ग्रीन कॉरिडोर बना सहारा, देशभर में अंग भेजकर नौ साल में 76 लोगों को दिया नया जीवन
पीजीआई चंडीगढ़ ने ग्रीन कॉरिडोर से नौ वर्ष में 76 लोगों को जीवनदान दिया है। पीजीआई अंगदान से मिले अंगों को प्रतीक्षा सूची में शामिल मरीजों को प्रत्यारोपित करने के साथ ग्रीन कॉरिडोर के जरिए देश के कोने-कोने में भी...
पीजीआई चंडीगढ़ ने ग्रीन कॉरिडोर से नौ वर्ष में 76 लोगों को जीवनदान दिया है। पीजीआई अंगदान से मिले अंगों को प्रतीक्षा सूची में शामिल मरीजों को प्रत्यारोपित करने के साथ ग्रीन कॉरिडोर के जरिए देश के कोने-कोने में भी भेज रहा है ताकि दान में मिला एक भी अंग बेकार न जाए। संस्थान ने समय रहते ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से अंग को उसकी मैचिंग के मरीज तक पहुंचाया है। 
जानना जरूरी है

तय समय के बाद ये अंग हो जाते हैं बेकार

सात राष्ट्रीय पुरस्कार जीते

अंगदान को लेकर पीजीआई अब तक राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी है। इसके अलावा मृत अंग दान के लिए सर्वश्रेष्ठ सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पताल के रूप में पीजीआई के लिए चार पुरस्कार प्राप्त किए हैं। मृतक अंग दान की सबसे अधिक संख्या वाले यूटी के लिए एक पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ आरओटीटीओ होने के लिए एक पुरस्कार के साथ, यह एक बड़ी सफलता की कहानी रही है। जीवन बचाने में अत्यधिक योगदान देने से लेकर जागरूकता बढ़ाने और मानक स्थापित करने तक रोटो ने वास्तव में अंग दान के क्षेत्र में अपने लिए एक जगह बनाई है। रोटो नॉर्थ पीजीआईएमईआर ने सर्वश्रेष्ठ रोटो के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करके एक बार फिर राष्ट्रीय पहचान हासिल की है।

14वें भारतीय अंगदान दिवस पर शनिवार को दूसरी बार पीजीआई ने मृत अंगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल से पीजीआई के उपनिदेशक प्रशासन पंकज राय, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विपिन कौशल और रोटो नॉर्थ की नोडल अधिकारी सरयू डी. मद्रा व मिलन के बागला ने प्राप्त किया।

