हॉलीवुड फिल्म में गोवा के बीच की दासतां
सुनील आनंद ने अपने पिता देवानंद के सान्निध्य में निर्देशन की बारीकियां सीखीं तथा कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया। अब सुनील आनंद खुद के द्वारा लिखित, निर्देशित फिल्म ‘वेगाटोर मिक्सर ‘ पर्दे पर लेकर आ रहे हैं। यह एक...
सुनील आनंद ने अपने पिता देवानंद के सान्निध्य में निर्देशन की बारीकियां सीखीं तथा कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया। अब सुनील आनंद खुद के द्वारा लिखित, निर्देशित फिल्म ‘वेगाटोर मिक्सर ‘ पर्दे पर लेकर आ रहे हैं। यह एक अमेरिकी नौजवान की लव स्टोरी है जो लॉस एंजेलिस से शुरू होकर गोवा के वेगाटोर बीच में समाप्त होती है।
सदाबहार नायक देव आनंद के सुपुत्र सुनील आनंद ने नवकेतन के बैनर तले वेगाटोर मिक्सर नाम से एक हॉलीवुड फिल्म का निर्माण किया है। उन्होंने न केवल फिल्म की कहानी लिखी है बल्कि वे खुद इसके मुख्य नायक हैं और निर्देशन की कमान भी उनके ही हाथों में है। फिल्म मूल रूप से अंग्रेजी में बनी है और इसे हिन्दी और स्पैनिश भाषाओं में डब किया गया। दिसंबर में इसे विश्वभर में रिलीज करने की योजना है। पेश हैं फिल्म को लेकर सुनील आनंद से बातचीत के चुनिंदा अंश :
बातचीत के दौरान सुनील आनंद बताते हैं कि दरअसल मेरे पिता देव आनंद साहब ने 60 के दशक में आरके नारायण के चर्चित उपन्यास द गाइड पर इसी टाइटल से फिल्म निर्माण करके हॉलीवुड से एक रिश्ता कायम करने की कोशिश की थी। पिता ने फिर प्रख्यात सितारवादक पंडित रविशंकर की सुपुत्री नोरा जोंस के जीवन से प्रेरित होकर एक स्क्रिप्ट लिखी और इस पर एक हॉलीवुड फिल्म के निर्माण का फैसला लिया पर कानूनी अड़चनों के कारण इसका निर्माण नहीं किया। यह हॅालीवुड से रिश्ता कायम करने की उनकी दूसरी कोशिश थी। साठ के ही दशक में वे अपनी फिल्म ‘तीन देवियां’ का अंग्रेजी वर्जन-‘ओ ब्वॉय, थ्री गर्ल्स’ हॉलीवुड के लिए तैयार कर चुके थे। इसी दशक में उन्हें हॉलीवुड निर्देशक डेविड शेल्जनिक ने अपनी एक बड़ी फिल्म के लिए साइन किया। पिता के साथ नायिका के रूप में अभिनेत्री जेनिफर जोंस काम करने वाली थी। दुर्भाग्य से डेविड साहब का एक माह के भीतर निधन हो गया। फिर हिन्दी ‘गाइड’ ऑस्कर के लिए 1965 में नामांकित हुई। सत्तर के दशक में उन्होंने- एक हॉलीवुड फिल्म-‘द इविल विदइन’ में बतौर नायक काम भी किया। उनकी इच्छा थी कि वे अपने रहते एक हॉलीवुड फिल्म का निर्माण करें। पर इस बीच उन्होंने ‘चार्जशीट’ फिल्म का निर्माण शुरू कर दिया। फिल्म रिलीज भी हो गई और लंदन प्रवास के दौरान पिता ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी इच्छा थी कि मैं भी फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतरूं और नवकेतन को एक नये मुकाम पर लेकर जाऊं। मेरा फिल्मी कैरियर नवकेतन से ही शुरू हुआ। ‘आनंद और आनंद’ में काम किया। वहीं ‘मैं तेरे लिए’, ‘कार थीफ’ फिल्म में बतौर नायक काम किया। नवकेतन की ‘लूटमार’ से लेकर मैंने पिता को ‘चार्जशीट’ तक असिस्ट किया। वेगाटोर मिक्सर पापा को मेरी ओर से एक ट्रिब्यूट है।
एक अमेरिकी स्टूडेंट की जर्नी
सुनील आनंद निर्देशित फिल्म वेगाटोर मिक्सर एक ऐसे अमेरिकी नौजवान की लव स्टोरी है जो अमेरिका के लॉस एंजेलिस से शुरू होती है और गोवा के वेगाटोर बीच में आकर समाप्त होती है। नौजवान अमेरिकी यूनिवर्सिटी का शोध छात्र है। जिन परिस्थितियों से उसका सामना होता है कमोबेश उनसे हर भारतीय स्टूडेंट जूझता है। सुनील आनंद के मुताबिक, यह मेरा ओरिजनल आइडिया है। अमेरिकी नौजवान पीढ़ी बोलचाल में जिन शब्दों का इस्तेमाल करती है उन संवादों को लिया। उम्मीद है एक्शन वाले दृश्य दर्शकों को प्रभावित करें।
टॉम ऑल्टर की आखिरी फिल्म
वेगाटोर मिक्सर टॉम ऑल्टर की आखिरी फिल्म है। उन्होंने फिल्म में एक हिप्पी का रोल किया है।
हिप्पी मूवमेंट से जुड़ा है वेगाटोर
फिल्मकार सुनील आनंद का कहना है कि सत्तर के दशक मे हिप्पी मूवमेंट शुरू हुआ। तब अमेरिका-वियतनाम वार खात्मे की ओर थी। सैकड़ों लोगों ने अपने परिजनों को खोया था। लोग युद्ध की समाप्ति चाहते थे। उनमें फ्रस्ट्रेशन आ गई थी। नौजवान मस्ती के आलम में जीना चाहते थे। ये विरोध था उन प्रतिकूल परिस्थितियों का। तब लॉस एंजिलिस, न्यूयार्क सिटी, लंदन, बर्लिन, जर्मनी, स्वीडन, काठमांडू, पुष्कर, गोवा का वेगाटोर बीच इस मूवमेंट का केंद्र थे। वेगाटोर में आज भी रात-रात भर पार्टियां चलती हैं। उस पूरे माहौल को फिल्म ने पकड़ा है। लोग उससे बाहर कैसे निकलें यह संदेश भी है फिल्म में।
फिल्म के कलाकार
वेगाटोर मिक्सर में सुनील आनंद के अलावा दो नायिकाएं हैं। अमेरिका से औड्री बोवेन और लंदन से टटानिया रेनर। मुख्य विलेन की भूमिका में हॉलीवुड कलाकार फिलिपोस ऐले। एक और विलेन की भूमिका हॉलीवुड कलाकार दीन बक्शी ने निभाई है। संवाद लेखन का काम दो अमेरिकन राइटर्स ने किया है डग और रोलेंट ने।

