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तनाव नियंत्रण से हार्मोन संतुलन

शरीर में हार्मोन का संतुलन हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इनके स्तर में उतार-चढ़ाव अवसाद का कारण बन सकते हैं।   महिलाओं को होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में इनका खासा असर है। इनमें प्रमुख हैं –थायरॉइड, कोर्टिसोल, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन।...
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शरीर में हार्मोन का संतुलन हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इनके स्तर में उतार-चढ़ाव अवसाद का कारण बन सकते हैं।   महिलाओं को होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में इनका खासा असर है। इनमें प्रमुख हैं –थायरॉइड, कोर्टिसोल, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन। तनाव प्रबंधन करके और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हार्मोनल प्रभाव संतुलित कर सकते हैं।

अवसाद यानी डिप्रेशन एक जटिल स्थिति है जिसके कई कारण हो सकते हैं और हार्मोनल असंतुलन उनमें से एक है। मुख्य रूप से,कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन), एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव अवसाद का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा,थायरॉइड हार्मोन और मेलाटोनिन भी अवसाद से जुड़े हो सकते हैं। प्रमुख रूप से, कोर्टिसोल,एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन महिलाओं के स्वास्थ्य और मासिक धर्म चक्र को प्रभावित करते हैं। कोर्टिसोल, जिसे तनाव हार्मोन भी कहा जाता है,उच्च स्तर पर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर को बाधित कर सकता है,जिससे अनियमित मासिक धर्म,त्वचा की समस्याएं और नींद की गड़बड़ी हो सकती है। वहीं,एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य,मासिक धर्म चक्र और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।

कोर्टिसोल

यह तनाव का हार्मोन है जो शरीर में तब निकलता है जब आप खतरे या तनाव की स्थिति में होते हैं। लंबे समय तक तनाव रहने से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ा हुआ रह सकता है,जिससे अवसाद और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन

ये महिला हार्मोन हैं जो मासिक धर्म चक्र, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के दौरान उतार-चढ़ाव करते हैं। इन हार्मोनों के स्तर में अचानक परिवर्तन से मूड में बदलाव, चिंता और अवसाद हो सकता है, खासकर महिलाओं में।

थायरॉइड हार्मोन

थायरॉइड ग्रंथि द्वारा उत्पादित हार्मोन, थायरोक्सिन (T4) और ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3), चयापचय (मेटाबोलिज्म) और ऊर्जा के स्तर को नियंत्रित करते हैं। इन हार्मोनों के असंतुलन से अवसाद, थकान और अन्य मूड संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

ये हैं असंतुलन दूर करने के उपाय

आजकल जिसे देखिए वही तनाव में है। ज्यादातर तो अपने जीवन में अनावश्यक तनाव से ही ग्रस्त हैं। कुंठा,अकेलापन, आर्थिक दिक्कतें,भविष्य की चिंता आदि लोगों के जीवन में तनाव बढ़ा रहे हैं। इसलिए आप तनाव प्रबंधन,मानसिक स्वास्थ्य सहायता और स्वस्थ जीवनशैली के विकल्प अपनाकर इन हार्मोनल प्रभावों को संतुलित कर सकते हैं। हालांकि बेहतर होगा कि आप विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें।

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