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चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं ढूंढ़ता हूं : मुश्ताक

कई दशक से बड़ी व छोटी स्क्रीन, दोनों ही जगह जाना-पहचाना चेहरा बन गये हैं अभिनेता मुश्ताक खान। ये सभी तरह के जोनर में अपनी एक्टिंग के रंग बिखेर चुके हैं। सबसे पहले फ़िल्म कब्ज़ा में छोटा सा रोल किया।...
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कई दशक से बड़ी व छोटी स्क्रीन, दोनों ही जगह जाना-पहचाना चेहरा बन गये हैं अभिनेता मुश्ताक खान। ये सभी तरह के जोनर में अपनी एक्टिंग के रंग बिखेर चुके हैं। सबसे पहले फ़िल्म कब्ज़ा में छोटा सा रोल किया। इनके अभिनय वाली फिल्मों में ग़दर 2, वेलकम, हेरा फेरी,वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई, राऊडी राठौर, हम हैं राही प्यार के व दिल है कि मानता नहीं आदि शामिल हैं।

 तीन-चार दशकों से बॉलीवुड फिल्मों में एवं टेलीविजन पर विभिन्न भूमिकाओं में अभिनय कर कर रहे हैं एक्टर मुश्ताक खान। कुछ दिन पहले उनसे मुलाकात हुई। पेश है उनके फ़िल्मी सफर के बारे में हुई बातचीत के कुछ अंश :

आप मूलत: कहां से हैं व किस जगह शिक्षा हासिल की?

मेरा जन्म मध्य प्रदेश स्थित जिला बालाघाट के गांव बेहर में हुआ। एक्टिंग का शौक था। मैंने छठी कक्षा से स्कूल में नाटक प्ले करना शुरू कर दिया था। बालाघाट से ही मैंने अपनी उच्च शिक्षा हासिल की। मेरे बड़े भाई महफूज़ ख़ान ने मुझे काफ़ी सपोर्ट किया। कॉलेज में नाटक करता था। एक प्रोफेसर ने भी मेरी एक्टिंग देखकर मुझे मुंबई जाने को कहा। इसके बाद ही मैंने मुंबई का रुख किया। यहां आकर पता चला कि मायानगरी में कदम जमाना आसान नहीं था। छह महीने एक्टिंग का कोर्स किया और काम की तलाश शुरू कर दी।

मुम्बई आकर क्या-क्या मुश्किलें आईं? पहला ब्रेक कैसे मिला?

स्ट्रगल लम्बा था। मुश्किल से गुज़ारा करता था,रोज काम की तलाश में निकलता व निराश लौटता था। पैसे की दिक्कत थी। मुझे सबसे बड़ा ब्रेक मिला जब मैंने एक प्ले किया - लोक कथा 78। रोल था गांव के दारोगा का। लेखक सलीम ख़ान भी उस प्ले को देखने आये थे। उन्होंने मेरी एक्टिंग देखी व मुझे अपने घर बुलाया तो मैंने उन्हें कहा कि कोई रोल दिलवा दो। एक दिन उनका कॉल आया कि एक फिल्म बन रही है। मुझे महेश भट्ट से मिलवाया और फ़िल्म ‘कब्ज़ा’ में छोटा सा रोल मिल गया। मेरी एक्टिंग उन्हें बहुत पसंद आई। उसके बाद फिल्मों की लाइन लग गई। मैंने ग़दर 2, वेलकम, हेरा फेरी,वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई में भूमिकाएं की। वहीं अक्षय कुमार के साथ राऊडी राठौर की। महेश भट्ट जी के साथ मैंने 15 फ़िल्में की- हम हैं राही प्यार के, जुनून, सड़क, साथी, दिल है कि मानता नहीं आदि।

आप जल्दी चर्चित एक्टर्सं में शुमार हुए। कैसा लगता है?

मैंने हमेशा फिल्मों में काम करने का सपना देखा है, लेकिन मुझे जो प्यार और समर्थन मिला है, वह निस्संदेह मेरी कल्पना से परे है। दरअसल, मुझे इस तरह की भूमिकाएं पसंद रही हैं जो भावनात्मक और मानसिक रूप से चुनौती देती हैं। ऐसी स्क्रिप्ट ढूंढ़ता हूं जिसमें रियलिटी हो।

गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि से आते हैं। आपकी यात्रा कैसी रही?

बेशक़, मेरा सफर बहुत कठिन रहा। मुझे अस्वीकृति के अलावा वित्तीय संघर्ष का भी सामना करना पड़ा। लेकिन मैं मानता हूं कि मेरे रास्ते में आई हर असफलता ने मुझे और मजबूत बनाया। खास बात यह है कि मैंने थिएटर को शुरू से ही गंभीरता से लिया, साथ ही मैंने अभिनय के क्षेत्र में कड़ी मेहनत की।

भूमिकाओं के लिए तैयारी कैसे करते हैं?

मैं लोगों को, आम जीवन को बहुत देखता हूं। सृजन और कला के लिए वास्तविक जीवन सबसे अच्छी सामग्री प्रदान करता है। साथ ही मैं अपने किरदार की बैकस्टोरी को समझने में भी समय बिताता हूं—उन्हें क्या प्रेरित करता है, उन्हें क्या डराता है, उन्हें क्या पसंद है।

प्रशंसकों को आपका संदेश? आने वाले प्रोजेक्ट कौन से हैं?

शुक्रिया। आपका प्यार मुझे आगे बढ़ाता है। अपने सपनों पर विश्वास करते रहो - अगर मैं इसे हासिल कर सकता हूं, तो आप भी कर सकते हैं। मैंने अभी डायरेक्टर और प्रोड्यूसर जय प्रकाश की फिल्म ‘लव करूं या शादी’ में एक भूमिका निभाई है। मेरे काफी प्रोजेक्ट पाइप लाइन में हैं।

 

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