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महाभारतकालीन विरासत के साथ एग्रीकल्चर टूरिज़्म का आनंद

चंपावत

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चंपावत और बुंगा फर्त्याल न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं, बल्कि यहां का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। यदि आप एक अद्भुत अनुभव की तलाश में हैं, जहां आप प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक स्थल और धार्मिक स्थल एक साथ देख सकें, तो चंपावत का यह यात्रा स्थल आपके लिए आदर्श हो सकता है।

अगर आप एक ही तरह के पर्यटन से ऊब गए हैं और किसी अनोखी जगह का अनुभव करना चाहते हैं, तो चंपावत एक आदर्श गंतव्य साबित हो सकता है। यहां आपको न केवल पहाड़ों की सुंदरता मिलेगी, बल्कि किले, पहाड़ी घरों में रहने का आनंद और शुद्ध, स्वादिष्ट भोजन भी मिलेगा। चंपावत, उत्तराखंड का एक ऐसा जिला है जहां पर ऐतिहासिक धरोहरें, पहाड़ी जीवन और प्राकृतिक सौंदर्य मिलकर एक अद्वितीय पर्यटन अनुभव प्रदान करते हैं।

बुंगा फर्त्याल गांव

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चंपावत का बुंगा फर्त्याल गांव एक छोटे से लेकिन खास स्थान के रूप में उभरता है। यहां के आड़ू और आलूबुखारे के पेड़ प्राकृतिक पर्यटन का आदर्श उदाहरण हैं। यहां के स्ट्राबेरी के पौधे पर्यटकों के स्वाद को एक नया अनुभव देते हैं। इस गांव में कृषि आधारित पर्यटन का अच्छा उदाहरण भी देखने को मिलता है, जहां रिवर्स पलायन के तहत लोग शहरों से वापस गांवों में खेती करने के लिए लौट रहे हैं। बुंगा फर्त्याल चंपावत के लोहाघाट विकासखंड का हिस्सा है, जो बीस गांवों के समूह से मिलकर बिशंग के नाम से प्रसिद्ध है।

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पर्यटन के दो दृष्टिकोण

बुंगा फर्त्याल में दो तरह से यात्रा की जा सकती है—

एग्रीकल्चर टूरिज्म : यहां के सीढ़ीदार खेतों के बीच बसे घरों में ठहरकर आप बागवानी का अनुभव ले सकते हैं। गांव में आकर खेती के नए आयामों का अनुभव करें, जिन्हें शहरों में लागू करना मुश्किल होता है।

ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन : महाभारत काल के बाणासुर राक्षस का किला और प्राचीन शिव मंदिर जैसे ऐतिहासिक स्थल यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। आप यहां महाभारत काल की गाथाओं को समझ सकते हैं और इस किले के अवशेषों का अवलोकन कर सकते हैं।

बाणासुर का किला

बाणासुर राक्षस किला, चंपावत के लोहाघाट क्षेत्र में कर्णकरायत गांव के पास स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 6000 फीट की ऊंचाई पर है। यह किला महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और बाणासुर के समय की ऐतिहासिक धरोहर को दर्शाता है। बाणासुर की पुत्री उषा ने भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को इसी किले में बंदी बना लिया था, जिसके बाद श्रीकृष्ण ने बाणासुर को युद्ध में हराकर उसे नष्ट कर दिया था। इस किले के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं, जिनकी लंबाई 90 मीटर और चौड़ाई 28 मीटर है। किले की खिड़कियां और पानी के लिए बने कुंड इसकी भव्यता की गवाही देते हैं।

प्राचीन शिव मंदिर

किले के पास स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह मंदिर भगवान शिव की स्वयंभू मूर्ति से सुशोभित है, जो एक ही पत्थर से बनी हुई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाणासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इस स्थान पर अपनी मूर्ति की स्थापना की थी। इस मंदिर की मूर्ति ऐसी है जैसे कोई मानव बैठा हो, और इसकी भव्यता देख कर पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

कृषि और होमस्टे पर्यटन

बुंगा फर्त्याल में शिव ध्वनि होमस्टे एक शानदार स्थान है जहां आप न केवल पहाड़ी जीवन का अनुभव ले सकते हैं, बल्कि यहां कृषि प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकते हैं। रिवर्स पलायन के तहत यहां खेती का एक अनोखा मॉडल तैयार किया है, जिसमें पर्यटक स्ट्राबेरी और अन्य फलों की खेती सीख सकते हैं। गांव में स्थित वनस्पति पार्क में आपको ऐसी वनस्पतियां देखने को मिलती हैं, जो अन्य स्थानों पर शायद ही मिलें।

यात्रा की सुविधाएं

बुंगा फर्त्याल तक पहुंचने के लिए आपको टनकपुर रेलवे स्टेशन तक पहुंचना होता है, जो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। इसके बाद आप चंपावत और फिर टैक्सी द्वारा बुंगा फर्त्याल पहुंच सकते हैं। यहां का मौसम वर्षभर ठंडा रहता है, और सर्दियों के दौरान यह स्थान बर्फ से ढक जाता है, जिससे पूरे क्षेत्र में एक सुंदर सफेद परत बन जाती है। इस दौरान बर्फ से ढके सीढ़ीदार खेतों का दृश्य अविस्मरणीय होता है।

अन्य दर्शनीय स्थल

चंपावत में आप अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों की यात्रा भी कर सकते हैं, जैसे—मायावती आश्रम, बालेश्वर मंदिर, नागनाथ मंदिर, मीठा रीठा साहिब।

इन स्थानों पर जाकर आप न केवल धार्मिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर से भी परिचित हो सकते हैं।

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