अभिनेता, लेखक , निर्माता वा निर्देशक देव आनंद बहुमुखी प्रतिभा के साथ करिश्माई और कर्मठ व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने करीब छह दशक तक अपनी सदाबहार फिल्मों के जरिये भारतीय सिनेमा को समृद्ध किया व दर्शकों पर छाप छोड़ी।
सदाबहार अभिनेता देव आनंद ने नवकेतन प्रोडक्शन कंपनी की स्थापना कर कई यादगार फिल्में बनाईं व निर्देशित की। उनकी फिल्मों को लेकर उनके सुपुत्र अभिनेता सुनील आनंद से बातचीत हुई :
नवकेतन के 76 साल
आज मैं अपने पिता देव आनंद साहब को याद करने बैठा हूं तो उनका पूरा व्यक्तित्व जैसे सामने आकर खड़ा हो गया। नवकेतन नाम की जिस प्रोडक्शन कंपनी की उन्होंने 1949 में नींव रखी थी उसने अपने 76 साल पूरे कर लिए हैं। इतने सालों में न केवल बॉलीवुड की बल्कि हॉलीवुड की भी कई बड़ी प्रोडक्शन कंपनियां बंद हो चुकी हैं। पर नवकेतन का परचम शान से लहरा रहा है। इसके पीछे है वह करिश्माई और कर्मठ व्यक्तित्व जिसने जीवन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
व्यक्तित्व की खूबसूरती
वे अपने समय के सबसे बड़े खूबसूरत एक्टर थे। दिलीप कुमार साहब ने अपने एक आर्टिकल में कहा है कि इतना हैंडसम आदमी मैंने अपनी जिन्दगी में नहीं देखा।
ब्लैक एंड व्हाइट से निर्माण की शुरुआत
जहां तक उनकी फिल्मों का सवाल है तो नवकेतन ने करीब 43 फिल्मों का निर्माण किया। इनमें बारह फिल्में ब्लैक एंड व्हाइट बनी हैं।
‘गाइड’ और ‘हम दोनों’
मुझे नवकेतन की ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों में नौ-दो-ग्यारह, टैक्सी ड्राइवर, काला बाजार, हाउस नंबर-44, फंटूश और काला पानी बहुत अजीज हैं। ‘गाइड’ और ‘हम दोनों’ मेरे दिल के बहुत करीब हैं। काला बाजार और गाइड के लिए गोल्डी अंकल शैलेन्द्र जी को लाए। अद्भुत गीत-संगीत है कालाबाजार और गाइड का। फिर डैडी ने ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ फिल्म का निर्माण किया। फिल्म जगत के कई लोगों ने पिता से कहा था इस सब्जेक्ट पर फिल्म नहीं चलेगी पर उन्होंने एक शानदार फिल्म का निर्माण किया। इसी तरह ‘देश-परदेश’ इमीग्रेशन के मुद्दे पर बनी थी।
दिल छूने वाली फिल्में बनाई
डैडी को अगर कोई विषय भा गया तो वे उसे फिल्मों के जरिये समाज के बीच लाए। अगर वे आज जिन्दा होते तो अब तक चार-पांच और फिल्में उन्होंने बना दी होतीं। अमेरिकी सरकार ने उन्हें 1960 में अमेरिका आमंत्रित किया और उनकी हॉलीवुड के सभी बड़े अभिनेताओं, छायाकारों और पटकथा लेखकों से मुलाकातें करवाईं। उसी दौरान वे हॉलीवुड के महान अदाकार ग्रेगरी पैक, स्पेंसर ट्रेसी और जेम्स स्टु्अर्ट से भी मिले थे। पर कभी उनकी कॉपी नहीं की। उनका अपना ओरिजनल स्टाइल था। खासकर डॉयलाग बोलने की विशिष्ट शैली। हॉलीवुड से नवकेतन का 65 साल पहले जो नाता बना था वह अब और प्रगाढ़ होने जा रहा है। उन्होंने हालीवुड के लिए टैड डेनीलिवस्की के निर्देशन में अंग्रेजी में ‘गाइड’ बनाई थी। मैंने नवकेतन के बैनर तले वेगाटोर मिक्सर फिल्म का निर्माण किया है।
संसार में सबको एक दिन जाना हैं। कभी वे गुरुदासपुर, लाहौर से एक्टर बनने फ्रंटियर मेल से मुंबई आए थे। उनके पास सिर्फ तीस रुपये थे। अपनी मेहनत के बूते एक महान अभिनेता बने। मैं समझता हूं उनका जादू कभी खत्म नहीं होगा।
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