया। जिस पर सात दिसंबर 2017 को उन्होंने कानूनी नोटिस कंपनी व बैंक को भिजवाया। इसके बाद मामला उपभोक्ता आयोग में दर्ज कराया गया। जिस पर सुनवाई करते हुए उपभोक्ता आयोग की पीठ ने बीमा कंपनी को सेवा में कमी का दोषी माना। बैंक को इस मामले में दोषमुक्त कर दिया गया, जबकि बीमा कंपनी पर हर्जाना लगाया।
हर्जाने समेत बीमा राशि भुगतान का आदेश
एक अन्य मामले में उत्तर प्रदेश के गोंडा में भैंस का बीमा कराने वाले उपभोक्ता को बीमित धनराशि का भुगतान न करने के मामले में जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी पर साढ़े आठ हजार रुपए का हर्जाना लगाया है। इसके साथ ही बीमा कंपनी को एक माह के अंदर बीमा क्लेम के 60 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। तरबगंज तहसील क्षेत्र के ग्राम चंदीपुर निवासी सुरेश कुमार ने जिला उपभोक्ता आयोग में पेश परिवाद में कहा कि उसने 1392 रुपए अदा कर एक इंश्योरेंस कंपनी की नेहरु पैलेस नई दिल्ली शाखा से अपनी भैंस का 60 हजार रुपए का बीमा कराया था, जिसकी वैधता तिथि पांच सितंबर 2018 थी। बीते 4 जून 2018 को भैंस अचानक बीमार हुई और उसकी मौत हो गई। परिवादी ने बीमा कंपनी को दावा कागजात प्रस्तुत कर बीमित धनराशि 60 हजार रुपए दिलाने की मांग की, लेकिन बीमा कंपनी ने दावे को लटकाए रखा। परेशान होकर पीड़ित ने जिला उपभोक्ता आयोग की शरण ली और कंपनी से बीमित धनराशि व शारीरिक-मानसिक, आर्थिक क्षति व वाद व्यय दिलाने की मांग की। उपभोक्ता आयोग द्वारा नोटिस के बावजूद बीमा कंपनी ने जवाब प्रस्तुत किया। एक पक्षीय सुनवाई के दौरान उपभोक्ता आयोग ने माना कि बीमा कंपनी ने परिवादी को भैंस की बीमित धनराशि का समय से भुगतान नहीं किया। अदालत ने आदेश दिया कि बीमा कंपनी परिवादी को बीमित धनराशि 60 हजार रुपए एक माह में भुगतान करने और क्षतिपूर्ति के लिए 5 हजार तथा वाद खर्च के लिए साढ़े 3 हजार रुपए अदा करे।
इसी तरह के अन्य मामले में जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर-द्वितीय ने बीमित गाय की मृत्यु होने पर उसकी बीमा राशि देने से मना करने को बीमा कंपनी का सेवा दोष माना है। आयोग ने विपक्षी इंश्योरेंस कंपनी को आदेश दिए कि वह परिवादी को 55 हजार रुपए की राशि परिवाद दायर करने की तारीख 3 सितंबर, 2020 से 9 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करे। वहीं 30 हजार रुपए हर्जाना भी दे। आयोग ने यह आदेश मदनलाल यादव के परिवाद पर दिए हैं।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।