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ग्रीन कॉरिडोर बना सहारा, देशभर में अंग भेजकर नौ साल में 76 लोगों को दिया नया जीवन

पीजीआई चंडीगढ़ ने ग्रीन कॉरिडोर से नौ वर्ष में 76 लोगों को जीवनदान दिया है। पीजीआई अंगदान से मिले अंगों को प्रतीक्षा सूची में शामिल मरीजों को प्रत्यारोपित करने के साथ ग्रीन कॉरिडोर के जरिए देश के कोने-कोने में भी...
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पीजीआई चंडीगढ़ ने ग्रीन कॉरिडोर से नौ वर्ष में 76 लोगों को जीवनदान दिया है। पीजीआई अंगदान से मिले अंगों को प्रतीक्षा सूची में शामिल मरीजों को प्रत्यारोपित करने के साथ ग्रीन कॉरिडोर के जरिए देश के कोने-कोने में भी भेज रहा है ताकि दान में मिला एक भी अंग बेकार न जाए। संस्थान ने समय रहते ग्रीन कॉरिडोर के माध्यम से अंग को उसकी मैचिंग के मरीज तक पहुंचाया है। पीजीआई ने 2013 में पहली बार एयरलिफ्ट कर चंडीगढ़ के 21 वर्षीय युवक के दिल और लिवर को दिल्ली भेजा था। उसके बाद पीजीआई ने इस क्रम को जारी रखने का प्रयास शुरू किया। इसमें नेशनल टिश्यू एंड ऑर्गन ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (नोटो) के सहयोग से पीजीआई रोटो देश के अन्य अस्पतालों से संबंध स्थापित कर रहा है ताकि पीजीआई में अंगदान से मिले अंग का मैचिंग मरीज न मिलने पर तत्काल संपर्क कर उसे सही जगह और तय समय पर भेजा जा सके। रोटो के नोडल अधिकारी प्रो. विपिन कौशल ने बताया कि ग्रीन कॉरिडोर बनाने और उसकी सफलता में पीजीआई के डॉक्टरों की टीम, कमेटी, रोटो की टीम, ट्रैफिक पुलिस, चंडीगढ़ के साथ मोहाली पुलिस के अलावा एयरपोर्ट प्रशासन का योगदान रहता है। इन विभिन्न टीमों में शामिल हर व्यक्ति की भूमिका उस अंग को दूसरे स्थान पर भेजने में बेहद महत्वपूर्ण होती है क्योंकि अंग को निकालने से लेकर उसे सुरक्षित और तय समय पर एयरपोर्ट पहुंचाना व उड़ान भरवाना ही प्रत्यारोपण को सफल बनाता है।

जानना जरूरी है

प्रत्यारोपित किए जाने वाले अंग को तय समय के अंदर मृतक के शरीर से निकाल लेना चाहिए। आंखों से कॉर्निया और आइबॉल जैसे पार्ट लिए जाते हैं। ऐसा नहीं है कि एक व्यक्ति की आंखें सिर्फ एक ही व्यक्ति को रोशनी दे सकती हैं बल्कि एक व्यक्ति के कॉर्निया से 3 से 4 लोगों की जिंदगी को रोशन किया जा सकता है। कुछ लोगों के हृदय और फेफड़े दोनों एक साथ डोनेट किए जाते हैं। इस केस में भी 4 से 6 घंटे के अंदर ही शरीर से निकालने और प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया को पूरा करना होता है।

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तय समय के बाद ये अंग हो जाते हैं बेकार

अंगदान के महत्व को समझने की जरूरत है। एक-एक अंग बहुमूल्य है। अंगदान का निर्णय लेने में किया गया विलंब उस अंग को बेकार कर सकता है।

सात राष्ट्रीय पुरस्कार जीते

अंगदान करवाने वाले साहसी परिवाारजनों को सम्मानित करते पीजीआई के निदेशक डॉ. विवेक लाल।

अंगदान को लेकर पीजीआई अब तक राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी है। इसके अलावा मृत अंग दान के लिए सर्वश्रेष्ठ सार्वजनिक क्षेत्र के अस्पताल के रूप में पीजीआई के लिए चार पुरस्कार प्राप्त किए हैं। मृतक अंग दान की सबसे अधिक संख्या वाले यूटी के लिए एक पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ आरओटीटीओ होने के लिए एक पुरस्कार के साथ, यह एक बड़ी सफलता की कहानी रही है। जीवन बचाने में अत्यधिक योगदान देने से लेकर जागरूकता बढ़ाने और मानक स्थापित करने तक रोटो ने वास्तव में अंग दान के क्षेत्र में अपने लिए एक जगह बनाई है। रोटो नॉर्थ पीजीआईएमईआर ने सर्वश्रेष्ठ रोटो के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करके एक बार फिर राष्ट्रीय पहचान हासिल की है।

नयी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल से सम्मान प्राप्त करते पीजीआई के उपनिदेशक प्रशासन पंकज राय, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विपिन कौशल और रोटो नॉर्थ की नोडल अधिकारी सरयू डी. मद्रा।

14वें भारतीय अंगदान दिवस पर शनिवार को दूसरी बार पीजीआई ने मृत अंगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल से पीजीआई के उपनिदेशक प्रशासन पंकज राय, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विपिन कौशल और रोटो नॉर्थ की नोडल अधिकारी सरयू डी. मद्रा व मिलन के बागला ने प्राप्त किया।

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