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सौ साल बाद इंसान में बदलाव के अनुमान

पिछली सदी के पांचवें-छठे दशक में जब सवाल उठता था कि सौ साल बाद इंसान कैसा होगा तो वैज्ञानिक इतिहास के विभिन्न दौर की तस्वीरों का मिलान कर निष्कर्ष निकालते कि कोई फर्क नहीं होगा। लेकिन आज उनके पास तकनीकी...
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पिछली सदी के पांचवें-छठे दशक में जब सवाल उठता था कि सौ साल बाद इंसान कैसा होगा तो वैज्ञानिक इतिहास के विभिन्न दौर की तस्वीरों का मिलान कर निष्कर्ष निकालते कि कोई फर्क नहीं होगा। लेकिन आज उनके पास तकनीकी कौशल है जिसके मुताबिक 100 साल बाद इंसान की औसत उम्र व लंबाई बढ़ेगी, रंग सांवला होगा व वह सौम्य होगा।

एन.के.अरोड़ा

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वैज्ञानिकों के बीच ऐसे जिज्ञासापूर्ण सवाल हमेशा पूछे जाते रहे हैं और सालों साल भले ये सवाल ज्यों के त्यों रहते रहे हों, लेकिन इनके जवाबों में बदलाव होते रहे हैं। मसलन पिछली सदी के पांचवें, छठे दशक में जब वैज्ञानिकों के बीच यह सवाल उठता था कि आखिर सौ साल बाद का इंसान कैसा होगा? तो उनके पास कुछ कहने के बजाय कुछ न कहने की स्थितियां ज्यादा होती थीं। मसलन आमतौर पर प्राचीन इतिहास के नायकों की तस्वीरें सामने रखी जाती थीं और आज के इंसान की तस्वीरों से उनका मिलान किया जाता था और फिर आमतौर पर इस निष्कर्ष पर पहुंचा जाता था कि दिखने के स्तर पर तो कोई खास बदलाव नहीं होगा।

तस्वीरों का मिलान

वैज्ञानिक 3500 साल पहले मिस्र के राजाओं, रानियों विशेषकर रानी हत्शेपसुत और ऑगस्टस सीजर से लेकर नेपोलियन और क्वीन विक्टोरिया तक की तस्वीरें देखकर इस निष्कर्ष पर पहुंचते थे कि दिखने में हजारों साल पहले के लोग भी आज के जैसे ही थे। दिखने में 3500 साल पहले की रानी हत्शेपसुत और 25 साल की क्वीन विक्टोरिया में कोई फर्क नहीं था। निष्कर्ष यह निकलता था कि 100, 200 या कई सौ सालों बाद भी इंसान के रूपरंग, दिखावट, बनावट आदि में कोई खास अंतर नहीं होगा। लेकिन यह सही नहीं था। वास्तव में यह गफलतभरा आकलन तस्वीरों के देखने के कारण था, क्योंकि तस्वीरों की अपनी एक सीमाएं होती हैं।

आयु, सेहत का अनुमान था मुश्किल

अलग-अलग दौर के इतिहास के लोगों की शक्लें भले एक जैसी दिखती हों, लेकिन इन तस्वीरों को देखकर किसी के स्वास्थ्य और आयु का पता नहीं चलता। अलग-अलग दौर के ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के चेहरे-मोहरे भले आज के इंसानों की तरह रहे हों, लेकिन इतिहास में ज्यादातर महान लोग 50 साल से भी कम जिए हैं, क्योंकि तब औसत आयु ही बहुत कम थी। जबकि आज दुनिया के सबसे गरीब देश में भी औसत आयु 50 साल है। भारत में पिछली सदी के 50 और 60 के दशक में अगर 60 साल का होकर कोई मरता था, तो उसे बहुत दिनों तक जिया समझा जाता था, मगर आज पुरुषों की औसत आयु 71 साल और महिलाओं की 75 साल हो चुकी है।

तकनीकी कौशल से आयी सटीकता

पहले भले 100 सालों बाद के इंसान को वैज्ञानिक स्पष्ट बदलावों के साथ चिन्हित न कर पाते रहे हों, लेकिन आज उनके पास ऐसा कर पाने की सटीक तकनीकी कौशल है। इसलिए वैज्ञानिकों के मुताबिक 100 साल बाद यानी करीब 2125 और उसके बाद के इंसान की पहले तो औसतन उम्र बढ़कर करीब 100 साल हो जायेगी। कुछ देशों में यह 120 से 125 साल तक चली जायेगी। चरम स्थिति पर कम से कम 150 सालों तक जियेगा। स्पष्ट है कि 100 साल के बाद के इंसान का कद आज के इंसान से थोड़ा लंबा हो जायेगा व शरीर ज्यादा वजनदार। लेकिन व्यक्तित्व में आक्रामकता कम और मिलनसारिता बढ़ जायेगी।

विकास में समानता

अगर कहें कि आज के 100 साल बाद का इंसान खुशमिजाज होगा और आक्रामक बिल्कुल नहीं। वर्तमान दुनिया में जो विकास के अलग-अलग टापू हैं, 100 साल बाद वैसी स्थितियां ज्यादा नहीं दिखेंगी। करीब-करीब हर जगह का विकास अपने चरित्र में एक जैसा होगा। मात्रा में भले भिन्न रहे। सौ साल बाद दुनिया के ज्यादातर इंसानों की शारीरिक भिन्नताएं भी कम हो जाएंगी और उनमें समानता ज्यादा आयेगी। ज्यादातर पुरुषों की ऊंचाई और बनावट एक जैसी हो जायेगी। लंबाई आज के मुकाबले कुछ बढ़ जायेगी, लेकिन वजन पर मतभेद हैं।

वजन और रंग की बात

कुछ वैज्ञानिक कहते हैं कि भविष्य के पुरुष ज्यादा मोटे ताजे होंगे तो कुछ दूसरों का मानना है कि ज्यादा दुबले पतले होंगे। एक जो खास बदलाव अचंभित करेगा, वह यह कि दुनिया के ज्यादातर लोगों की त्वचा का रंग धीरे-धीरे एक जैसा हो जायेगा यानी यह हल्का सांवला या गाढ़ा होगा। तब यूरोप, अमेरिका, उत्तरी ध्रुव और कनाडा से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक ज्यादातर पुरुष एक जैसे दिखेंगे, हल्के सांवले। लेकिन अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों की खासियतें उन भौगोलिक क्षेत्रों में मौजूद रहेंगी। मनुष्य का मस्तिष्क आसानी से कंप्यूटर इंटरफेस का उपयोग कर सकेगा। अंतरिक्ष यात्रा आम-असासन हो जायेंगी।

जब हर क्षेत्र में काफी कुछ समानताएं नजर आएंगी तो दुनियाभर के मौसम और जलवायु में भी 100 सालों बाद काफी हदतक एकरूपता आती दिखेगी और इसके पीछे का कारण पूरी दुनिया में एक जैसी तकनीक का इस्तेमाल होगा। एक जैसी तकनीक के इस्तेमाल से एक जैसा वातावरण बनेगा। सौ सालों बाद यात्राएं बहुत आसान और तेज हो जाएंगी। एक दिन में हिंदुस्तान के किसी भी कोने से जाकर लोग लौटने के बारे में भी सोच सकते हैं। बच्चे बिना अक्लदाढ़ के पैदा होने लगेंगे। 100 साल बाद अंगों का प्रत्यारोपण भी आम हो जायेगा। -इ.रि.सें.

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