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समंदर की लहरों पर सुनहरा भविष्य

मरीन इंजीनियरिंग
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मरीन इंजीनियर का काम जहाज का निर्माण, मरम्मत व डिजाइन के अलावा तमाम तरह के संचालन संबंधी जिम्मेदारियों से जुड़ा है। एक शानदार कैरियर ऑप्शन के अलावा इस फील्ड में देश-विदेश में घूमने के साथ ही अच्छा वेतन और भत्ते मिलते हैं। जो युवा मरीन इंजीनियर बनना चाहते हैं उन्हें सामुद्रिक संरचना के अलावा मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग फील्ड की समझ होना जरूरी है।

अशोक जोशी

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जमीन से दूर समंदर में भी युवाओं के लिए सुनहरे भविष्य की अपार संभावना है। वे बीच समंदर में बेहतरीन कैरियर तलाश सकते हैं। जिन्हें समुद्र व उसकी लहरों से लगाव है और समुद्र में घूमना पसंद है, वे मरीन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना कैरियर बना सकते हैं। मरीन इंजीनियरिंग एक शानदार कैरियर ऑप्शन है। इसमें आपको देश-विदेश में घूमने की सहूलियत के साथ इंजीनियरिंग की दूसरी शाखाओं के मुकाबले अच्छा वेतन और भत्ते मिलते हैं। यह क्षेत्र आकर्षक और चुनौतियों से भरपूर है।

समझिए मरीन इंजीनियरिंग को

मरीन इंजीनियरिंग का क्षेत्र जलपोतों के निर्माण, उनको स्थापित करने से लेकर रख-रखाव तक जुड़ा है। इन दिनों जहाज भी मॉडर्न टेक्नोलॉजी और उपकरणों से लैस रहते हैं, जिनकी साज-संभाल के लिए मरीन इंजीनियर्स की जरूरत पड़ती है। किसी शिप का चीफ मरीन इंजीनियर ही उस शिप और उसके कार्गो का इंचार्ज होता है। मरीन इंजीनियरिंग में समुद्रों और तटीय इलाकों मे शोध भी किया जाता है। जहाज़ों की टेक्निकल मैनेजमेंट की सारी जिम्मेदारी मरीन इंजीनियर पर होती है जहाज के लिए डीजल इंजन, स्टीम टरबाइन, गैस टरबाइन जैसी मशीनरी का चुनाव और मैकेनिक इलेक्टरीड फ्लूइड और कंट्रोल सिस्टम का डिजाइन भी मरीन इंजीनियर ही तैयार करते हैं। देश की अर्थव्यवस्था में आयात और निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके लिए बंदरगाहों और जलपोतों से विदेशों तक पहुंचाया जाता है और देश में लाया जाता है। इन सभी में मरीन इंजीनियर का रोल अहम है।

मरीन इंजीनियर्स का कार्य क्षेत्र

जो युवा मरीन इंजीनियर बनना चाहते हैं उन्हें सामुद्रिक संरचना की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। साथ ही मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग फील्ड की समझ होना भी बहुत जरूरी है। इसके कार्य में बहुत ज्यादा विविधता है। वैसे तो मरीन इंजीनियर का मुख्य काम जहाज का निर्माण व मशीनरी की मरम्मत करना ही होता है, लेकिन ये जहाजों और नौकाओं के डिजाइन तैयार करने समेत कई अन्य जिम्मेदारियां निभाते हैं। इसके अलावा ऑफशोर ऑइल व गैस के लिए ऑपरेटिंग प्लेटफॉर्म, पाइपलाइन आदि का निर्माण व डिजाइनिंग का काम भी मरीन इंजीनियर्स ही करते हैं। ये मरीन सर्वे भी करते है। इसमें जहाजों का परीक्षण, ऑफशोर इंस्टॉलेशन और सेफ्टी उपायों का अध्ययन आदि करना होता है। मरीन इंजीनियरिंग सुनिश्चित करते हैं कि जहाज चालू रहे, अपनी यात्रा की मांग को पूरा करे और जहाज पर सवार सभी लोगों की सुरक्षा करे।

कैरियर संभावनाएं

मरीन इंजीनियरिंग में कैरियर के बहुत से विकल्प हैं। इस क्षेत्र मे छात्र केवल मरीन इंजीनियरिंग और नेवल आर्किटेक्ट तक ही सीमित नहीं हैं। मरीन इंजीनियर को डिज़ाइनिंग रिसर्च और कंसल्टेंसी से जुड़े क्षेत्रों में कार्य करने के लिए भी रखा जाता है। कोर्स पूरा करने के बाद आप इंडियन नेवी, मर्चेंट नेवी, जहाज निर्माण कंपनी या जहाजों का निरीक्षण करने वाली कंपनी में नौकरी कर सकते हैं। शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में भी काम करने का मौका पा सकते हैं। अगर आप विदेश में नौकरी करना चाहते हैं, तो कई इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन में काम कर सकते हैं।

एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2026 तक समुद्री इंजीनियरों के लिए कमाई के अवसरों में 12 फीसदी की भारी वृद्धि होगी , जो भारत में समुद्री इंजीनियरिंग के दायरे को दर्शाता है। श्रम सांख्यिकी ब्यूरो की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2023 और 2033 के बीच समुद्री इंजीनियरिंग पेशेवरों की हर साल लगभग एक हजार रिक्तियां उपलब्ध होंगी।

इस क्षेत्र में रोजगार के कई अवसर मिलते हैं। नेवल आर्किटेक्ट और मरीन इंजीनियरिंग के अलावा शिप बिल्डर, मेटल वर्कर, साइट मैनेजर और कार्बन फाइबर टेक्नीशियन के तौर पर भी जॉब प्राप्त की जा सकती है। मरीज इंजीनियर्स मौसम और वातावरण में सरवाइव करने करने वाले यंत्रों की खोज कर रहे हैं जिस वजह से फ्रैशर्स और क्रिएटिव इंजीनियर्स की डिमांड काफी बढ़ गई है। मरीन इंजीनियरिंग कोर्स स्नातकों को जहाज प्रबंधन कंपनियों, मरीन इंजीनियरिंग फर्मों और कंसल्टेंसी, शिपयार्ड और बोटयार्ड आदि द्वारा काम पर रखा जाता है। भारत में शीर्ष मरीन इंजीनियरिंग भर्तीकर्ता मैनिंग कंसल्टिंग, आर्यटेक मरीन एंड ऑफशोर सर्विसेज, ओशन इंजीनियरिंग सर्विसेज, इंडियन नेवी, इंडियन कोस्ट गार्ड आदि हैं।

मरीन इंजीनियरिंग में जॉब्स की भरपूर संभावनाएं है। युवा एस्सार शिपिंग,वरुण शिपिंग ,भारती शिपयार्ड,एबीजी शिपयार्ड, ,कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स गोवा शिपयार्ड लिमिटेड,लार्सन एंड टुब्रो,रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड ,भारतीय नौसेना,भारतीय तटरक्षक,जहाजरानी मंत्रालय बंदरगाह आदि में कैरियर बना सकते है।

वेतन

एक मरीन इंजीनियर को शुरुआत तौर पर 80 हजार से 1 लाख रूपये प्रतिमाह तक मिल जाते हैं, वहीं अनुभव और ज्ञान बढ़ने के बाद इंजीनियर्स की सैलरी कुछ वर्षों के अंदर ही लाखों में पहुंच जाती है।

कोर्स एवं योग्यता

मरीन इंजीनियरिंग के अंडरग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन लेने के लिए छात्रों को फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथेमेटिक्स में कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं पास होना जरूरी है। वहीं उम्र किसी भी सत्र के अगस्त तक 17 से 25 साल के बीच होनी चाहिए। उन्हीं छात्रों को एडमिशन लेने का अवसर मिलता है, जिन्होंने आई.एम.यू द्वारा आयोजित कॉमन एंट्रेंस टैस्ट की परीक्षा उत्तीर्ण की हो।

मरीन इंजीनियर बनने के लिए स्टूडेंट्स को 12वीं पास कर किसी मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेज से मरीन इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करनी जरूरी है। इसके बाद वे बीटेक इन नेवल आर्किटेक्ट एंड ओशन इंजीनियरिंग भी कर सकते हैं। मास्टर कोर्स भी कर सकते हैं। इस क्षेत्र के कुछ पाठयक्रमों में समुद्री इंजीनियरिंग/नौसेना वास्तुकला में एम.टेक ,समुद्री इंजीनियरिंग में पीजी डिप्लोमा, बंदरगाह और शिपिंग प्रबंधन में एमबीए,समुद्री प्रौद्योगिकी और नौसेना वास्तुकला में विशेष प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शामिल है। यंग इंजीनियरिंग कैडेट की पोस्ट से कैरियर की शुरुआत की जाती है जिसे बाद में अनुभव और क्षमता के अनुसार चीफ इंजीनियरिंग की पोस्ट तक पहुंचाया जा सकता है।

प्रमुख संस्थान

एनआईटी सुरथकल मैंगलोर, सीवी रमन ग्लोबल यूनिवर्सिटी भुवनेश्वर, तोलानी मैरिटाइम इंस्टीटयूट, पुणे, कोचीन यूनिवर्सिटी, आंध्र यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,समुद्री शिक्षा एवं प्रशिक्षण अकादमी चेन्नई, श्री वेंकटेश्वर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, रक्षा उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थान ,कोचीन यूनिवर्सिटी आफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी कोच्ची,इंटरनेशनल मैरीटाइम इंस्टीट्यूट (आईएमआई),ग्रेटर नोएडा तथा कोयम्बटूर मरीन कॉलेज, कोयम्बटूर।

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