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आईटी युवाओं को बंधक बना करवाई जा रही साइबर ठगी

पुष्परंजन पहला मुक्का युवक के चेहरे के बाईं ओर, दूसरा दाएं ओर लगता है। इसके बाद कई और मुक्के उसके पेट-पीठ और गर्दन पर लगते हैं। वह खुद का बचाव नहीं कर सकता, उसके हाथ हथकड़ी से बंधे हुए हैं।...

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पुष्परंजन

पहला मुक्का युवक के चेहरे के बाईं ओर, दूसरा दाएं ओर लगता है। इसके बाद कई और मुक्के उसके पेट-पीठ और गर्दन पर लगते हैं। वह खुद का बचाव नहीं कर सकता, उसके हाथ हथकड़ी से बंधे हुए हैं। उसके हमलावर का चेहरा फोटो फ्रेम के बाहर है, उसकी मुट्ठी ग्लब्ज़ के अंदर है। वह अपने शिकार को लैपल्स से खींचकर फ्रेम के बीच में ले जाता है, उसका चेहरा कैमरे की ओर करता है, और उसे बोलने के लिए कहता है।

‘पापा, मैं कंबोडिया में हूं, मैं चीन के अंदर नहीं हूं,’ युवक ने आंसू बहाते हुए कहा, उसकी आवाज़ टूट रही थी, और उसकी नाक से खून बह रहा था। ‘मैं आपसे विनती करता हूं, कृपया पैसे भेज दें। ‘फिरौती का वीडियो, जो पीड़ित के माता-पिता को भेजा गया था, निक्केई एशिया यूट्यूब द्वारा दिखाए गए कई वीडियो में से एक था, जो कंबोडिया में मानव तस्करी के पीड़ितों को बचाने में मदद करता है।

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फिरौती के दूसरे वीडियो में एक हथकड़ी लगे व्यक्ति को डंडे से पीटा जा रहा है, जबकि अन्य पीड़ित डरे-सहमे हुए उसे देख रहे हैं। एक अन्य वीडियो में एक बिना शर्ट के शख्स को ज़मीन पर हथकड़ी लगाए हुए दिखाया गया है, जिसे डंडे से पीटा जा रहा है। दो और बंदी, जिन्हें पास की खिड़की की ग्रिल से हथकड़ी लगाई गई है, वे डरे हुए उसे देख रहे हैं। तीसरे वीडियो में, एक व्यक्ति, जिसकी गर्दन पर किसी ने एक पैर रखा है, दर्द से कराह रहा है, क्योंकि उसे टेजर से बिजली का झटका दिया जा रहा है।

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कई देशों में साइबर ग़ुलामी के अड्डे

ये वीडियो अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क द्वारा संचालित उस अंधेरी दुनिया की झलक दिखाते हैं, जो चीन से लोगों को वियतनाम के रास्ते कंबोडिया और म्यांमार में साइबर ग़ुलाम बनाने में सक्षम हैं। ये माफिया मुख्य रूप से ऑनलाइन जुआ संचालन करने के लिए जाने जाते हैं। अब इन्होंने बंदियों को ऑनलाइन ठगी करने के लिए मजबूर करना शुरू किया है। ये लोग 2016 में कम्बोडिया के तटीय शहर सिहानोकविले आए थे। फिलीपींस से भगाये गए, तो उन्हें कंबोडिया में ढीले नियमों का सहारा मिल गया। सिहानोकविले ‘दक्षिण पूर्व एशिया का मकाऊ’ बन चुका है। यहां का चीनी गैंग, मेन लैंड चाइना से अंग्रेजी भाषी आईटी एक्सपर्ट युवाओं को फंसाता है, और उन्हें म्यांमार-कम्बोडिया, लाओस, थाईलैंड-वियतनाम के उन कैम्पों में क़ैद करता है, जो मेकोंग नदी से लगे तटीय और निरापद इलाक़े हैं। अब इन्होंने मालदीव, मिडल ईस्ट से लेकर उत्तरी अफ्रीकी देशों में भी नया ठिकाना बनाया है।

म्यांमार में क्रिमिनल कॉरिडोर श्वे कोक्को

म्यांमार नाउ के संपादक श्वे लिन बताते हैं कि मोई रिवर के इलाक़े में 30 से अधिक देशों के युवा साइबर ग़ुलामी कर रहे हैं। श्वे कोक्को, कारेन राज्य के अंतर्गत आता है। थाई-म्यांमार बॉर्डर पर 31 मील के कॉरिडोर में 17 क्राइम ज़ोन उग आये हैं। यह म्यांमार का सर्वाधिक डिस्टर्ब इलाक़ा माना जाता है, जहां सेना को भी विभिन्न आपराधिक गैंगों से समझौता करना पड़ता है। सिंगापुर से प्रकाशित ‘स्ट्रेट्स टाइम्स’ का अनुमान है, कि करीब 1,000 मलेशियाई लोगों को श्वे कोक्को में काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इंडोनेशियाई विदेश मंत्रालय के अनुसार, ‘यांगून में इंडोनेशियाई दूतावास ने स्थानीय लोगों की मदद से मई में सीमावर्ती शहर से 22 इंडोनेशियाई लोगों को छुड़ाया था। लेकिन अब भी दर्जनों नागरिक क्रिमिनल कॉरिडोर श्वे कोक्को में फंसे हुए हैं।’

चीन के बाद अब लक्ष्य भारत व श्रीलंका

‘यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस’ के म्यांमार स्थित कंट्री डायरेक्टर, जेसन टॉवर ने कहा, ‘यह काम कुछ ऐसा है, जिसका बाहर से कुछ पता नहीं चलता और न ही कोई चौकसी है। कम से कम 30,000 लोगों को कंबोडिया, मायाजाल में फंसाकर लाया गया है।’ जेसन टॉवर, जिन्होंने चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया में ऑनलाइन जुआ कंपनियों की गतिविधियों का अध्ययन किया है, उनका अनुमान है कि मुख्य भूमि चीन में इस प्रकार के इंटरनेट घोटालों के शिकार एक लाख से लेकर पांच लाख तक हो सकते हैं। अब भारत-श्रीलंका-बांग्लादेश, पाकिस्तान को इन्होंने लक्ष्य बनाया है। उन्होंने कहा कि हर दिन सोशल मीडिया पर नौकरी के सैकड़ों विज्ञापन नमूदार होते हैं, जो चीनी आईटी श्रमिकों को कंबोडिया और म्यांमार में आपराधिक नेटवर्क से जुड़े स्थानों पर फंसाकर लाते हैं, फिर उन्हें ग़ुलाम बना देते हैं। इनसे छुटकारा मिलना आसान नहीं है, जिन्हें सेना के जनरलों, पुलिस, अदालतों और सत्ता के गलियारों का संरक्षण प्राप्त है।

टॉर्चर की वीडियोग्राफी

एक बात तो स्पष्ट है कि साइबर यातना गृहों में बंदियों में दहशत फ़ैलाने के लिए टॉर्चर को कभी-कभी फिल्माया जाता है, ताकि रिश्तेदार फिरौती की रकम ट्रांसफर करने में देर न लगाएं। यहां से जो निकल भागने में कामयाब हुए, उन श्रमिकों के अनुसार, ‘कुछ लोगों की हत्या कर दी गई है, और उनकी मौत को आत्महत्या बताया गया है।’ कुछ को कंपनियों के बीच बेचा जाता है। उनकी कीमतें आईटी स्किल के आधार पर आठ हज़ार डॉलर से शुरू होती हैं।

नेटवर्क के सरगना ज्यादातर चीनी

इस आपराधिक नेटवर्क का नेतृत्व ज्यादातर चीनी नागरिक करते हैं, लेकिन दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य स्थानों पर जो संचालित समूह हैं, उन्हें भी सिंडिकेट का हिस्सा बना लिया जाता है। लीगल डेली के आंकड़ों के अनुसार, ‘2023 में चीनी अधिकारियों ने साइबर अपराधों में शामिल 2,80,000 व्यक्तियों को अदालत और जेल का दरवाज़ा दिखाया है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 35.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। इनमें से 31 हज़ार म्यांमार से प्रत्यर्पण करके लाये गए थे।’

बढ़ते दबाव के कारण साइबर अपराधियों ने नाइजीरिया, इथियोपिया, यूएई और मिडल ईस्ट के दूसरे देशों को पसंदीदा गंतव्य बनाया है। उदाहरण के लिए, आप दुबई के अल आइन रोड को तलाशिये, चाइनीज़ ठगों के अड्डे मिल जायंगे। द पीपल्स डेली की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘तस्करी किए गए लोगों में से 10 से पंद्रह प्रतिशत महिलाएं हैं, जिन्हें परिसर में सेक्स वर्क के लिए इस्तेमाल किया जाता है, या फिर वेबकैम पर अश्लील शो करने के लिए मजबूर किया जाता है।’

कंबोडिया में चीनी और वियतनामी दूतावासों ने मानव तस्करी करने वाले समूहों के बारे में लगातार चेतावनी जारी की है। वो वार्निंग देते है, ‘ जो आपका इंतज़ार कर रहा है, वह उच्च वेतन नहीं है, बल्कि ऑनलाइन जुए के अड्डों द्वारा अवैध कारावास और अपहरण है।’ खमेर टाइम्स ने बताया, ‘2021 की पहली छमाही में कंबोडियाई अधिकारियों ने मानव तस्करी के 139 मामलों और यौन शोषण के 59 मामलों को पकड़ा था।’ लेकिन शिन्हुआ की रपट थी, कि यह अपराध और भयावह रूप से बढ़ा है। चीनी आपराधिक नेटवर्क, जो कुछ साल पहले चीन में इसी तरह की हरकतें कर रहे थे, अब विदेशों में उनका विस्तार हो रहा है। वे ऐसी जगहें तलाश रहे हैं, जहां भ्रष्ट शासन व्यवस्था है। ग्लोबल टाइम्स जैसे टेब्लॉइड अख़बार ने जानकारी दी, कि संगठित साइबर अपराधियों के इस गैंग ने बहुत सारी अपहृत महिलाओं को वेश्यावृत्ति में धकेल दिया।

लाखों लोग संलिप्त हैं धोखाधड़ी में

सबसे चिंताजनक यह है कि चीनी मानव तस्करों ने श्रीलंकन और भारतीय आईटी एक्सपर्ट्स को अपने चंगुल में फंसाया है। अभी श्रीलंका में चुनाव की वजह से ग़ुलाम बनाये युवा आईटीअन को वापस लाने के सारे प्रयास स्थगित हैं, लेकिन इन्होंने भारत सरकार से कोऑर्डिनेट किया है। अगस्त 2023 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि म्यांमार में कम से कम 120,000 लोग और कंबोडिया में 100,000 लोग साइबर-धोखाधड़ी योजनाओं को संचालित करने के लिए मजबूर थे।

नदी किनारे वैश्विक अपराध गलियारा

भारतीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में विदेश मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र और सुरक्षा विशेषज्ञों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक बुलाई थी। इस बहु-मंत्रालयी सहयोग का उद्देश्य साइबर घोटालों से निपटना और ग़ुलाम बनाये नागरिकों को बचाने के लिए एक प्रभावी रणनीति तैयार करना है। गत 16 अप्रैल 2024 को म्यांमार के साइबर स्लेव कैम्प से आठ श्रीलंकन छुड़ाए गए, जिनमें दो औरतें भी थीं। अब भी 56 ऐसे अभागे लोगों का पता यांगून स्थित श्रीलंकाई दूतावास को चला है, जिन्हें रिहा कराने के प्रयास चल रहे हैं। म्यांमार के मोई नदी द्वारा विभाजित माई सोत और म्यावाडी के बीच के इलाक़े को एक वैश्विक अपराध गलियारे के रूप में डेवेलप किया गया है, जिसे वहां के भ्रष्ट मिल्ट्री जुंटा का संरक्षण प्राप्त है। यही वजह है कि दूतावास के अधिकारी भी असहाय से हो जाते हैं।

राजनयिक प्रयास भी

साइबर ग़ुलामों का यह क़िस्सा केवल म्यांमार तक सीमित नहीं है, थाईलैंड में भी डाटा एंट्री ऑपरेटर के नाम पर सैकड़ों श्रीलंकाई युवाओं को फंसाया गया। हाल ही में म्यांमार में संपन्न हुए चौथे बिम्सटेक राष्ट्रीय सुरक्षा शिखर सम्मेलन के अवसर पर श्रीलंका के रक्षा सचिव मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) कमल गुणरत्ने ने म्यांमार के प्रधानमंत्री मिन आंग हलिंग के साथ देश के साइबर गुलाम शिविरों में जबरन हिरासत में लिए गए श्रीलंकाई लोगों की दुर्दशा के संबंध में चर्चा की। उन्होंने बताया कि 40 श्रीलंकाई युवाओं को हम ग़ुलाम शिविरों से निकाल चुके हैं, लेकिन अब भी दर्जनों नागरिक थाईलैंड में फंसे पड़े हैं। साइबर ग़ुलामों का यह मुद्दा आसियान की बैठकों में भी गर्माता रहा है, लेकिन भ्रष्ट नौकरशाही और सरकारों की उपेक्षा ने मानव तस्करी को बढ़ावा दिया है।

ये हैं फंसाने के तरीके

साइबर धोखेबाज़ पहले रिटायर्ड लोगों, मोटी आसामी की लिस्टिंग करते हैं, जिनके बड़े अकाउंट्स की जानकारी बैंकों और निवेशक नेटवर्क से मिल जाती है। फिर साइबर ठग अपने टारगेट को निवेश योजनाओं में फंसाते हैं। या फिर, क्रिप्टो करेंसी में कई गुना पैसे मल्टीप्लाई करने के सपने दिखाते हैं। घोटालेबाज पहले अपने शिकार को उनकी अपेक्षा के अनुसार पैसे डालकर ‘मोटा’ बनाते हैं, फिर एक झटके में उनकी जमा-पूंजी साफ़ कर दी जाती है। इस पूरी प्रक्रिया का कोड नेम है, ‘पिग बुचरिंग’, अर्थात पैसे वाले धनपशु को पहले सूअर जैसा मोटा करो। उसका भरोसा जीतो, फिर एक झटके में उसका आर्थिक वध कर दो। जो साइबर ग़ुलाम दिए हुए टारगेट को पूरा नहीं करते, उनकी सेलरी से डबल ज़ुर्माना ठोकते हैं। खाने में कटौती, और पिटाई तक की जाती है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।

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