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योग करें रोज तो खुशनुमा हो मूड

कई दिन लगातार बारिश के चलते धूप न आना, घर से बाहर न जा पाना और थमी सी दिनचर्या सुस्ती पैदा करती है। ऐसी स्थितियों में योग असरकारी मूड बूस्टर साबित हो सकता है, जो शरीर को सक्रिय रखता है...
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कई दिन लगातार बारिश के चलते धूप न आना, घर से बाहर न जा पाना और थमी सी दिनचर्या सुस्ती पैदा करती है। ऐसी स्थितियों में योग असरकारी मूड बूस्टर साबित हो सकता है, जो शरीर को सक्रिय रखता है व मन को बेहतर बनाता है। कई योगासन व प्राणायाम शरीर में हैप्पी हार्मोन को बढ़ाते हैं।

बारिश के दिनों में जब मन अलसाया सा रहता है, तो योग नेचुरल मूड बूस्टर की भूमिका निभाता है। इसके पीछे गहरी वैज्ञानिक समझ मौजूद है। दरअसल बरसात में कई बार मन, मिजाज पर भारी पड़ता है। लगातार बादल घिरे रहना, सूरज की गैरमौजूदगी, घर से बाहर निकलने में असुविधा और थमी हुई दिनचर्या, लोगों को मानसून ब्लूज़ या अवसाद के घेरे में पहुंचा देता है। ऐसी स्थितियों में योग असरकारी मूड बूस्टर बनकर उभरता है, जो न केवल शरीर को सक्रिय रखता है बल्कि मन को भी बेहतर बनाता है। योग शरीर को स्ट्रेच करता है बल्कि दिमाग को भी रिफ्रेश करता है। शरीर के जरूरी हार्मोनों को सक्रिय करता है और मूड बूस्टर बनकर उभरता है।

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सेरोटोनिन और एंडोर्फिन की जुगलबंदी

ये दोनो हार्मोन फील गुड हार्मोन कहलाते हैं और कई ऐसे योगासन हैं जिनके करने से ये हार्मोन तेजी से रिलीज होते हैं। जैसे सूर्य नमस्कार, यह योगासन शरीर को गर्मी देते हैं और थकावट भगाते हैं। ये हमारे मूड को खुशनुमा बनाते हैं। वज्रासन भी मानसून के दिनों के सुस्ती भगाने का महत्वपूर्ण साधन है। इसके अलावा कई आसन फील गुड हार्मोन का स्राव कराकर हमारे मन मस्तिष्क को सक्रिय और ऊर्जावान बनाते हैं, उनमें हैं- बालासन यानी चाइल्ड पोज और शवासन। बालासन मन में गहरी शांति पहुंचाता है और शरीर से फील गुड हार्मोन रिलीज होते हैं। इसी तरह शवासन भी इन दिनों बहुत फायदेमंद योगासन होता है। क्योंकि यह थकावट और चिड़चिड़ेपन दोनो में लाभकारी होता है। इन दिनों अगर नियमित रूप से ये आसन किए जाएं तो हमारे शरीर से कोर्टिसोल का स्तर घटता है। कोर्टिसोल दरअसल तनाव पैदा करने वाला हार्मोन है, जो उन लोगों में बहुत कम रिलीज होता है, जो बारिश के दिनों में नियमित रूप से सक्रिय रहते हैं।

बिना साइड इफेक्ट का अभ्यास

वास्तव में योग कोई दवा या लत नहीं है, यह बिना किसी साइड इफेक्ट के एक ऐसा अभ्यास है, जो हमारे शरीर को वही फायदे देता है, जो कई जड़ी बूटियों और दवाओं से मिलते हैं। इसलिए बारिश के दिनों में बाकी किसी मौसम के मुकाबले कहीं ज्यादा योगासन करने की जरूरत होती है। इसके लिए घर में खुले कमरे में रोज आधे से एक घंटे तक योगासन करने चाहिए। ऐसा करने से शरीर तो स्वस्थ और सुंदर बनता ही है, भावनाएं भी सकारात्मक हो जाती हैं।

कुदरती मूड बूस्टर

योग को प्राकृतिक मूड बूस्टर इसलिए माना जाता है कि इसकी कुछ विशेष क्रियाएं शरीर के हार्मोनल बदलाव में बड़ी भूमिका निभाती हैं। योगासन व प्राणायाम सिर्फ मूड बूस्टर हार्मोन ही नहीं रिलीज करते बल्कि यह कोर्टिसोल नामक नकारात्मक हार्मोन को भी बनने से रोकते हैं, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और तनाव से मुक्ति भी। गौरतलब है कि कोर्टिसोल हार्मोन हमारी अनिद्रा, बेचैनी और डिप्रेशन के लिए जिम्मेदार होता है। हमें बारिश के दिनों में योग करने से विशेषकर बालासन और शवासन से तनाव से मुक्ति मिलती है। इन दिनों विशेषकर अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और उज्जायी से मस्तिष्क को ताजगी और शांति मिलती है।

मिटाए ऊब और अकेलापन

बारिश के दिनों में ऊब और अकेलापन भी एक बड़ी समस्या होती है। घर से बाहर जाकर मनोरंजन करने या मूड बदलने की हिम्मत नहीं होती और घर में पड़े पड़े डिप्रेशन की गिरफ्त में आते हैं। ऐसे में बारिश के दिनों में घर से बाहर निकलें, प्रकृति के बीच विचरण करें और योग करें तो इस तरह के सारे अकेलेपन के भाव दूर हो जाते हैं। बारिश के दिनों में मूड बेहतर करने के लिए सूर्य नमस्कार कारगर है। इससे शरीर का रक्त संचार बेहतर होता है और शरीर में ऊर्जा का प्रवाह महसूस होता है। वहीं बालासन करने से मन को शांति मिलती है, जो कई रासायनिक प्रक्रियाओं के साथ मन को स्फूर्तिदायक चेतना प्रदान करता है। सेतुबंध आसन, अनुलोम-विलोम और वज्रासन तथा भ्रामरी प्राणायाम सुस्ती और थकान दूर करके दिल दिमाग को ऊर्जा से लबरेज करते हैं।

योगासन मूड बूस्टर तो हैं, लेकिन इन दिनों नमी वाले फर्श पर योगासन न करें। वहीं चुस्त, दुरुस्त यानी जिम में पहने जाने वाले कपड़े पहनकर भी कभी योगासन न करें। हल्के, सूती कपड़े पहनकर ही योगाभ्यास करें। वहीं भोजन के कम से कम ढाई से तीन घंटे बाद ही आसन करें वर्ना पाचन की समस्या हो सकती है।     -इ.रि.सें.

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