शेर सिंह सांगवान
पहला सुख नीरोगी काया! बात सही भी है क्योंकि शरीर से ही सुखों का आनंद लिया जाता है। यदि शरीर बीमार है तो समस्त सुख बेकार। यह बात जीवनभर के लिए लागू है लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद और अधिक प्रासंगिक। आखिरकार इस पड़ाव पर स्वस्थ रहना प्राथमिकताओं में शामिल है। जानिये कुछ उपाय, आदतें जिनको अपनाकर बुढ़ापे में स्वस्थ और प्रसन्न रहा जा सके।
रिश्तेदारों, दोस्तों का साथ
वृद्धावस्था में रिश्तेदारों और पुराने दोस्तों के पास रहने की कोशिश करें। उनकी कंपनी आपके लिए एक दवा की तरह काम करेगी। ऐसे में अपनी बात किसी से शेयर कर सकेंगे।
छोटे शहर में वास
महानगरीय शहरों की तुलना में छोटे शहरों में पर्यावरण अधिक स्वच्छ है। जाहिर है साफ हवा-पानी व प्राकृतिक वातावरण में सेहत बेहतर रहेगी। ऐसी जगहों पर व्यक्ति की पहचान होती है व सोसायटी बड़े नगर के बजाय ज्यादा केयरिंग होती है।
नियमित योग, सैर
नियमित शारीरिक गतिविधि जैसे पैदल चलना, एक्सरसाइज या योग आदि को स्वस्थ शरीर के लिए जीवन शैली का हिस्सा बना लें। एक बार शरीर को थका दें अन्यथा यह आपको थका देगा। जिन्हें घुटने के जोड़ों की दिक्कत है या ऐसी आशंका है तो एक घंटे के लिए योगाभ्यास काफी है। वहीं योग समूह में करना बेहतर है, जिसमें साथियों का दबाव हमें नियमित रखता है और सामाजिक अलगाव को भी तोड़ता है।
पर्याप्त नींद लें
रात को 10 बजे बिस्तर पर सोने के लिए चले जायें। यदि कोई व्यक्ति जल्दी उठने वाला है, तो इस उम्र में लंच के बाद करीब 40 मिनट की नींद तरोताजा कर देती है। रात के खाने के बाद 10-15 मिनट टहलना उपयोगी है।
समय पर संतुलित आहार
संतुलित आहार अच्छी सेहत के लिए एक अनिवार्य शर्त है। यदि रात को 8-9 बजे डिनर ले लेते हैं तो सुबह 10 बजे से पहले भरपूर नाश्ता कर लें लेकिन तले हुए व्यंजनों से परहेज करें। दोपहर के भोजन में सलाद, सब्जियां और दही शामिल करें। फल व दूध भी डाइट में हों। समारोहों में भी संतुलित भोजन ही लें । रात का खाना सोने से डेढ़ घंटे पहले ले लें।
व्यस्त रहने को लें जिम्मेदारी
तन व मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए दिन में व्यस्त रहना जरूरी है। इसके लिए घरेलू कार्यों जैसे दूध, सब्जी लाने का जिम्मा ले लें। संयुक्त परिवार के साथ रहते हैं तो बच्चों को स्कूल या बस तक छोड़ने-लाने लग जायें।
अकेले हैं तो क्या कम हैं
आजकल दूर के स्थानों पर बच्चों की नौकरी लगती है। ऐसे में सेवानिवृत्त लोग अकेले रहते हैं। ऐसे में पॉजिटिविटी के साथ अकेले रहने की आदत डालें। दिन में अपनी पसंद की किसी सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक गतिविधि में शामिल हों। किसी भी विभाग, एनजीओ या राजनीतिक दल के साथ बतौर वॉलंटियर अवसर मिल सकता है जिसमें व्यक्ति समाज सेवा कर सकता है। घर के पास पार्क आदि की देखरेख का जिम्मा ही संभाल लें।
लेखन रखेगा रोशन-दिमाग
समाचार पत्रों, पत्रिकाओं और शोध पत्रिकाओं में सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर लिखना अच्छी आदत है। इससे बुजुर्ग रोशन-दिमाग रह सकते हैं और व्यस्त भी रहेंगे। इन माध्यमों में जनता के जरूरी मुद्दे उठाना जन सेवा भी है।