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संयम से डटकर मुकाबला करें ताने-उलाहने देने की सोच का

बॉडी शेमिंग
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शारीरिक बनावट, वजन, रंग या हाइट को लेकर किसी पर निगेटिव कमेंट्स करना उसके मन को ठेस पहुंचाता है। इससे पीड़ित लोग निराशा में घिर सकते हैं। हताशा में मामला घातक कदम उठाने तक जा सकता है। महिला, पुरुष और बच्चे- सभी बॉडी शेमिंग का शिकार होते हैं। हम संवेदनशीलता रखें कि मोटापा गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। शारीरिक छवि से परे सम्पूर्ण व्यक्तित्व को आंकने का भाव रखें। बच्चे यह न सीखें, इसके लिए पेरेंट्स की सजगता आवश्यक है।

डॉ. मोनिका शर्मा

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आखिर कैसा समाज बना रहे हैं हम? क्यों हमारे शब्द किसी का जीवन छीनने लगे हैं? क्यों किसी की शारीरिक-मानसिक स्थिति से लेकर रंग-रूप तक, ताने-उलाहने देने की विकृत सोच जड़ें जमा रही है? हाल ही में उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक युवती ने मोटापे को लेकर मिले तानों से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। मोटापे के कारण उपहास का दंश झेलने वाली युवती पहले मन को ठेस पहुंचाने वाली टीका-टिप्पणियों से अवसाद के घेरे में आई और फिर जीवन से ही मुंह मोड़ लिया। उसने अपनी परेशानी से उबरने के लिए एक निजी स्कूल में पढ़ाना शुरू किया। नई पीढ़ी को शिक्षित कर जीवन संवारने के लिए बने परिसर में भी लोगों ने उसका मजाक उड़ाया। जिसके चलते युवती की मनोदशा और खराब हो गई। बच्चे भी उसके मोटापे का मजाक बनाने से नहीं चूके।

कब बदलेगी सोच

पीड़ादायी है कि शारीरिक छवि को लेकर ताने देने यानी कमेंट्स करने का व्यवहार आज भी कायम है। पारिवारिक-सामाजिक परिवेश से लेकर कामकाजी मोर्चे तक, कभी सांवला रंग तो कभी वजन मजाक उड़ाने की वजह बनता रहा है। आमजन में किसी की शारीरिक बनावट के प्रति बनी सोच इतनी हावी है कि मेहनत से अर्जित की गई योग्यता के प्रति भी सम्मान का भाव नहीं दिखता। महिला ही नहीं पुरुष और छोटे बच्चे भी शारीरिक बनावट और वजन को लेकर अक्सर ताने सुनने हैं। जबकि ऐसे शब्द सीधे मन पर चोट करते हैं। सामाजिक दबाव और अपमान का बोझ बढ़ाते हैं। बीते दिनों छत्तीसगढ़ में भी एक महिला ने पति के तानों से परेशान होकर ख़ुदकुशी कर ली थी। पति उससे कहता था कि तुम बदसूरत और मोटी हो मर क्यों नहीं जाती? शारीरिक संरचना के एक तयशुदा खांचे में किसी इंसान को देखने की यह सोच नई पीढ़ी में भी मौजूद है। हमीरपुर जिले की इस युवती को स्कूल में बच्चों का भी निराशाजनक बर्ताव ही झेलना पड़ा। चिंतनीय है कि शारीरिक नापतौल के किसी तयशुदा घेरे में फंसकर ताने देने वाले बच्चे खुद भी आगे चलकर सौंदर्य संवर्धन के नाम पर इसी जाल में फंसते हैं।

सम्पूर्ण व्यक्तित्व को आंकें

असल में अपने हो या पराये, लोगों में आज भी यह समझ-संवेदनशीलता नदारद है कि मोटापा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। बढ़ते वजन से जूझ रहे व्यक्ति को लेकर उपहास और अभद्र टिप्पणियां करने के बजाय उसकी मनोदशा समझनी चाहिए। शारीरिक छवि से परे सकारात्मक संवाद करने एवं सम्पूर्ण व्यक्तित्व को आंकने का भाव रखना चाहिए। हर उम्र, हर जेंडर के लोगों को शारीरिक बनावट से जुड़े ताने-उलाहने मानसिक मोर्चे पर पीड़ा पहुंचाते हैं। फिजिकल अपीयरेंस को लेकर की गईं डीमोटिवेट करने वाली बातें मन पर गहरा असर करती हैं। इन तानों-उलाहनों को सुनने वाला इंसान बिना गलती की सजा मिलने जैसा महसूस करता है। बात अगर मोटापे जैसी व्याधि की हो तो, इससे मुक्ति पाने के लिए की जा रही कोशिशों पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। कसरत, वॉक, योग या दूसरी किसी शारीरिक गतिविधि को करने के लिए मोटीवेशन जरूरी है। अपने हों या पराये, घर हो या दफ्तर, उपहास उड़ाने से उनका मन को कमजोर पड़ने लगता है। वहीं किसी की पर्सनैलिटी को सम्पूर्णता से देखा जाए तो हर इंसान में कोई खासियत मिल ही जाएगी। सिर्फ शारीरिक लुक देखकर ही किसी को आंकने की सोच कई फ्रंट्स पर तकलीफदेह है।

बड़ों से सीखते बच्चे

इस मामले में बतौर टीचर काम कर मन के बदलाव की राह चुनने पर भी युवती को तकलीफदेह अनुभव ही मिला। स्कूल में बच्चों का अपनी टीचर को ताने देना तो और भी परेशान करने वाली बात है। बच्चों का ऐसा बर्ताव तो परवरिश के मोर्चे पर भी सोचने को विवश करता है। यही वजह है कि अभिभावकों की सजगता भी जरूरी है। घर में बोली जा रही भाषा पर ध्यान देना आवश्यक है। असभ्य शब्द या मजाक बनाते उलाहने, बच्चों का मन सब कुछ नोटिस करता है। इसीलिए पेरेंट्स बच्चों को किसी बात के लिए ताने देना, उनका मजाक बनाना या उनके सामने किसी परिचित-अपरिचित इंसान का उपहास उड़ाने की गलती ना करें। हमारे घरों में किसी की हाइट, मोटापे या स्किन के रंग को लेकर बहुत सी बातें बड़ी सहजता से की जाती हैं। बच्चे इन बातों को सुनकर खुद भी वैसे ही बात करने लगते हैं। देखने में आ रहा है कि बच्चे वर्चुअल दुनिया के कंटेन्ट और अजब-गजब टीवी कार्यक्रम देखकर नेगेटिव कमेन्ट करने वाली भाषा सीख रहे हैं। सोशल मीडिया में फिजिकल अपीयरेंस पर कमेन्ट करने वाली रील्स और वीडियो छाये हुए हैं। वहीं कुछ टीवी प्रोग्राम्स का कंटेन्ट तो अभद्र डायलॉग बोलकर किसी की हंसी उड़ाने के लिए ही तैयार किया जा रहा है। इस मामले में भी पेरेंट्स की सजगता आवश्यक है। बच्चों को इस तरह की भाषा वाली सामग्री से दूर रखने का प्रयास करें।

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