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हेल्दी लाइफस्टाइल व शारीरिक सक्रियता दिलाएगी दर्द से मुक्ति

फाइब्रोमाइल्जिया

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फाइब्रोमाइल्जिया में शरीर का दर्द बढ़ जाता है। व्यक्ति लगातार मसल्स पेन महसूस करता है। यह ब्रेन की एक प्रक्रिया है जिसमें मरीज के शरीर में जो दर्द होता है, उसका सेंसेशन बहुत ज्यादा बढ़ा देती है। यह महिलाओं में ज्यादा होती है। फाइब्रोमाइल्जिया की पहचान व उपचार आदि के बारे में दिल्ली स्थित पेन मैनेजमेंट एंड पैलिएटिव केयर विशेषज्ञ डॉ. सौरभ गर्ग से रजनी अरोड़ा की बातचीत।

फाइब्रोमाइल्जिया मसल्स में होने वाला विकार है जिसमें मरीज को पूरे शरीर में या शरीर के विभिन्न अंगों में लगातार दर्द रहता है। मसल्स के एक-एक फाइबर में निरंतर दर्द होता है। यह बीमारी बहुत कॉमन है और किसी को भी हो सकती है। यह करीब 2-4 प्रतिशत लोगों में देखी जाती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होती है। कुछ हद तक यह रोग वंशानुगत भी होता है।

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फाइब्रोमाइल्जिया में शरीर का दर्द बढ़ जाता है जिसकी वजह से इसे सेंट्रल पेन एमप्लीफिकेशन डिस्आर्डर भी कहा जाता है। यह ब्रेन की एक प्रक्रिया है जिसमें मरीज के शरीर में जो दर्द होता है, उसका सेंसेशन बहुत ज्यादा बढ़ा देता है या एम्पलीफाई करता है। ब्रेन में से पूरे शरीर में बहुत सारी नर्व्स जाती हैं जो शरीर में रक्त प्रवाह करके नियंत्रित करती हैं। ब्रेन में पेन रिसेप्टर्स होते हैं जो नर्व्स में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर से स्टीमुलेट होकर ज्यादा सेंसेटिव होते जाते हैं। जिसकी वजह से शरीर में दर्द का अहसास होता है। कई बार मरीज के लिए इतनी स्ट्रेसफुल कंडीशन होती है कि दर्द कहां-कहां हो रहा है, बता पाना मुश्किल हो जाता है।

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पहचान की प्रक्रिया

फाइब्रोमाइल्जिया की कंडीशन में शरीर में दर्द बढ़ जाता है। जानिये इसकी पहचान का तरीका यानी दूसरी तरह के दर्द से यह किस तरह भिन्न है। फाइब्रोमाइल्जिया के लक्षणों में शामिल है पूरे शरीर की मांसपेशियों में बहुत ज्यादा दर्द महसूस होना। हाथ-पैर में सुन्नपन या झनझनाहट महसूस होना। वहीं कमजोरी और थकावट बहुत ज्यादा होना। बहुत ज्यादा सेंसेटिविटी होना यानी कोई हल्का सा छुए, तो भी बहुत ज्यादा दर्द होना। इसके अलावा खास संकेत है किसी भी चीज को लेकर सोचते रहना जिसकी वजह से रात को ठीक से नींद नहीं आती है। वहीं फाइब्रोमाइल्जिया रोग में तेज सिरदर्द या माइग्रेन होता है। साथ ही संकेत है फाइब्रोफॉग या कंसन्ट्रेशन न हो पाना, याददाश्त कम होना। चक्कर आना, जी-मितलाना। इसके अलावा फाइब्रोमाइल्जिया विकार में इरीटेबल बावल सिम्टम होना या पेट गड़बड़ा जाने की स्थिति भी बनती है। गर्म-ठडा, लाइट-साउंड के प्रति सेंसेटिविटी ज्यादा होना व डिप्रेशन या एंग्जाइटी की गिरफ्त में रहना भी फाइब्रोमाइल्जिया के लक्षण हैं।

ये हैं कारण

फाइब्रोमाइल्जिया विकार की कई वजहें हैं जिनमें शामिल है- फैमिली हिस्ट्री या जीन्स में फाइब्रोमाइल्जिया, एसिडिटी या इरीटेबल बाउल सिंड्रोम के कारण पाचन प्रक्रिया गड़बड़ाना, महिलाओं में होने वाला हार्मोनल असंतुलन, नींद पूरी न होना, फूड डिस्आर्डर होना, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन व मूड डिस्आर्डर, आर्थराइटिस, ऑटो इम्यून क्रोनिक बीमारी, इंफेक्शन या वायरल जैसी बीमारियां, आरामपरस्त जिंदगी होना यानी फिजीकल एक्टिविटी में कमी व शारीरिक-मानसिक-भावनात्मक स्ट्रेस बहुत ज्यादा होना जिसके कारण लगातार सोचते रहना। वहीं एक्सिडेंट या फिजीकल ट्रॉमा के बाद स्ट्रेस व इंफेक्शन या वायरल जैसी बीमारियां भी इसकी वजह बन सकती हैं।

ऐसे करते हैं डायग्नोज

फाइब्रोमाइल्जिया को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर मरीज के लक्षणों का मूल्यांकन करते हैं, उन्हें पहचानने के लिए जरूरी टेस्ट किए जाते हैं। जैसे- मरीज की केस हिस्ट्री का पता लगाते हैं, उसमें दिखाई देने वाले लक्षणों के बारे में जानकारी लेते हैं। मरीज का होल बॉडी चैकअप किया जाता है कि कहीं गठिया जैसी बीमारी तो नहीं है। रोगी का ब्लड टेस्ट भी कराया जाता है। वहीं यूरिक एसिड, कैल्शियम व विटामिन डी लेवल चैक कराए जाते हैं। वहीं इसके लिए अमेरिकन कॉलेज ऑफ रूमैटोलॉजी ने कुछ गाइडलाइन्स बनाई हैं। शरीर में 18 टेंडर पाइंट्स की सूची दी है जिन्हें दबाने पर चैक किया जाता है। अगर इनमें से 11 पाइंट्स से अधिक एरिया में दर्द महसूस हो रहा हो, तो यह फाइब्रोमाइल्जिया है।

फाइब्रोमाइल्जिया का उपचार

फाइब्रोमाइल्जिया का उपचार मूलतः सिम्टोमैटिक और मल्टीफोकल किया जाता है। इसके लिए इसके कारणों को खत्म करने की कोशिश की जाती है, जिससे व्यक्ति की स्थिति में सुधार होता है। मरीज की समस्या के हिसाब से सिम्टोमैटिक मेडिसिन दी जाती हैं। दर्द कम करने के लिए ओवर द काउंटर दर्द निवारक दवाइयां, मसल्स को रिलेक्स करने की दवाइयां, एंटी डिप्रेसेंट, मूड चेंजर मेडिसिन दी जाती हैं। मरीज की स्थिति के हिसाब से एंटी ऑक्सीडेंट, मल्टी विटामिन, कैल्शियम व विटामिन डी सप्लीमेंट भी दिए जाते हैं।

अपनाएं हेल्दी रूटीन

फाइब्रोमाइल्जिया से जल्दी ठीक होने के लिए हैल्दी लाइफ स्टाइल या हैल्दी रूटीन विकसित करें। जिसमें घर-बाहर के कामों के लिए, कुछ समय निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए, पढ़ने-लिखने, मनोरंजन के लिए बैलेंस बनाकर चलें। इससे आपको किसी तरह का स्ट्रेस नहीं होगा और बीमारियां कम होंगी। नियमित रूप से एरोबिक एक्सरसाइज, मेडिटेशन, योगा, ब्रीदिंग एक्सरसाइज, वॉक करें। इनसे शरीर का मैकेनिज्म अच्छा चलता है, स्ट्रेस कम होता है और मरीज को आराम मिलता है। जरूरत पडने पर फिजियोथेरेपी का भी सहारा लें। शरीर के दर्द वाले टेंडर पाइंट पर कायरोप्रेक्टर, एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर थेरेपी भी की जा सकती है। ट्रिगर पाइंट या नोड्स की पेन रिलीफ मसाज या स्ट्रेचिंग(बॉल मसाज, फॉम रोलर) करने पर आराम मिलता है। रिलेक्सेशन थेरेपी जैसे दर्द वाली जगह पर हीटिंग पैड या आइस पैक लगाने से आराम मिलता है। स्ट्रेसफुल एक्टिविटीज को कंट्रोल करने के लिए मनोवैज्ञानिक ऑक्यूपेशनल थेरेपी, कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी व काउंसलिंग की मदद भी ली जा सकती है। वहीं दूसरों के साथ डिस्कस करने से भी स्ट्रेस कम होगा। रोजाना 7-8 घंटे की भरपूर नींद लें। बैलेंस डाइट लेनी जरूरी है जिसमें पोषक तत्व खासकर विटामिन डी ज्यादा लें। घर का बना पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करना चाहिए। ऑयली, मसालेदार डाइट, प्रोसेस्ड फूड को अवॉयड करना चाहिए। कैफीन का सेवन कम करें। अपनी सोच पॉजीटिव रखें, पुराने ट्रॉमा को याद न करके आगे बढ़ें। जरूरत हो तो अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों से यथासंभव बातचीत करते रहें ताकि स्ट्रेस दूर हो सके।

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