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हल्के में न लें गर्मियों की बीमारियों को

गर्मी के सीज़न में पानी की कमी, अपच के अलावा मौसमी रोगों की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आती हैं। वहीं बढ़े तापमान के चलते लू लगने व कड़ी धूप से सनबर्न होने का जोखिम रहता है। ऐसे में भरपूर पानी व...
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गर्मी के सीज़न में पानी की कमी, अपच के अलावा मौसमी रोगों की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें आती हैं। वहीं बढ़े तापमान के चलते लू लगने व कड़ी धूप से सनबर्न होने का जोखिम रहता है। ऐसे में भरपूर पानी व घर में पके ताजे-हल्के भोजन का सेवन करना चाहिये। वहीं धूप में छाता लेकर निकलना तथा आ चश्मा पहनना जैसी सावधानियां भी जरूरी हैं।

प्रो. अनूप कुमार गक्खड़

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गर्मियों का मौसम आते ही दिन लम्बे और रातें छोटी होनी शुरू हो जाती हैं। वातावरण में रुक्षता बढ़ जाती है । खानपान के नियमों का पालन ठीक से न करने पर स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती हैं। गर्मियों में ऋतु के प्रभाव से शरीर में भोजन पचाने वाली अग्नि मंद हो जाती है और सामान्य मात्रा में खाने पर भी भोजन पाचन में दिक्कत रहती है। गर्मियों का आगमन हमें सचेत रहने का संदेश देता है। सावधान न रहें तो शरीर के अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित होने की सम्भावना रहती है। यह वह ऋतु है जहां पानी तो खुला पिया जा सकता है लेकिन किसी भी तरह का भोजन अधिक खाना हानिकर है।

पानी भरपूर पीएं

गर्मियों में अधिक समस्या पानी कम पीने से होती है। आयुर्वेद में इस ऋतु में यथा इच्छा पानी पीने को कहा है। गर्मियों से होने वाले पानी की कमी से बचने के लिये दिनभर प्रचुर मात्रा में पानी पीना चाहिए। इसके अलावा नींबू पानी, नारियल पानी, फलों के जूस का प्रयोग अवश्य करें। बहुत ज्यादा ठण्डे पेय पदार्थें का सेवन न करें। फ्रिज के पानी के स्थान पर सामान्य मिट्टी के घड़े का पानी श्रेष्ठ फलदायी है। इस बात का ध्यान रखें कि बेल पर लगने वाले फल यथा तरबूज, खरबूजा, खीरा व ककड़ी का सेवन करने के बाद पानी न पियें। सत्तू और शर्करा इस मौसम का सबसे अच्छा पेय है। इसके सेवन से गर्मियों में थकावट नहीं होती। दूषित जल के सेवन से पीलिया जैसे रोग होते हैं। ऐसे में केवल विश्वसनीय स्रोतों के स्वच्छ जल का प्रयोग करना चाहिए।

बाजार के खुले खाद्य पदार्थों से बचें

गर्मी में मौसम के प्रभाव से भोजन पचाने का सामर्थ्य कम होने से इस मौसम में उल्टी, दस्त, डायरिया और हैजा जैसी बीमारीयां होना आम बात है। इनसे बचने के लिए साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें। बाजार में खुले मिलने वाले चाट पकौड़ी, गोल गप्पे व कटे हुए फलों के सेवन से बचें। जहां तक हो सके घर में बना ताजा भोजन खायें। खाने से पहले हाथ अवश्य धोयें। भारी व देरी से पचने वाले भोजन से बचना चाहिए। पका हुआ भोजन ही खाना चाहिए। कच्चे खाये जाने वाले फलों का सेवन अच्छी तरह धोकर करना चाहिए। सलाद का प्रयोग भोजन से पूर्व करें। वहीं मौसमी फल-सब्जियों का भरपूर प्रयोग करें।

रात्रि का भोजन हल्का व समय पर

इस बात का खास ध्यान रखें कि रात को अधिक मत खाएं। भोजन अधिक करने से पेट में अपचन, गैस, व एसिडटी जैसी दिक्कत हो सकती है। पाचन सम्बन्धी बीमारियों से बचने के लिए अधिक मिर्च-मसाले वाले तथा तैलीय भोजन से परहेज करें। रात का भोजन सोने से तीन घंटे पहले करें।

लू लगने से करें बचाव

गर्मी के मौसम में अधिक धूप में लू लगने की प्रवृत्ति रहती है। ऐसे में धूप के प्रत्यक्ष सम्पर्क से बचना चाहिए। लू लगने पर शरीर का तापमान बढ़ने के साथ साथ चेहरा लाल हो जाना, सांस लेने में दिक्कत होना व चक्कर आना, सिरदर्द, बेहोशी की हालत होना जैसे लक्षण होते हैं। कड़ी धूप में ज्यादा भाग-दौड़ का काम न करें। धूप में कैप, मास्क, चश्मा व छाता आदि का प्रयोग करें। ऐसी स्थिति में ढीले कपड़े पहनने चाहिए। लू से बचने को कैरी का शर्बत लाभदायक है। कैरी को उबाल कर उसका छिलका उतार कर इसमें काला नमक, जीरा तथा शर्करा मिलाकर पीस लें। अब इस शर्बत को दिन में 3-4 बार पीयें। इसमें इमली के पानी का सेवन लाभदायक है। इमली को भिगोकर इसमें थोड़ा गुड़ मिलाकर इसका पानी पीयें। इमली के गूदे से गर्मी का प्रभाव कम होता है। गर्मी के मौसम में रोजाना प्याज का सेवन लाभदायक है। इस मौसम में तुलसी के पत्तों का रस चीनी में मिलाकर पीने से लू का प्रभाव कम हो जाता है। नींबू के पानी में नमक और चीनी मिलाकर लेने से लू लगने का खतरा कम हो जाता है।

त्वचा रोगों से बचने को सावधानी

धूप के सम्पर्क में आने से कई लोगों की त्वचा जल जाती है जिसे सनबर्न के नाम से जाना जाता है। ऐसे में सूती कपड़ों का प्रयोग और धूप से बचना ही चिकित्सा होती है। अगर त्वचा का पसीना साफ न हो और वहीं बना रहे तो घमौरियां निकलती हैं। तो ठंडे वातावरण में रहना और त्वचा को सूखा रखने का प्रयास करना चाहिए।

उपरोक्त सभी बातों को यदि हम अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें तो ग्रीष्म ऋतु में रोगों से बचे रहेंगे। स्वस्थ रहकर हम मौसम का भरपूर आनन्द उठा सकते हैं।

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